डलहौजी भाग 4
खजियार!उफ़ यह बारिश
सुबह -सुबह डलहौजी से निकल कर खजियार की और जा रहे हैं --डलहौजी से खजियार का रास्ता मुश्किल से एक घंटे का भी नही हैं --पर पहाड़ी रास्ता वह भी खतरनाक रास्ता होने की वजय से एक घंटा लग जाता हैं --गाडी बहुत संकरे रास्ते से गुजर रही हैं --दूर तक कोई वाहन नजर नही आ रहा हैं --घना जंगल हैं .. ऊँचे -ऊँचे देवदार के पेड़ हैं --कई बार जंगली जानवर सडक पर आ जाते हैं --कुछ ऊँचे एक समान पेड़ो को मोहन 'मदर ट्री' कहकर बता रहा था -रास्ता बहुत घुमावदार था --कई बार लगता था की गाडी नीचे खाई में अब गिरी -अब गिरी---
डलहौजी भाग 3 पढने के लिए यहाँ क्लिक करे
जंगल में मैने कई पेड़ कटे हुए देखे--जो सड़ गए थे , मोहन से पूछा की कोई इन्हें ले क्यों नही जाता--? मोहन बोला --"मैडम जी ये पेड़ अपने आप गिरे हैं --इनहे कोई नही ले जा सकता --ये युही सड़ जाएगे --क्योकि पहाड़ के कानून के हिसाब से पेड़ काटना खून करने के बराबर हैं -आदमी को उम्र कैद हो सकती हैं यदि कोई ले जाता हुआ भी पकड़ा गया तो उसकी खेर नही--हमारे डलहोजी का कानून बड़ा सख्त हे --" | मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ क्योकि रोज हम समाचारों में पढ़ते हैं की तेजी से विकास होने के कारण पहाड़ो पर पेड़ कट रहे हैं जिससे हमारे पर्यावरण को खतरा हैं अब ,मै किस का विश्वास करू मोहन का या खबरों का ---?
आखिर हम खजियार पहुँच ही गए ---
चित्र में जो झील दिखाई दे रही हैं वो प्राकृतिक हैं ... ये खजियार की फेमस झील हैं --इस झील का निर्माण उल्का -पिंड के टकराने से हुआ हैं --विश्व में ऐसी 3 झीले हैं जिनका निर्माण उल्का पिंड के टकराने से हुआ है :--
(१) अमेरिका के एरिजोना में स्थित हैं ।
(२) महाराष्ट्र के बुल्घना जिले में लुनार झील ।
(३) चम्बा जिले के खजियार में ,खजियार झील !
यह झील करीब 50 हजार साल पुरानी हैं --यह 5 हजार वर्गफुट क्षेत्र में फैली है --झील के बीचोबीच एक टापू बना हैं ... जहां सैलानियों के बैठने की जगह हैं --टापू तक पंहुंचने के लिए छोटा -सा पुल बना हैं --जहां बैठकर हम खजियार का सोंदर्य निहार सकते हैं -यहाँ की हरियाली ,नशीली हवाए ,तन-मन को मदहोश करती हैं --यहाँ कई होटल भी हैं --बाज़ार वगेरा नही हैं --कोई मालरोड नहीं है ...सिर्फ ठेलो पर चाय व् उबले अंडे मिलते हैं ...और मेंगी भी ... हाँ, गर्मागर्म भुट्टे भी बिक रहे थे --रेस्तरा भी हैं --जहां सब मिलता हैं --
(मैदान मे बंधा हुआ एक याक )
खजियार पहुँचकर हम सीधे माता जगदम्बे के मंदिर में गए --यहाँ की धर्मशाला में प्रीत के पापाजी ने हमारे लिए रूम बुक किए हुए थे --वो इस ट्रस्ट के मेंबर हैं और हर मेंबर को रहना और खाना फ्री हैं --बच्चे मंदिर का नाम सुनकर बिदक गए बोले --' होटल जाना हैं '! मैने कहा --ठीक हैं यदि पसंद न आया तो होटल चले चलेगे --सबने 'हाँ 'कर दी
हम मंदिर की ओर चल दिए --
मंदिर नया ही हैं 1999 में ही बना हैं --तीन मंजिला भव्य इमारत बनी हुई हैं --काफी सुंदर द्रश्य हैं पास ही शंकर जी की विशाल प्रतिमा बनी हैं जो 81फीट की हैं यह समुद्र तल से 6500 फुट की ऊंचाई पर बनने वाली इकलौती विशाल प्रतिमा हैं ---
शिव जी की 81 फिट की विशाल प्रतिमा )
(माँ जगदम्बे का मंदिर )
मन्दिर के पास ही करीब 30-40कमरे बने हुएहैं जो किसी भी होटल के रूम से अच्छे हैं --सबको रूम पसंद आए --रूम के पीछे का द्रश्य तो लाजबाब था...आप भी देखिये ;.....
