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मंगलवार, 2 अगस्त 2016

जयपुर की सैर == भाग 8 ( jaipur ki shair bhag == 8 )


जयपुर की सैर == भाग 8
(सिटी पैलेस )





तारीख 13 को  हम बॉम्बे से 3 सहेलियां निकली थी जयपुर जाने को  'सम्पर्क क्रांति ट्रेन ' से और वो  रात कयामत की रात थी। ... 

अब आगे -----

21अप्रैल 2016



आज जयपुर में काफी गर्मी थी फिर भी आज हम जयपुर के कुछ ऐतिहासिक स्मारक देखने निकल पड़े ।सुबह फटाफट आमलेट और ब्रेड भर पेट खाकर और ग्लोकोश की तीन बॉटल बनाकर हमने ओला कैब मंगा ली और सीधे सिटी पैलेस चल दिए ...आज भी नीना हमारे साथ नहीं थी क्योंकि वो पूरी तरह ठीक नहीं थी और हम उसको आराम का बोलकर निकल गए। 

हम जयपुर के त्रिपौलिया बाजार में स्थित शानदार महल सिटी पैलेस के सामने पहुंचे यहाँ 50 रु. का टिकिट था और  विदेशियों के लिए शायद 200 रु. या  ज्यादा का था। यहाँ दो महल चंद्र महल और मुबारक महल है। यह महल राजस्थानी और मुगल शैली का शानदार नमूना है। यहाँ एक संग्रहालय भी है जिसमें पोशाकें , शास्त्र और मुगलकालीन पेंटिंग्स और कालीन है। 

टिकिट लेकर हम महल के मेन गेट से अंदर दाखिल हुए  यहाँ काफी दुकाने बनी हुई थी और काफी अँगरेज़ घूम रहे थे जिनसे राजस्थानी युवक अपनी टूटी फूटी इंग्लिश में बाते कर रहे थे और वो लोग राजस्थानी सामान काफी उत्सुकता से देख रहे थे ।

सामने ही दीवाने खास था यहाँ दीवारों पर कांच में अनेक शास्त्र सजे हुए थे।  अंदर हमको एक चांदी का  बड़ा सा कलश  दिखाई दिया जिसके बारे में वहां के केयरटेकर   से जानकारी ली तो उसने हमको एक बोर्ड की तरफ इशारा कर दिया जिस पर सारा वाकिया लिखा था आप भी देखिये :---





और यह रहा वो कलश ;---





आज यहाँ काफी चहलपहल नजर आ रही थी क्योकि बड़ी- बड़ी लाईट्स लग रही थी, हमको लगा की शायद कोई शूटिंग होने वाली है पर मालूमात करने पर पता चला की आज रात को किसी सेठिये ने ये निचे का हाल किराये पर लिया है अपने बेटे की शादी के लिए , जब किराया पूछा तो पता चला की 25 लाख रुपये सिर्फ एक रात का किराया ही है  बाकि सजावटी समान का चार्ज अलग से ... हमको बहुत आश्चर्य हुआ लोग अपनी शान के लिए कितना पैसा पानी की तरह बहाते है । खेर, हम अपनी फोटू खींचकर आगे बढ़ चले ...

अब हम अंदर को चल पड़े जहाँ शस्त्रो का संग्रहालय था जिसे "सिलह खाना" कहते थे वहां कई तरह के  तीर, तलवार और भाले रखे थे । पुरानी पिस्तौल और बन्दूक भी रखी थी अनेक चाकुओ के मुठ मीनाकारी और जवाहरातो से जड़े हुए थे । यहाँ हमको कई पीतल ,सीप और हाथीदांत के बने बेजोड़ कारीगरी की हुई सजावटी चीजें देखने को मिली। उस वक्त के राजाओ और रानियों के पहनने वाले वस्त्र जो हाथ से बने हुए थे और जो प्राकृतिक रंगों से रँगे हुए थे और जिन पर असली गोटा - किनारी लगी हुई थी काफी भारीभरकम वस्त्र थे , देखकर ही लगता था की ये भारी -भारी कपडे कैसे रानियां पहनती होगी। 

