याद आते हो तो कितने ----
अपने -से लगते हो तुम ----
वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ----
तुम्हारे ख्यालो में ----
चुप -सी आँखों में आज ----
फिर वही सवाल उठा ----
क्या राहत मिलेगी मुझे ----
इन बंद फिजाओ में ----?
खेर, अँधेरे भी भले -जीने के लिए ----
गैर, हो जाते हैं सभी चेहरे उजालो में----
मुस्कुराओ तो भी अच्छा हैं ----
बेरुखी भी भली तुम्हारी ----
बेअसर हैं सभी बाते यहाँ मलालो में ----
याद आते हो तो एहसास -ऐ -ख़ुशी मिलती हैं ----
भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएं....सुन्दर प्रस्तुति....भाईदूज की शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंभइयादूज की शुभकामनाएँ!
खूबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएंमर्म और प्यार भरी कविता बधाई
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रचना बहुत सुन्दर है ।
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव लिए कविता |
जवाब देंहटाएंदूज पर शुभ कामनाएं |
आशा
खूबसूरत रचना ..
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएंयाद आते हो तो कितने ----
अपने -से लगते हो तुम ----
वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ----
तुम्हारे ख्यालो में --
मुस्कुराओ तो भी अच्छा हैं ----
बेरुखी भी भली तुम्हारी ----
याद आते हो तो एहसास -ऐ -ख़ुशी मिलती हैं ---
वाह ! क्या कहने माशा अल्लाह !!
बहुत ही खूबसूरती से आपने ह्रदय के भावों को व्यक्त किया है ! धन्यवाद !
मेरी तरफ से आपको भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!!
याद आते हो तो कितने ----
जवाब देंहटाएंअपने -से लगते हो तुम ----
वर्ना, हर लम्हां गुजरता हैं ----
तुम्हारे ख्यालो में ----
ओये होए .....!!!!!
बधाइयाँ जी बधाइयाँ .....
बस ताले मत खोलें .....:))
सुन्दर, प्यार भरी रचना...
जवाब देंहटाएंअपने ही तो याद आते हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
श्वेत-श्याम चित्र बहुत कलात्मक लग रहा है।
वाह, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंयूँ तसल्ली भी गिरफ्तार हैं ---
जवाब देंहटाएंसौ (१००) तालो में----???????
कौन से वाले ताले हैं ये,दर्शी जी.
आप भी क्या कविता लिखतीं हैं.
निराले अंदाज के लिए बधाई