" बड़े...अच्छे लगते है ...
ये धरती..ये नदियाँ ..ये रैना ..और तुम ...?"
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पर 'तुम' की परिभाषा मेरी निगाहों में जरा भिन्न है :--
"तुम वो हो जिससे मैं प्यार करती हूँ
तुम वो हो जिसे मैं पसंद करती हूँ
तुम वो हो जिसको मैं दिलो -जान से चाहती हूँ
तुम वो हो जिसको मैं सपनो में देखती हूँ
तुम वो हो जिसके ख्यालो में, मै मग्न रहती हूँ
तुम वो हो जिसको में दिल से महसूस करती हूँ
तुम वो हो जिससे मैं तन्हाईयो में बातें करती हूँ "
पर तुम मुझे नही जानते..?
और न ही मुझे पहचानते...???
तुम वो हो जो मुझसे प्यार नही करते ?
तुम वो हो जो मेरे सपने नही देखते ?
तुम वो हो जो मेरे ख्यालो को नही बुनते ?
तुम वो हो जो मुझसे बातें नही करते ?
यह मै जानती हूँ ?
" काश,तुम मुझको जानते ?
काश , तुम मुझसे प्यार करते ?
काश , तुम मेरा ख्याल अपने दिल में रखते ?
काश ,तुम मुझको दिल से महसूस करते ?
काश ,तुम मेरे होकर रहते ?
काश ,तुम मेरी चाहत में गिरफ्त होते ?
काश, तुम मुझसे तन्हाईयो में बातें करते ...?"
अगर ऐसा होता तो !!!!
" पतझड़ को मधुमास बनाती ,
सूने वीराने में गाती !
स्वर्ग ह्दय से दूर कहाँ था ,
जो तेरा आश्रय पा जाती !
हंसती तो खिल जाती कलियाँ ,
पग -पग पर झड़ती फुलझड़ियाँ !
ये उदास अनजानी राहे ,
बन जाती वृन्दावन गलियाँ !
मिल जाती मंजिल बांहों में ,
घुल जाता अमृत चाहो में ,
हो जाता हर समय सुहाना ,
साथ तुम्हारा जो पा जाती !
एक नया संसार सजाती .
एक नया इतिहास रचाती !
उदाहरण बन जाता मेरा जीवन ,
जो तेरा सहचर्य पा जाती ! "
काश ,तेरी प्रीत जो पा जाती ?
जीवन में खुशियाँ छा जाती ?
मुस्कुराती हर सुबह सुहानी !
दूर हो जाती हर जगह वीरानी !
24 टिप्पणियां:
Kaun hai ye TUM?????
Jo bhi hai...uske liye iss kavita ki panktiyan bta rahi hai...wo aham hai..aur na sirf aham hai...jindagi hai...khushiyan hai...ruhani khusboo hai...muskurati jindagi hai....:)
wah jee wah!!
sach me islye log kahte hain...darshan jee dil se likhti hain...:)
बहुत सुंदर रचना.
काश ऐसा होता,
जिसे लोग चाहते, वो सामने होता
waah maa aapne to mujhdh kar dala...aesi kabita jo koi 16 saal ki umar me likhta hai wahi mahsush ho raha hai isme...lajabab
@मुकेशजी शुक्रिया
@महेंदर जी शुक्रिया
@आरती बेटा.दिल कभी बुड्डा नही होता ,हमेशा जवान ही रहता है ...खुशियाँ बांटो ..हमेशा आपको भी खुशियाँ ही मिलेंगी
मुस्कुराती हर सुबह सुहानी !
दूर हो जाती हर जगह वीरानी !
वाह ...बहुत खूब कहा है ...बेहतरीन प्रस्तुति ।
'तुम"
न जाने किस जहाँ में खो गए
बधाइयाँ
bhut bhut khubsurat ehsaas...
ये भी कोई रचना है,
अजी ये तो एक सच्चे घुमक्कड के दिल की सच्ची बाते है,
कि मैं झूठ बोल्या, बताना जरुर
बहुत अच्छी प्रस्तुति प्रस्तुति।
मुस्कुराती हर सुबह सुहानी !
दूर हो जाती हर जगह वीरानी !
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
हर तरह की संभावनाओं को बता दिया ... सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर रचना..
बहुत ही सुन्दर कविता वास्तविक अर्थों में ,हृदय में कही अन्दर रची बसी बात निकलने को आतुर बधाई
मस्त कविता है।
उमड़ते घुमड़ते विचारों का चित्रण बढिया रहा।
दिल जवान ही होना चाहिए
भावनाओं से ओत प्रोत सुंदर अभिव्यक्ति !
कोई हतभागी होगा जो इतने निर्मल प्यार को महसूस नहीं कर रहा होगा. आपके भाव का प्रवाह बहुत सुन्दर है और भावना अति सुन्दर. ठीक आपकी तरह.
Dil ki awaj ki bahut sundar prastuti
@बिलकुल झूठ नही बोला तुमने संदीप घुम्म्कड़ो का दिल हमेशा जवान होता हैं ...
@सही कहा ललित जी जब दिल जवान हो तो हर जगह मस्तियाँ ही नजर आती हैं ..वो कहते हैं न 'जवानी चार दिन की ...अभी तो दूसरा दिन चल रहा हैं '...
dil ki bhaavnaon ko udel kar rakh diya kash vo sab roobro ho jaaye jo khvaabon me dekhte hain.
बहुत खूब दर्शन जी
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
bahut hi bhav poorn kavita
मुस्कुराती हर सुबह सुहानी !
दूर हो जाती हर जगह वीरानी !
दर्शी जी को सादर नमन.
अच्छा कर रहीं हैं भजन
मन हो रहा है मगन
कैसी लगी ये दिल में लगन.
'" बड़े...अच्छे लगते है ...
ये धरती..ये नदियाँ ..ये रैना ..और तुम ...?"
'" बड़े...अच्छे लगते है ...
मन के कोमल भावो का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है दर्शन जी।
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