डलहोजी
ता. १२ जुलाई
सुबह ८बजे नींद खुली -- अभी भी थकान बाकी थी -- धर्मशाला की याद ताजा हो गई उसी खुमारी में तैयार होने लगे -- अगले पड़ाव की उत्सुकता बनी हुई थी की डलहोजी कैसा होगा ---?
पठान कोट में बहुत गर्मी थी -- उतनी ही गर्मी हम सबके पेट में हो गई -- इस लिए सबसे पहले लस्सी पीने पहुंचे -- पठानकोट की लस्सी बड़ी
फेमस हे - यह बात प्रीत ने बताई क्योकि वो यही का रहने वाला हे --
खेर, बिना नाश्ता किए हम लस्सी पीने चल दिए -- |
लस्सी चांदी के बड़े - बड़े गिलासों में मिलती हे-- हम तो आधा भी नही पी सकते -- इसलिए १\३ करना पड़ा -- नाश्ता तो भूल ही चुके थे क्योकि लस्सी से ही पेट भर चूका था |
ऐ. सी. कार में जब तक बैठे रहे तब तक की पहाड़ियां शुरू नही हो गई --और जैसे ही ऊँची-ऊँची पहाड़ियां शुरू हुई हमने शीशे खोल दिए --
वाह ! क्या नजारा था ! बेमिसाल कुदरत बिखरी पड़ी थी --- ठंडी हवा के झोके गले मिल रहे थे -- मानो पूछ रहे हो 'कहाँ थी इतने दिन ?'
( दूर से खिंचा पहाड़ियों का द्रश्य )
जैसे - जैसे ऊपर जा रहे थे मनमोहक द्रश्यावली मन को मोह रही थी -- बादलो के बीच हमारी कार चली जा रही थी -- धुप आँख मिचोली खेल रही थी -- चीड और देवदार के लम्बे -लम्बे पेड़ हमे बाहों में समेटने को आतुर थे-- चक्करनुमा रास्तो से गाडी भागी जा रही थी --
आगे, कुछ स्थानीय बच्चे गाडियों को रोक कर कुछ बेच रहे थे -- हमने देखा वो नाशपती थे -- एकदम मुलायम ,ताजा ! मेने - "पुछा कितने के है ?" बच्चे बोले - 30रु. के? मै कुछ बोलू इतने में एक बोला -- '20 दे दो मेडम!' मैने देखा करीब 2 किलो के बराबर थे -- हमारे बाम्बे में तो 20रु पाव मिलते हे वो भी इतने ताजा कभी नही मिले -- खेर ,हमने तुरंत लेने में ही अपनी भलाई समझी-- मुझे डर था कही वो १० रु न बोल दे -- मैने फटाफट सारे नाशपती झोले में रखे -- इतने स्वादिष्ट नाशपती, मैने कभी नही खाए थे --
डलहोजी धोलाधार पर्वतश्रंखलाओ के मध्य स्थित एक खूबसुरत पर्यटन स्थल है यह चम्बा जिले में स्थित हे -- उस समय के वायसराय लार्ड डलहोजी को यह स्थान बहुत ही पसंद था - अपनी गर्मी की छुटियाँ वो यही गुजरते थे -- इसतरह इस पर्वतीय स्थल का नाम डलहोजी ही पड गया | समुद्र -तल से इसकी उंचाई 2036 मीटर हे -- लक्ष्मी नारायण मन्दिर यहाँ का प्रसिध्द मन्दिर हे | डलहोजी दुसरे पर्यटन स्थल की तरह भीड़ - भाड वाला न होकर सुनसान और शांत हे -- यहाँ की दुकानो में देशीपन झलकता हे -- आधुनिकपन न के बराबर हे -- यहाँ होटल भी अच्छे व् मध्यमवर्गीय हे - रेस्तरा में शराब नही बिकती हे -- हा, खाना वेज नानवेज दोनों मिलता हे -- पाव भाजी बिलकुल न खाए क्योकि यह कद्दू की बनी होती हे और वो मुझे जरा भी पसंद नही आई -- 'ममोज ' जरुर अच्छे लगे जो स्थानीय लोग निचे बैठकर गर्म - गर्म बनाते हे सस्ते भी हे १० रु का एक ! यहां का मालरोड बहुत छोटा हे -- तिब्बत मार्केट भी हे -- जहाँ से हमने कुछ शाले खरीदी --
१२बजे हम डलहोजी पहुँच गए -- सीधे सुभाष चोक पहुचे -- यहां काफी टेक्सियाँ खड़ी थी -- बस स्टेंड भी यही था -- यही से चम्बा और खजियार के लिए वाहन मिलते हे -- लेकिन हमको होटल चाहिए था सस्ता, सुन्दर, टिकाऊ सो; मिल गया -- 900 रु किराया पर --
(पतिदेव आराम के मुड में )
( ऊपर होटल से लिया फोटो )
(थोड़ी देर में ही ये बदलो का झुण्ड न जाने कहा से आ गया )
( होटल हालीडे प्लाजा )
होटल में हमको पंहुचा कर प्रीत चला गया -- कल से उसके कालेज खुल रहे थे और उसे धर भी जाना था -- हमने खाना खाने को कहा तो उसने मना कर दिया बोला धर जाकर ही खाउगा -- बहुत अच्छा लड़का लगा -- बेटे की कमी पूरी कर दी थी -- बेटा सन्नी ( IT इंजिनियर ) हमारे साथ नही आया - उसको आफिस से छुट्टी नही मिल सकी -- वैसे उसे धुमने में खास दिलचस्पी नही हे -- फ़ुटबाल-कप भी चल था-- न आने का एक कारण यह भी था- फिर हमारे 'शेडो' (पप्पी ) का ख्याल भी उसी को रखना पड़ता हे -- खेर, हमने खाना मंगवाया और थोडा आराम करने लगे -- शाम को माल रोड जो धुमना हे--
आदरणीय दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत ही अच्छा लगा डलहोजी का सफ़र
आप लोग कितने खुशनसीब हैं ....
डलहोजी की सचित्र सैर कराने के लिये धन्यवाद|
खूबसूरती को बहुत सुन्दर कैद किया है
जवाब देंहटाएंਬਹੁਤ ਹੀ ਵਧੀਆ ਯਾਤਰਾ ਕਰਾ ਰਹੇ ਹੋ ਤੁਸੀਂ.ਮੁਬਾਰਕਾਂ.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया वर्णन , आपने तो हमें भी बैठे - बैठे डलहौजी की सैर करवा दी , धन्यवाद् !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर यात्रा वृतांत ।
जवाब देंहटाएंडलहौजी में पानी की बड़ी कमी रहती है गर्मियों में ।
अब खजियार की सैर भी करवाइए ।
Beautiful narration !
जवाब देंहटाएंडा. साहेब ,बस आ ही पहुचे खजियार में !खजियार की तो बात ही निराली हे --वेसे लगता हे काफी धुमक्कड़ तबियत हे जनाब की !
जवाब देंहटाएंदिनेश रोहिला जी, डा.ZEAL आपका स्वागत हे --
जवाब देंहटाएंहमेश की तरह नम्बर वन संजय जी आपका शुकिया |
सगेबोब जी आपका बहुत -बहुत शुक्रिया | पंजाबी में लिखना बहुत सुकून वाला रहा |
bahut khoob likha aapne.... yadi aap chahen to mere paper voice of asians ke liye voiceofasians@hotmail.com per bhee bhej sakti hain. dhanyavaad
जवाब देंहटाएंकाफी सुन्दर जगह है
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