मेरे अरमान.. मेरे सपने..

शनिवार, 22 जनवरी 2011

* पालमपुर की यात्रा (1) *


ता. १० जुलाई को हम सुबह हीअमृतसर से निकल पड़े --बेटे का एक ' चैट -दोस्त ' अपनी गाडी लेकर आया था उसी मै सवार हम अमृतसर में  ही   स्थित 'लाल माता 'के मन्दिर गए --मन्दिर बहुत ही विशाल था --अन्दर की सजावट उससे भी सुन्दर थी --- गेट पर ही माता की विशाल मूर्ति थी---
( लाल माता )

( मैं लाला माता मंदिर में )

(मेरे mr. गुफा में )

( भगवान् शिव )
मन्दिर से फ्री होकर हम चल पड़े पालमपुर की और ----

( हम कार से पालमपुर की और )

( पालमपुर के सुंदर झाड )

( पालमपुर के प्रसिद्ध खेत )

( पालमपुर का सुंदर नज़ारा )

मन भावक रास्ते ,पहाड़ो के निचे बहती नदी , ठंडी चलती पुरवैया किसका मन न मोह लेगी  | "सुहाना सफर और ये मोसम हसीं "  
रास्ते  मे आया शिवजी का यह मन्दिर..
( शिवजी का मंदिर )

( मंदिर के बगल में बड़े से शिवजी )
अमरनाथ यात्रा चल रही हे इसलिए जगह -जगह खाने के पंडाल सजे हे --इस मन्दिर में भी खाने की व्यवस्था थी पर हम अमृतसर से खाकर चले थे-- इसलिए किसीको भी भूख नही थी --चाय पिने की इच्छा जाहिर की --पर उन लोगों ने मना कर दिया की अभी चाय का टाइम नही है --खेर, आगे होटल मे पिएगे यह सोच कर चल दीऐ --रास्ते मे  बहुत छोटे -मोटे होटल मिलते है सो ,आगे का सफर जारी रखा --         
कुछ दूर गए थे की जोरदार बारिश शुरू हो गई ---चारो और अँधेरा छा गया --हमारा सफर जारी था -- आगे बारिश बंद थी --
खूब सुरत माहोल में कब टाइम निकल गया पता ही नही चला --रात करीब ८बजे हम पालमपुर पहुचे --होटल का कमरा ठीक -ठाक था --सीज़न ख़त्म हो गया फिर भी कमरों का रेट ज्यादा हे --थकान से ऑंखें बंद हो रही थी --सो सब सो गए ---|
जारी ---- 

7 टिप्‍पणियां:

  1. निसंदेह ।
    यह एक प्रसंशनीय प्रस्तुति है ।
    धन्यवाद ।

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  2. आदरणीय दर्शन कौर जी
    नमस्कार !
    फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  3. खूबसूरत चित्रों से सजी --पालमपुर की सैर बड़ी मनभावन रही ।
    हम तो धर्मशाला तक गए थे एक बार ।
    बहुत सुन्दर क्षेत्र है ।

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  4. धन्यवाद डा.साहेब ,धर्मशाला वाकई में एक खूब सूरत स्थान हे --वापस आने को मन ही नही करता |

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......