जयपुर की सैर ==भाग 9
(अल्बर्ट हाल )
तारीख 13 को हम बॉम्बे से 3 सहेलियां निकली थी जयपुर जाने को 'सम्पर्क क्रांति ट्रेन ' से और वो रात कयामत की रात थी। ...
अब आगे -----
21अप्रैल 2016
सिटी पैलेस घूमकर हम सीधे अल्बर्ट हाल को निकल गए। ...
अब हमने सिटी पैलेस से ऑटो किया और पहुँच गए 'अल्बर्ट हाल' यह एक संग्रहालय है।
यहाँ पहुँच कर थोड़ी भूख लग रही थी तो वही फुटपाथ से हमने बर्गर खाया ।बिलकुल बेकार बर्गर लगा । फिर जब मोसम्बी का रस पिया तो जान में जान आई क्योकि गर्मी अपने पुरे शबाब पर थी।
यहाँ पहुँच कर थोड़ी भूख लग रही थी तो वही फुटपाथ से हमने बर्गर खाया ।बिलकुल बेकार बर्गर लगा । फिर जब मोसम्बी का रस पिया तो जान में जान आई क्योकि गर्मी अपने पुरे शबाब पर थी।
इतने में हमारे दोस्त अरविन्द जी का फोन आ गया वो हमको अल्बर्ट हाल में ढूंढ रहे थे । उनको वही रहने का बोलकर हम फटाफट सड़क क्रास कर के अल्बर्ट हाल पहुँच गए यहाँ काफी सिक्योरिटी थी और कबूतरो का तो मानो गढ़ ही था --- जैसे जयगढ़ वैसे ही कबूतरगढ़ हा हा हा हा
यहाँ भी जेब काटनी पड़ी यानी टिकिट खरीदना पडा शायद 40 रु. खेर, अंदर घुसते ही छोटे से फब्बारे के दर्शन हुए पर कबूतर गढ़ होने के कारण गन्दगी बहुत थी ।
हम पहले माले पर पहुँचे यहाँ एक मिस्र की ममी सो रही है , पता नहीं ये हिन्दुस्तान में क्या कर रही है खेर, आप भी देखिये :----
हम पहले माले पर पहुँचे यहाँ एक मिस्र की ममी सो रही है , पता नहीं ये हिन्दुस्तान में क्या कर रही है खेर, आप भी देखिये :----
यहाँ मम्मी सो रही है
यहाँ काफी सामान मिस्र और चायना का था बड़े बड़े आदमकद फ्लॉवर पॉट चीनी मिट्ठी की तश्तरियां , प्यालियाँ और भी बहुत सी चीजें...
और दूसरे माले पर सारा संगीत का साजो- समान रखा था । अनेक प्रकार की शहनाईयां, तबले, सितार,बँसुरियां, वीणा , सारंगी और एक जगह तो इतनी बड़ी वीणा रखी थी जो एक कमरे से दूसरे कमरे तक जा रही थी ,मेरे कैमरे ने उसका फोटू लेने से साफ़ इंकार कर दिया क्या करती आखिर इतनी बड़ी भी वीणा होती है क्या ? :) :)
इस वीणा को देख तुरन्त दिमाग में एक फ़िल्मी गीत घुस गया ----
" मेरी वीणा तुम बिन रोये .. सजना ,सजना,सजना.."
उफ़्फ़्फ़, आप लोग मत रोने लग जाना , हम आगे बढ़ते है।
यहाँ कई संगीत की अजीबो गरीब चीजें देखने को मिली ..
कई नक्काशियोंदार राजाओ की चिल्मचियां, उनके वाशबेसिन, उनके गरम पानी के होद और खाने पीने के बर्तन, तलवारे और बन्दुके भी थी, उस टाईम के सिक्के ,ज्वेलरी, ग्रन्थ, और तेल चित्र भी रखे थे । कुल मिलाकर काफी पुराना और देखने लायक सामान था। पुराने लोग इसको अजायबघर कहते थे ।
कई नक्काशियोंदार राजाओ की चिल्मचियां, उनके वाशबेसिन, उनके गरम पानी के होद और खाने पीने के बर्तन, तलवारे और बन्दुके भी थी, उस टाईम के सिक्के ,ज्वेलरी, ग्रन्थ, और तेल चित्र भी रखे थे । कुल मिलाकर काफी पुराना और देखने लायक सामान था। पुराने लोग इसको अजायबघर कहते थे ।
वैसे इन संग्राहलयो में पहुंचकर हमको इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी मिलती है । अब हम लोग बहुत थक गए थे इसलिए तुरन्त घर को निकल पड़े क्योकि वहां से हमको किसी के घर खाना खाने जाना था ...
शेष बाद में ब्रेक के बाद ---
आंगन में फुव्वारा
बड़ा जग
गर्म पानी करने का बर्तन
जग
एक पेंटिंग
इस पेंटिंग में बताया है की कैसे मत्स्य रूप रखकर भगवान विष्णु ने इंसान को बचाया
छोटी बग्गी
कल की सैर हवामहल ----
4 टिप्पणियां:
आकर्षक चित्र.;बढ़िया वर्णन
धन्यवाद Dilbag जी
धन्यवाद रश्मि शर्मा जी
बढ़िया वर्णन
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