मेरे अरमान.. मेरे सपने..

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

याद....!!!









याद आते हो तो कितने ----
अपने -से लगते हो तुम ----
वर्ना,  हर लम्हां गुजरता हैं   ----
तुम्हारे ख्यालो में ----
चुप -सी आँखों में आज ----
फिर वही सवाल उठा ----
क्या राहत मिलेगी मुझे ----
इन बंद फिजाओ में ----?
खेर, अँधेरे  भी  भले -जीने के लिए ----
गैर, हो जाते हैं  सभी चेहरे उजालो में----
मुस्कुराओ तो भी अच्छा हैं  ----
बेरुखी भी भली तुम्हारी ----
बेअसर हैं  सभी बाते यहाँ मलालो में ----
याद आते हो तो एहसास -ऐ -ख़ुशी मिलती हैं  ----
यूँ तसल्ली भी गिरफ्तार हैं ---
सौ (१००) तालो में----???????   










15 टिप्‍पणियां:

  1. भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. ....सुन्दर प्रस्तुति....भाईदूज की शुभकामनाएं.

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  3. मर्म और प्यार भरी कविता बधाई
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  4. सुन्दर भाव लिए कविता |
    दूज पर शुभ कामनाएं |
    आशा

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  5. आदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते !
    याद आते हो तो कितने ----
    अपने -से लगते हो तुम ----
    वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ----
    तुम्हारे ख्यालो में --
    मुस्कुराओ तो भी अच्छा हैं ----
    बेरुखी भी भली तुम्हारी ----
    याद आते हो तो एहसास -ऐ -ख़ुशी मिलती हैं ---
    वाह ! क्या कहने माशा अल्लाह !!
    बहुत ही खूबसूरती से आपने ह्रदय के भावों को व्यक्त किया है ! धन्यवाद !
    मेरी तरफ से आपको भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!!

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  6. याद आते हो तो कितने ----
    अपने -से लगते हो तुम ----
    वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ----
    तुम्हारे ख्यालो में ----

    ओये होए .....!!!!!
    बधाइयाँ जी बधाइयाँ .....
    बस ताले मत खोलें .....:))

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  7. अपने ही तो याद आते हैं।

    बहुत अच्छी कविता।
    श्वेत-श्याम चित्र बहुत कलात्मक लग रहा है।

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  8. यूँ तसल्ली भी गिरफ्तार हैं ---
    सौ (१००) तालो में----???????

    कौन से वाले ताले हैं ये,दर्शी जी.
    आप भी क्या कविता लिखतीं हैं.
    निराले अंदाज के लिए बधाई

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......