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शनिवार, 16 मार्च 2024

कश्मीर फाइल्# भाग 8

कश्मीर फाईल #भाग 7


#सोनमर्ग (श्रीनगर)
6 सेप्टेंबर 2023

कल हम गुलमर्ग घूमकर आये ।रात हमने आराम से निकाली अब सुबह हम सोनमर्ग जायेगे।सुबह नाश्ता कर हम सोनमर्ग को निकल गए।
सोनमर्ग, गुलमर्ग से भी बहुत खूबसूरत हैं। ऐसा अजित बोल रहा था ।उसकी ये बात मुझको भी सही लगने लगी जब यहाँ बहने वाली नदी हमारे साथ ही इठलाती हुई चल रही थी तो  ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो हमसे होड़ कर रही हो कि मैं तुमसे पहले पहुँचूँगी।☺️
पहली बार सड़क के साथ-साथ बहती नदी देखी थी जो तेग वेग के साथ बह रही थी और हम उस नदी के विपरीत दिशा में आगे बढ़ रहे थे।एक जगह  पुलिस ने हमारी कार रोकी तो मैं खुद को न रोक सकी और फ़टाफ़ट नदी की तरफ दौड़ पड़ी यहाँ मैंने ढेर सारे वीडियो बनाये।मौसम बहुत रंगीन था और फिजा में ठंडक थी ।मैंने एक स्वेटर ओर टोपी पहन रखी थी।मन ऐसा हो रहा था कि यहाँ घण्टो बैठा जाय और इस नदी की लहरोँ से वार्तालाप किया जाय।पर अजित बार बार हॉर्न मार रहा था आखिर मन मसोसकर मैं कार में आ गई।
सोनमर्ग पहुँचकर वहाँ अजित ने कार स्टैंड पर लगा दी,अब आगे का सफर हमको घोड़े पर या गाड़ी पर करना होगा।


घोड़े वाले से बात की तो वो 3 हजार में थजी ग्लेशियर ले जा रहा था रास्ते के 1-2 पॉइंट ओर बोल रहा था पर हमने घोड़ो पर जाना बिल्कुल मना कर दिया।


तो एक कार वाला आ गया जो जोजिला पास दिखाने का 10 हजार मांग रहा था।मैंने 3 हजार बोला तो चला गया फिर 8 हजार बोलकर वापस आया ।मगर मैंने 5 हजार लास्ट बोला तो थोड़ा ना-नुकुर करके तैयार हो गया।
अब हम मोहम्मद के साथ एक बढ़िया कार में सवार हो आगे बढ़ गए। मोहम्मद एक बढ़िया आदमी और ड्रायवर था।उसने हमको रास्ते में गाड़ी रोक रोक कर हर जगह दिखाई और उसके बारे में बताया।


अमरनाथ यात्रा किधर से शुरू होती हैं । वो सब जगह दिखाई जिसे बालटाल कहते है। मैंने भी काफी वीडियो बनाये।अमरनाथ यात्रा अब तो कर नही पाऊंगी कम से कम बालटाल देखकर ही दिल खुश कर लूं।


फिर आया जोजिला के काले-काले पहाड़ ओर गहरी खाइयाँ।दूर पहाड़ों पर बर्फ चमक रही थी।सर्दियों में ये रास्ता बंद हो जाता हैं। यही से लद्दाख जाया जाता हैं।


हम जोजिला के रास्ते पर एक जगह रुके जिधर एक बड़ा सी बर्फ की चट्टान पड़ी हुई थी उसमें से पानी बह रहा था।काफी लोग उतरकर यहाँ फोटुग्राफी कर रहे थे।
फिर हम आगे गए वहाँ एक ग्लेशियर था जिस पर कुछ लोग खेल रहे थे।मैं भी उतरकर ग्लेशियर के पास गई पर काफी ठंडी हवाएं चल रही थी। इतने में अचानक धूप गायब हो गई और बारिश की मोटी मोटी बूंदे गिरने लगी।  मैं दौड़कर कार में आ गई वरना भीग जाती।थोड़ी देर में ये गुलजार ग्लेशियर अचानक सन्नाटे में तब्दील हो गया। सब अपनी अपनी कारो में समा गए और आगे बढ़ गए।हम भी बारिश में ही आगे बढ़ गए।


आगे हमको लद्दाख जाने का गेट नजर आया।यही वार मेमोरियल हैं।यहाँ एक छोटा सा रेस्टोरेंट भी था।
अचानक पानी बन्द हो गया और बर्फ गिरने लगी।मैं तो बर्फ देखकर खुशी से झूम उठी ।मैंने कार का दरवाजा खोला और बाहर छलांग लगा दी।बाहर बर्फ गिर रही थी जो मेरे काले स्वेटर पर रुई की तरह चमक रही थी।.मैं झूम-झूम कर नाचने लगी☺️


गीले होने के डर से मिस्टर चिल्लाने लगे और मैं रेस्टोरेंट के अंदर आ गई।इस बारिश से वहाँ का पारा एकदम लुढ़क गया और ठंडी तेज हो गई। मेरा सारा जिस्म ठंडी से कांपने लगा। तब मैंने गर्मागर्म चाय पी ओर एक समोसा खाया। हालत में सुधार आया।
कुछ देर बाद हम लॉट रहे थे।रास्ते पर हल्की हल्की बर्फ गिरी हुई थी ।मौसम में ठंडक थी और धूप वापस निकल आई थी।


आज का सफर पैसे वसूल रहा। रास्ते मे हमने सेव के बागों से सेव् खरीदे 300 रु में 7 किलो।
श्रीनगर पहुँचकर हमको एक गुरद्वारा नजर आया।तो लगे हाथों हम गुरद्वारे में भी चले गए।
शेष अगले भाग में....














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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......