खेर, वहां से हम उस हॉल में आये जहाँ लाल मखमल की कुर्सियां और टेबल लगी हुई थी जहाँ महाराज के साथ अंग्रेज आफिसर बैठ कर मीटिंग करते थे।राजा और महाराजाओ के आदमकद तेल चित्र टँगे थे एक जगह राजधराने की अब तक की पीढ़ी के फोटू लगे थे और वर्तमान में जो युवराज है उनके भी चित्र लगे थे ।
यहाँ हमको फोटू खींचने की मनाई थी इसलिए कोई फोटू नहीं खिंच सकी..... 






राजा के गोल्फ के कपड़े, जूते, बगैरा  बड़े करीने से सजे हुए थे यानी उस समय हिन्दुस्थान में अंग्रेजी हुकूमत और गुलामी की जंजीरो ने पैरो में बेड़ियां डालनी शुरू कर दी थी ।

अंदर फोटू खिंचना मना था फिर भी हमने कई जगह मोबाईल से फोटू खिंच ही लिए ।

महल में एक कला गैलरी भी है जहाँ तेल चित्र , शाही साजो समान और अरबी ,फ़ारसी ,लेटिन और संस्कृत की  दुर्लभ रचनाएँ है 

अब हम उस हिस्से में आये जहाँ पहले माले पर काफी दुकाने थी जहाँ ढेरो पेंटिंग लगी हुई थी और उनको बनाने वाले पेंटर भी बैठे हुए थे जो कुछ रूपियो के बदले आपके फोटू बना कर दे रहे थे कई लोग उनसे अपने  स्केच बनवा रहे थे । 
यहाँ हमारे लायक कुछ नहीं था इसलिए हम आगे बढ़ गए ।

एक जगह हाथ के बने कपड़े मिल रहे थे तो कहीं जड़ाऊ ज्वेलरी मिल रही थी । पर हर चीज बहुत मंहगी थी । जो विदेशियों को आकर्षित कर सकती थी हमको नहीं ...

अब हम बाहर आँगन में आ गए जहाँ बहुत पुरानी तोप रखी थी हमने उसके साथ कुछ फोटू खिचाये और बाहर निकल गए अब हम "अल्बर्ट हाल" जा रहे थे ...
शेष अगले भाग में---



 महल का प्रवेश द्वार 








 मुबारक महल 


 मेरे पीछे जो तस्वीर है वो लंदन की महारानी के वेलकम की तस्वीर है 





 चंद्र महल 


 ये है कचरे का पात्र  


 केयरटेकर  के साथ मैं और अलज़ीरा   



ये  वो  पहरेदार है जिनके पूर्वज भी यहाँ राजा जी की सेवा करते थे   
 हम तीन 




दीवाने खास में मैं 



शेष अगले अंक में 






12 टिप्‍पणियां:

  1. पहरेदारों के पूर्वज सेवा करते थे, वंशज तो बाद में आएंगे। जय हिन्द।

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  2. मिस्टेक प्रभु ---दुरस्त कर दी है । आखिर गुरु होते क्यों है .. चलो की गलतिया सुधारने वाले ☺

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  3. कलश तो जबरदस्त है, ये जगहें हमने नहीं देखी।

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  4. इसका मतलब आप सिटी पैलेस नहीं गए । बहुत ही अच्छा पैलेस है।

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  5. सिटी प्लेस दो बार गया हूँ।।।वैसे आपने बहुत बढ़िया लिखा है।

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    1. थैंक्स सचिन , वैसे तुम नहीं जाओगे तो कौन जाएगा ... यानी घुमक्कड़ जो हो ☺

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  6. बढ़िया यात्रा रही आप सब की।
    आप लोगों की जिंदादिली और लोगों को भी प्रेरित करेगी परिवार से इतर अपने समूह में घुम्मकड़ी करने को 👍

    Keep the spirit alive 💐💐

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    1. थैंक्स पाहवा जी ...वैसे कहते है ना 'मन चंगा तो कसौठी में गंगा '

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  7. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......