ता. १० जुलाई को हम सुबह हीअमृतसर से निकल पड़े --बेटे का एक ' चैट -दोस्त ' अपनी गाडी लेकर आया था उसी मै सवार हम अमृतसर में ही स्थित 'लाल माता 'के मन्दिर गए --मन्दिर बहुत ही विशाल था --अन्दर की सजावट उससे भी सुन्दर थी --- गेट पर ही माता की विशाल मूर्ति थी---
( लाल माता )
( मैं लाला माता मंदिर में )
(मेरे mr. गुफा में )
( भगवान् शिव )
मन्दिर से फ्री होकर हम चल पड़े पालमपुर की और ----
( हम कार से पालमपुर की और )
( पालमपुर के सुंदर झाड )
( पालमपुर के प्रसिद्ध खेत )
( पालमपुर का सुंदर नज़ारा )
मन भावक रास्ते ,पहाड़ो के निचे बहती नदी , ठंडी चलती पुरवैया किसका मन न मोह लेगी | "सुहाना सफर और ये मोसम हसीं "
रास्ते मे आया शिवजी का यह मन्दिर..
( शिवजी का मंदिर )
( मंदिर के बगल में बड़े से शिवजी )
अमरनाथ यात्रा चल रही हे इसलिए जगह -जगह खाने के पंडाल सजे हे --इस मन्दिर में भी खाने की व्यवस्था थी पर हम अमृतसर से खाकर चले थे-- इसलिए किसीको भी भूख नही थी --चाय पिने की इच्छा जाहिर की --पर उन लोगों ने मना कर दिया की अभी चाय का टाइम नही है --खेर, आगे होटल मे पिएगे यह सोच कर चल दीऐ --रास्ते मे बहुत छोटे -मोटे होटल मिलते है सो ,आगे का सफर जारी रखा --
कुछ दूर गए थे की जोरदार बारिश शुरू हो गई ---चारो और अँधेरा छा गया --हमारा सफर जारी था -- आगे बारिश बंद थी --
खूब सुरत माहोल में कब टाइम निकल गया पता ही नही चला --रात करीब ८बजे हम पालमपुर पहुचे --होटल का कमरा ठीक -ठाक था --सीज़न ख़त्म हो गया फिर भी कमरों का रेट ज्यादा हे --थकान से ऑंखें बंद हो रही थी --सो सब सो गए ---|
जारी ----
कुछ दूर गए थे की जोरदार बारिश शुरू हो गई ---चारो और अँधेरा छा गया --हमारा सफर जारी था -- आगे बारिश बंद थी --
खूब सुरत माहोल में कब टाइम निकल गया पता ही नही चला --रात करीब ८बजे हम पालमपुर पहुचे --होटल का कमरा ठीक -ठाक था --सीज़न ख़त्म हो गया फिर भी कमरों का रेट ज्यादा हे --थकान से ऑंखें बंद हो रही थी --सो सब सो गए ---|
जारी ----
निसंदेह ।
जवाब देंहटाएंयह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
धन्यवाद ।
राजीव जी -धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
शुक्रिया संजय जी,
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्रों से सजी --पालमपुर की सैर बड़ी मनभावन रही ।
जवाब देंहटाएंहम तो धर्मशाला तक गए थे एक बार ।
बहुत सुन्दर क्षेत्र है ।
धन्यवाद डा.साहेब ,धर्मशाला वाकई में एक खूब सूरत स्थान हे --वापस आने को मन ही नही करता |
जवाब देंहटाएंWaah nice post
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