सामान रखा ही था की मन्दिर का सेवक आ गया --बोला--" आचार्य जी ने बुलवाया हैं ... खाना तैयार हैं " --आचार्य जी (बी .एस भूरिया )मन्दिर के व्यवस्थापक हैं --वही मंदिर सम्भालते हैं .. उनका परिवार साथ ही रहता हैं -- -हम भोजन-कक्ष में पहुंचे पंद्रह -बीस लोग खाना खा रहे थे --टेबल पर खाना रखा था --सेल्फ सर्विस थी --पास ही कुर्सिया लगी थी --खाना बहुत स्वादिष्ट था --खाने के बाद चाय भी थी -खाने के बर्तन खुद मांजने पड़ते हैं ....यहाँ काफी ठंडी थी ।
खाना खाकर हम मैदान की और चल पड़े--निकले ही थे की बूंदा-बांदी शुरू हो गई--मोहन बोला--'कुछ देर बाद बंद हो जाएगी तब तक हम कार में ही बैठते हैं | हम लाचार से गाडी में ही बैठे रहे --पहाड़ो पर कब बारिश हो जाए कुछ पता नही चलता -- काफी वेग से बारिश हो रही थी लगता था की अब हमें यू ही वापस जाना पड़ेगा ...
खाना खाकर हम मैदान की और चल पड़े--निकले ही थे की बूंदा-बांदी शुरू हो गई--मोहन बोला--'कुछ देर बाद बंद हो जाएगी तब तक हम कार में ही बैठते हैं | हम लाचार से गाडी में ही बैठे रहे --पहाड़ो पर कब बारिश हो जाए कुछ पता नही चलता -- काफी वेग से बारिश हो रही थी लगता था की अब हमें यू ही वापस जाना पड़ेगा ...
( कार में बैठी हु बाहर बारिश हाएं ठंडी भी गजब की हैं )
काफी टाईम गुजर गया--पर बारिश नही रुकी--सभी लोग अपनी कारो में बैठे थे --नजदीक के ठेले वाले गरमा-गर्म चाय पिला रहे थे --कार में बैठे हुऐ जब काफी टाईम हो गया तो वापस मंदिर चल पड़े--मज़ा किरकिरा हो गया था --रूम में जाकर हम सो गए --
करीब पांच बजे बारिश रुकी--हम फटाफट मैदान की तरफ दौड़ लिए..मौसम बहुत ही सुहाना हो गया था--मैदान में पानी भरा हुआ था-घास गीली थी-हम हाथो में छतरी लिए टहलने लगे--धीरे -धीरे दुसरे सैलानी भी आने शुरू हो गए अच्छी खासी भीड़ हो गई --
धुप भी निकल आई --बड़ी शानदार जगह लगी --चारो तरफ देवदार के घने पेड़ --पेड़ो के बीच यह लम्बा -चौड़ा घास भरा मैदान --स्थानीय बच्चे हाथो में फुल और खरगोश लिए धूम रहे थे --सब पैसे देकर तस्वीरे खिचवा रहे थे बड़ा ही मनोरम स्थान लगा ... इसे कैमरे में कैद नही कर सकते--आँखों में बसाना जरुरी हैं --
स्थानीय बच्चे खरगोश और फूलो के साथ
( खिली हुई धुप का मज़ा )
( पीछे रेस्टोरेंट दिखाई दे रहा हे )
( ज़ोर्बिंग बाँल )
( रेस्टोरेंट )
अँधेरा हो चला था--हम भी लौट आए --क्योकि मोहन का कहना था की रात होते ही यहाँ जंगली जानवर आ जाते हैं ... सो हमने निकलने में ही अपनी भलाई समझी --वैसे काफी सैलानी जा चुके थे -
आज का दिन मेरे जीवन का बेहद महत्वपूर्ण दिन रहा --यह सफर यादगार रहेगा --वैसे यहाँ की एक कहावत हैं --"जो एक बार यहाँ आता हैं वो यही का हो जाता हैं "यह कहावत हम पर तो ठीक बैठती हैं --मैंने जिन्दगी में कई स्थान देखे है पर खजियार जैसा दूजा नहीं ....
रात को मन्दिर की आरती में पहुंचे--बड़ा सुकून मिला --बाहर काफी ठंड थी हम मन्दिर के आँगन में बैठे चाय की चुस्किया ले रहे थे -काफी लोग जमा थे --ठंडी-ठंडी हवा के झौंके मन को प्रफुल्लित कर रहे थे---ठंडी से बुरा हाल है ...
यदि आपको किसी को जाना हो तो पता हैं --
जय जगदम्बे मन्दिर प्रबन्धक कमेटी ,खज्जियार!
