(होटल के अन्दर से लिया गया चित्र )
13 जुलाई 2010
सुबह ७ बजे ही नींद खुल गई --होटल से ही नाश्ता मंगवाया --सब तैयार हो रहे थे --मैने अपनी कुछ तस्वीरे निकाली--आखिर होटल की भी तो याददास्त होनी चाहिए--मोहन भी आ गया था हमने चेक-आउट किया और चले अपने सफर पर गुनगुनाते हुए--डलहोजी की सुंदर तस्वीर आँखों में लिए हुए..
( और यह मेरा चित्र ..होटल के अंदर से )
(जाते-जाते मालरोड का एक और चित्र )
जाते समय एक बार फिर मालरोड आए --सुबह का नजारा देखने पर दिन में खास भीड़ नही थी --बच्चो को कुछ खरीदना भी था--मोहन का धर नजदीक ही था वो हमे अपना धर दिखने ले गया --उसे कुछ कपडे भी लेने थे--उसका धर देखकर हमारी आँखे खुली रह गई --आप भी देखिए --
और अब हम जा रहे हे शहीद सरदार भगतसिंह के चाचा शहीद अजित सिंह की समाधी देखने 'पंचकुला' में --स्वतंत्रता सेनानी शहीद अजीतसिंह को कौन नही जानता --अपने देश के लिए उन्होंने कई आन्दोलन किए --अपना सारा जीवन आजादी की लड़ाई में वार दिया --उन्ही के नक्शे -कदम पर उनका भतीजा शहीद भगतसिंह चले --अपने जीवन का आखरी वक्त उन्होंने डलहोजी मे ही गुजारा --आजादी के एक दिन पहले उन्होंने आखरी साँस ली थी --जहाँ उनकी समाधी हैं वहां ५ पुल बने हैं ...यहाँ का पानी पिने से कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं --ऐसी स्थानीय मान्यता हैं ---
( शहीद सरदार अजितसिंह का स्मारक )
(उनकी अंतिम- स्थली )
( रास्ते का द्रश्य )
(रास्ते की मन मोहक द्रस्यावली )
और अब खजियार की और -डलहोजी से मात्र आध एक घंटे का सफर ---
खजियार का रास्ता बेहद रमणीय हे ऊँचे - ऊँचे परवत ,लम्बे देवदार और चीड के पेड़, नीची घाटियाँ और लहरदार घाटियों पे आलू की खेती ! आलू के फूलो से सारी घाटी बहुत सुन्दर दिखाई दे रही थी --इन आलुओ को 'पहाड़ी -आलू 'कहते हे -- सारी घाटी पे बादल ऐसे धूम रहे थे मानो 'घाटी की रक्षा कर रहे हो ---
(पर्वत पे बादलो का पहरा )
(दूर sss आलुओ की खेती और हम )
( भाई--क्या मंज़र हैं )
(वापस खजियार की और)
पहाड़ी रास्तो से हमारी गाडी दोड़ी जा रही थी -- मोहन नोजवान ड्रायवर हे ,यहाँ के पब्लिक स्कुल में पढ़ा -लिखा हे --यही का निवासी हे ,उसके पास ३ कारे हे -जिससे उसकी आजीविका चलती हे -- सिर्फ सीजन में ही कमाई होती हे बाकी टाइम फालतू निकलता हे--सीजन में वो अपना घर भी किराए से दे देता हे --जिसके वो 12 हजार रोज के वसूल करता हे ---
जारी ---
जारी ---
8 टिप्पणियां:
आदरणीय दर्शन कौर जी
नमस्कार !
बहुत ही सुन्दर सैर तस्वीरों के साथ
aaj ki post par bahut hi sunder photos hai.......
blog par aane kie liye .......bahut bahut ...dhanyawaad
aur ha darshan kaur ji....meri bahan pooja hi hai jo mandsor me rehti hai
@धन्यवाद संजयजी ,मै समझ गई थी --इसलिए उनके ब्लोक पर भी गई थी --बहुत अच्छी कविता लिखती हे |
आदरणीय दर्शन कौर जी
नमस्कार !
पहले धर्मशाला , की पोस्ट ..अब डलहौजी और खजियार की तस्वीरें देख कर अपना शहर याद आ रहा है ...कितना सुंदर वातावरण है डलहौजी और खजियार का एकदम शांत और सुंदर ...फिर तो आप चंबा भी गयी होंगी न ....चंबा की रावी नदी , भूरी सिंह संग्राहलय , चंबा का लक्ष्मी नारायण मंदिर और भी बहुत कुछ है ...चंबा में, चंबा की चप्पल , और रुमाल तो विश्व प्रसिद्ध हैं ....आपका आभार ...
I really enjoyed reading the posts on your blog.
@केवल राम जी गलती बताने के लिए धन्यबाद --सीमित टाइम होने की वजय से चम्बा नही जा सके इसका मलाल रहेगा !
@राजीव जी ,अपना कीमती टाईम निकल कर मेरे ब्लोक पर आना अच्छा लगता हे|
खजियार के दृश्य बहुत अच्छे हैं
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