मेरे अरमान.. मेरे सपने..

शनिवार, 1 जनवरी 2011

अरमान

अरमान आसमान पर छाए हुए बादलो की तरह होते है, जो सिवाए कुदरत के हुकुम के कभी नहीं बरसते |
जब तक कुदरत को मंज़ूर न हो, कोई अरमान पूरा नहीं हो सकता |

" तू इस तरहा से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है
     जहा भी जाऊ यह लगता है तेरी महफ़िल है | "

2 टिप्‍पणियां:

  1. समर्पण के साथ लिखी सुन्दर गजल के लिए बधाई!
    नये साल की मुबारकवाद कुबूल करें!

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  2. आपको भी नूतन वर्ष की शुभ कामनाए---धन्यवाद |

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......