(नजदीक डलहोजी )जिला --चम्बा (हिमाचल प्रदेश )
फोन न. --01899-236347
जारी ----
(मन्दिर के आँगन में चाय का मज़ा )
( मंदिर के अंदर का द्रश्य )
इस मन्दिर में कई फ़िल्मी हस्तियाँ आ चुकी हैं --महेंद्र कपूर,अनूप जलोटा, अनुराधा पोडवाल,रविन्द्र जेन,लखवीर सिंह'लक्खा',जसपिंदर नरूला इत्यादि | इन्होने यहाँ माता की भेंटे गाकर समय बाँध दिया था --यदि आपको किसी को जाना हो तो पता हैं --
जय जगदम्बे मन्दिर प्रबन्धक कमेटी ,खज्जियार!
(नजदीक डलहोजी )जिला --चम्बा (हिमाचल प्रदेश )
फोन न. --01899-236347
जारी ----
यह अंक भी अच्छा रहा .....आपका आभार मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए ....आप अपना आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखना ....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंदेर से पहुँचने के लिए मुआफी.
जवाब देंहटाएंचंबा और खाजिआर की यात्रा भी खूब रही.
आपके लेखन में आपकी सरल हृदयता झलकती है.
आपकी कलम को शुभ कामनाएं.
तसवीरें तो खूबसूरत हैं ही .
यदि आप 'प्यारी मां' ब्लॉग के लेखिका मंडल की सम्मानित सदस्य बनना चाहती हैं तो कृपया अपनी ईमेल आई डी भेज दीजिये और फिर निमंत्रण को स्वीकार करके लिखना शुरू करें.
जवाब देंहटाएंयह एक अभियान है मां के गौरव की रक्षा का .
मां बचाओ , मानवता बचाओ .
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/02/blog-post_03.html
@सगेबोब जी,आने का शुक्रिया !आप की तरह ही साधारण भाषा हे मेरी कोशिश जारी है--
जवाब देंहटाएं@केवल राम जी,सबसे पहले तो इतनी सुंदर जगह रहने के लिए अभिनंदन ! यदि कुछ गलती हो जाए आपके शहर के माहोल के बारे में लिखने में तो प्लीज ssss मुझे जरुर बताए --धन्यवाद
@ डॉ अनवर जमालजी,मै एक साधारण गृहणी हु -- ज्यादा टाईम नही निकाल पाती --फिर भी कोशिश करुगी ---
खजियार की सैर अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंसचमुच, मिनी स्विटज़रलैण्ड है यह।
तस्वीरें बहुत अच्छी लग रही हैं।
बहुत सुन्दर दर्शन कौर जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।
जवाब देंहटाएंकृपया देख लें । और उचित सलाह भी दें । bolg world .com तक जाने के
लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।
@महेंद्र वर्मा जी
जवाब देंहटाएं@राजीव जी
@सत्यम शिवम जी आपका स्वागत हे --इस यात्रा की अंतिम कड़ी जल्दी ही प्रकाशित करुगी --धन्यवाद |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी इन यात्राओं के सचित्र वर्णन के कारण हम भी थोडा लाभ ले पा रहे हैं । धन्यवाद इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये...
जवाब देंहटाएं@धन्यवाद सुशिल जी ,आप जेसे प्रसिद्ध महानुभवो की प्रशंसनीय टिपण्णी की बदोलत मै इतना कर पाती हु शुक्रिया | वेसे २१ फरवरी को इंदौर शादी में आ रही हु यदि टाइम मिला तो जरुर आपसे मुलाकात होगी ,आपकी परमिशन होगी तो ?
जवाब देंहटाएंखाजिआर की यात्रा भी खूब रही.... सभी फोटो बहुत सुंदर हैं ...
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा पूरा व्रतांत ,....
@dhnyvaad nasva sa.
जवाब देंहटाएंयात्राओं के सचित्र वर्णन से सभी को लाभ मिल रहा है
जवाब देंहटाएं..........आपका बहुत बहुत आभार दर्शन कौर जी..
खाजिआर की यात्रा भी खूब रही.....
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा .... धन्यवाद ।
@ वर्षा जी ,आपका प्रथम आगमन हे स्वागत हे आपका मेरे अरमानो में --|
जवाब देंहटाएं@ संजय जी , इसी तरह अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहे --धन्यवाद |
आदरणीया दर्शन कौर जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंआपने जॉर्बिंग बॉल में बैठकर राईड की या नहीं? बहुत मजा आता है।
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा। तस्वीरों के लिये धन्यवाद
ऐसे ही सुन्दर जगहों के बारे में बताते रहें
प्रणाम
-------- यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
जवाब देंहटाएंआईये " हल्ला बोल" के समर्थक बनकर धर्म और देश की आवाज़ बुलंद कीजिये...
अपने लेख को हिन्दुओ की आवाज़ बनायें.
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हमारा पता है.... hindukiawaz@gmail.com
समय मिले तो इस पोस्ट को देखकर अपने विचार अवश्य दे
देशभक्त हिन्दू ब्लोगरो का पहला साझा मंच
क्या यही सिखाता है इस्लाम...? क्या यही है इस्लाम धर्म
बहुत शानदार बुआ जी अब मैं भी जानेका योजना बना रहा हूं।
जवाब देंहटाएं