" मैं तुमसे मुहब्बत करती हूँ ----"
मैं तुम्हें ---
अपने प्यार के सभी-- सूरज दिखाउ ---
तो तुम्हारी ----
आँखे चकाचौंध हो जाएगी -----
तुम उन ----
छुपे हुए कौनो को नही जानते----' राज '---
जहाँ मैरी -- मुहब्बत ---चुपचाप सांसे ले रही है -----
गर ,-- मर भी गई --- ?
तो तुमसे ये वादा रहा ---
मैं मिलने जरुर आउंगी ----
चाहे मेरे टूकड़े- टूकडे हो जाए ----
मेरी आत्मा एक पक्षी बन ------
तेरे इर्द -गिर्द चक्कर काटेगी ----
और 'सिर्फ' तुम्हारा नाम पुकारेगी -----
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते || '
34 टिप्पणियां:
दर्शी जी लगता है आप प्यार के 'राज' का पर्दाफाश कर रहीं हैं.
या हमको किसी और गहरे 'राज'से मिलवाने का साहस कर रही हैं.
आपकी सुन्दर प्यारभरी रचना को तो हृदय से नमन ही करता हूँ मैं.
मेरे ब्लॉग पर अभी तक न आने का आपका क्या राज है?
चली आईयेगा.आपको 'सरयू' स्नान का न्यौता है.
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते ||
फिर ये मुहब्बत नाकाम कैसे हुयी ? अच्छी प्रस्तुति
जो वादा किया वो निभाना पडेगा
रोके ज़माना चाहे रोके खुदाई तुझे आना पडेगा
तड़पती निगाहों ने आवाज दी है ..............
बहुत अच्छा दर्द से भरे नज्म सुनाये जा रही हैं आप
बधाई हो आपको !!
आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी, नमस्कार....
आपके ब्लॉग में आकर अच्छा लगा,
आप यूँ ही लिखती रहें, ईश्वर से कामना है, आभार !!
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते ||
.. sach aatma ke rishte totte to nahi lekin jab inhen dhona pade to phir we rishte-rishte kahan!
badiya prastuti..
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते || '
bahut bemishaal rachaa,virah vedanaa liye.sunder shabdon ka chyan,badhaai aapko,
please visit my blog and leave the comments also.
इसी को प्यार कहते हैं...
pyar se autprot man ke achche bhaavon ka sunder chitran kiya hai.love is in the air.
आत्मा के रिश्ते टूटा नही करते...
लाजवाब प्रस्तुति.......
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते || '
aatma ke rishte birle bante hain ... sach kabhi tootta nahin
आदरणीय दर्शन कौर जी,
नमस्कार !
आपकी हर रचना की तरह यह रचना भी बेमिसाल है !
तुम उन ----
छुपे हुए कौनो को नही जानते----' राज '---
जहाँ मेरी -- मुहब्बत ---चुपचाप सांसे ले रही है -----
अच्छी प्रस्तुति
yahi to pyar ka rista hai...
आत्मा के रिश्ते तो अमर होते हैं आत्मा की तरह जन्मजन्मान्तर के लिए..
कितनी सुन्दर कृति है आप की...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते || '
kya baat hai...bhut sundar
क्या बात है । बढ़िया जी ।
बहुत भाव पूर्ण रचना |बधाई |
आशा
@अपने प्यार के सभी--सुरज दिखाउ
तो तुम्हारी
आँखे चकाचोंध हो जाएगी
वाह मान गए....दर्शन कौर जी....
सुन्दर बिम्ब का प्रयोग किया है आपने
एक मंजी हुयी कविता के लिए
आभार
दर्शन जी,
वैसे तो मैं इस लायक नहीं हूँ की आपको कोई सुझाव दूं क्योंकि आप स्वयं ही एक खूबसूरत लेखिका हैं!
फिर भी अगर गुस्ताखी माफ़ हो तो कुछ कहना चाहूँगा, रचना तो आपको वाकई काबिल-ए-तारीफ है, परन्तु अगर आप ज़रा मात्राओं का ध्यान रखेंगी तो और भी मज़ा आ जाएगा!
जैसे की सुरज "सूरज", चकाचोंध "चकाचौंध", आदि!
माफ़ी दीजियेगा अगर आपको अच्छा न लगा हो तो!
दास,
सुरेन्द्र!
@ नही, सुरेंदरजी आपकी बाते मुझे बुरी नही लगी --कई बार लाख कोशिश के बाद भी रोमन लिपि के अंग्रेजी वर्जन हिंदी में हो नही पाते है --मजबूरी वश वैसा ही लिखा छोड़ना पड़ता है --मुझे खुद पता चल जाता है --
वैसे आपकी बातो का ध्यान रखूंगी --धन्यवाद !
संगीता जी. ऐसी कोई बात नही है ...यह सिर्फ कविता हे ?
' तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते ||
सही कहा आत्मा के रिश्ते नही टूटा करते।
दिल में छुपा अथाह प्यार पर सुन्दर कविता !
तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते || '
-वाह!! बहुत खूब!!!
तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते ||
वाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते || '
Sach kaha aapne.... aise bandhan kahan tootte hain...
दिल का रिश्ता ...दूर नहीं हो सकता...
जिसको जोड़ लिया वो हर समय के लिए हो गया...
यही तो प्यार की परिभाषा है...है न...!!
रचना पढ़ कर लग रहा है...सिर्फ लिखा नहीं गया...जिया भी गया है....!!
दर्शन जी!! सच में आपकी अभिव्यक्ति का जबाब नहीं...!
चंद शब्दों में बता दिया, जो कहना चाहती थी..
मेरी आत्मा एक पक्षी बन ------
तेरे इर्द -गिर्द चक्कर काटेगी ----
और 'सिर्फ' तुम्हारा नाम पुकारेगी -----
बहुत खूबसूरती से आपने आपने मन की भावनाओं को अभिव्यक्त किया है ....आपका आभार
वाह क्या बात है जी
तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे पास हो |
आत्मा के रिश्ते टूट नही सकते |
बहुत भाव पूर्ण रचना ,बधाई .......
आदरणीय दर्शी जी ,
मेरे ब्लॉग पर आपके 'दर्श' को अँखियाँ तरस गयीं हैं.
मैंने भी तो 'आत्मा' की ही बात की है.फिर आप किस
वजह से मुहँ फेरे हुए हैं अभी तक. लगता है मुझे भी अब
चिड़िया बनकर आपके ब्लॉग के चक्कर लगाने पड़ेंगें.
मेरी बातें आपके ऊपर से चाहे ५ किलोमीटर ऊपर निकल जाये,
पर मैं तो अपनी फरियाद सुनाता ही रहूँगा आपको.
'आत्मा के रिश्ते कभी टूट नहीं सकते '
................यही तो है सच्चा और अमर प्रेम
................सुन्दर रचना
behad khubsurat maa......lajabab
एक टिप्पणी भेजें