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रविवार, 8 नवंबर 2015

#मनिकरण#

# मणियों की घाटी #
मनिकरण -- भाग 3

हम शिमला से कार द्वारा मनाली जा रहे थे रास्ते में मनिकरण के दर्शन भी करने की सोची अब आगे::--
मनिकरण कुल्लू से 45 Km है ।भुंतर इसका नजदीकी एयरपोर्ट हैं । भुंतर के पास ही पार्वती नदी और व्यास नदी का संगम है यही पार्वती नदी का पुल पार्वती घाटी और कुल्लू घाटी को जोड़ता हैं 35 किलोंमीटर का ये विहंगम और खतरनाक रास्ता दिलकश नजरो से भरपूर है।

हम रात को 11 या 12 बजे तक मनिकरण पहुंचे।पुरे मनिकरण में कहीं लाईट नहीं थी अँधेरा ही अँधेरा व्याप्त था। ड्रायवर ने एक होटल में एक रूम दिला दिया 3 पलंग लगे थे सब बगैर कपड़े उतारे ही लेट गए क्योकिं लाइट नहीं थी जागकर भी क्या करते सब सो गए ---

सुबह 8 बजे ड्रायवर ने उठाया की जल्दी दर्शन कर लो ताकि टाईम से निकलकर मनाली पहुँच सके वरना कल जैसा हाल होगा । हम भी कल के वाकिये को याद कर के डर से गए और नहाने चल दिए; नहाने के लिए होटल के अंदर ही कुण्ड बना था जिसमें नलों के द्वारा गर्म पानी और ठंडा पानी आ रहा था नजदीक ही बाल्टी और मग रखा था हम सब कपड़े पहने ही कुण्ड में उतर गए  दोनों पानी के मिलन से पानी ज्यादा गरम नहीं लग रहा था  खूब नहाये सब थकान उतर गई । होटल मालिक ने पहले ही बता दिया था की ज्यादा देर तक मत स्नान करना वरना चक्कर आ जायेगे ।मैँ तो फटाफट निकल कर बाथरूम में चली गई पर मिस्टर और बच्चे देर तक नहाते रहे जिससे उनको चक्कर आने लगे ।

कहते है ये गन्धक का पानी होता है जो अत्यधिक गरम होता है जिसमें चर्मरोगों के उपचार की अद्भुत क्षमता बताई जाती है।
हम सब तैयार हुए गर्मी बहुत लग रही थी पर हवा ठंडी थी । मैंने कमरे की बालकनी में कपड़े सुखाये ताकि जब हम वापस आये तो कपड़े सुख जाये।

फिर हम गुरद्वारे निकल पड़े ।रास्ते भर हमको छोटी छोटी नालियों में से भाप निकलती हुई दिखाई दे रही थी फिर हमने देखा सभी दुकानो पर आग नहीं जल रही है नालियो के जरिये गर्म पानी पहुँच रहा है और भाप में सबकुछ पक रहा है।यहाँ ज्यादा होटल और ढाबे नहीं है।और जो है वो भी साधारण ।

गुरद्वारे में भी गर्म पानी और ठन्डे पानी के कुण्ड बने थे लेडिस और जेन्स के अलग अलग बाथरूम बने थे पानी की मोटी धार भी आ रही थी जिसमें मर्द लोग स्नान कर रहे थे ।पास ही शिवजी का मन्दिर भी हऐ

फिर हम मेन गुरद्वारे में गए जो 3री मंजिल पर था ।
क्रमशः---

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (10.11.2015) को "दीपों का त्योंहार "(चर्चा अंक-2156) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ, सादर...!

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  2. बहुत पुराना हाल सुना रहे हैं। वैसे हम मणिकरण कभी नहीं गए। लेकिन उसके बारे में सुना बहुत है। पहला फोटो तो गज़ब का दृश्य दिखा रहा है।

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  3. वाकई में गंधक के पानी में ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए। बहुत खूब।

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......