मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2016

"उदासी "

आज मेरा दिल बहुत उदास है ।
तू नहीं शायद यही बात है ।
आज मेरा दिल बहुत उदास है ।

कभी तुझको प्यार से खत लिखे थे
फिर उन्हें मोड़कर कपड़ो में रखे थे
आज उन्ही खतों के लिए बेकरार हैं
आज मेरा दिल बहुत उदास है।

कभी सहेली के घर का बहाना,
कभी ट्यूशन की क्लास का बहाना,
कभी पिक्चर, कभी नोट्स,कभी यू ही-
अब उन्ही यादों का सहारा है ।
आज मेरा दिल बहुत उदास है।

रात के आखरी पहर तक जागना,
मुझे सीटी बजाकर छत पर बुलाना,
डरते डरते मेरा छत पर आना,
उसी समय पापा का जाग जाना -
आज भी वही पल सुहाना है
आज मेरा दिल बहुत उदास है ।

--- दर्शन कौर *

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

प्रशंसनीय

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 04-02-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2242 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Rohitas Ghorela ने कहा…

यादें जो आती हैं... बस वो ही हैं
हर मोहब्बत करने वाले को जोड़ती हुई रचना।

Unknown ने कहा…

हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई

पाकर के जिसे दिल में ,हुए हम खुद से बेगाने
उनका पास न आना ,ये हमसे तुम जरा पुछो

बसेरा जिनकी सूरत का हमेशा आँख में रहता
उनका न नजर आना, ये हमसे तुम जरा पूछो

जीवितं है तो जीने का मजा सब लोग ले सकते
जीवितं रहके, मरने का मजा हमसे जरा पूछो

रोशन है जहाँ सारा मुहब्बत की बदौलत ही
अँधेरा दिन में दिख जाना ,ये हमसे तुम जरा पूछो

खुदा की बंदगी करके अपनी मन्नत पूरी सब करते
इबादत में सजा पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो

तमन्ना सबकी रहती है, की जन्नत उनको मिल जाए
जन्नत रस ना आना ये हमसे तुम जरा पूछो

सांसों के जनाजें को, तो सबने जिंदगी जाना
दो पल की जिंदगी पाना, ये हमसे तुम जरा पूछो

Amrita Tanmay ने कहा…

उफ्फ ....

Amrita Tanmay ने कहा…

उफ्फ ....

रमता जोगी ने कहा…

वाह बुआ।