मेरे अरमान.. मेरे सपने..

शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

ओ माँ sss प्यारी माँ---


बचपन में,  मै अपनी माँ को खो चुकी हु-- अब तो मात्र स्मृतियाँ ही रह गई हे-- 
अपनी  स्वर्गीय माँ के नाम एक प्यार भरी चिठ्ठी ----
ओsssमाँ --प्यारी माँ ---
ओ माँ --मै धरती वासी --
तू परलोक  निवासी --
तू प्यार की मूरत --
मै प्यार की प्यासी --
कहाँ से लाऊ वो स्नेह --
किससे मांगू ममता उधार --
ओsss माँ -प्यारी माँ ---
काश ,के तू होती माँ --
मेरे संग हंसती -खेलती-बोलती  माँ --
मेंरे नैनो के नीर अपने पल्ले से पोछती माँ--
मै जब -जब गिरती --
तू तब-तब सम्भालती माँ --
रातो को जागकर मुझे लोरी सुनाती माँ  --
कभी सहलाती ,कभी सीने से लगाती माँ --
माँ sss प्यारी माँ ---
तुझे याद कर के मेरा  चुप -चुप के रोना --
तकिए  में सिर छुपाए तुझे महसूस करना --
मेरी किसी गलती पर तेरा मुस्कुराना --
मेरी  नादानियो पर तेरा मुंह फिराना --
फिर ,मेरी  बेबसी पर तेरा खिलखिलाना --
मुझे याद हे वो नकली गुस्सा दिखाना --
माँ sss प्यारी माँ ---
अब तो आजा --यह विरह जीवन मुझे काटता हे --
इस  धधकती मरु भूमि में,  मै भटक रही हु --
तेरे  प्यार की एक - एक बूंद को तरस  रही हु --
तू  मृग-तृष्णा न बन --
मेरे   मन- हिरन को अब ,तेरा ही इन्तजार हे 
ओ माँ sss  प्यारी माँ--- 

20 टिप्‍पणियां:

  1. माँ को इंगित कर आपने बहुत सुन्दर रचना लिखी है!

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  2. माँ के लिए बहुत सुंदर लिखा है

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  3. माँ को समर्पित आपकी रचना बहुत ही अच्छी है.
    बहुत ही भावपूर्ण ,मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति है.
    आप की कविता पढ़ के माँ को फ़ोन भी कर आया.
    आपकी कलम को शुभ कामनाएं.

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  4. बहुत ही भावपूर्ण ,मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति है| धन्यवाद|

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  5. "इस धधकती मरु भूमि में, मै भटक रही हु --
    तेरे प्यार की एक - एक बूंद को तरस रही हु -
    ओ माँ प्यारी माँ---"

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  6. @ शास्त्री जी सबसे पहले जन्म दिन की शुभकामना सहित धन्यवाद |
    @ सुशीलजी आपका बहुत -बहुत धन्यवाद |
    @ रोशी जी आपका शुक्रिया |
    @ पतालीजी आपका शुक्रिया |
    @ राकेश जी आपका बहुत -बहुत धन्यवाद
    @ सगेबोब जी ,मेरी कविता पड़ कर आपको अपनी माँ की याद आई बस मेरी कविता सार्थक हो गई --वह तो डॉ. अनवर जमाल सा. के प्रोत्साहन पर मेने माँ पर यह कविता लिखी आप सब को पसंद आई शुक्रिया |

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  7. आदरणीय दर्शन कौर जी
    नमस्कार !
    ........मर्मस्पर्शी माँ को समर्पित बहुत ही अच्छी है

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  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति......आप को बसंत पंचमी की बधाईयाँ।

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  10. @धन्यवाद संजयजी , माँ तो हे ही एहसास का नाम !वसंत पंचमी की ढेरो शुभकामनाए --जल्दी ही वसंत पर मेरी कविता आ रही हे --अभिनंदन----:)

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  11. माँ कहीं नहीं जाती छोडकर , आंसुओं के मध्य खिल्नेवाली मुस्कान माँ ही तो है... ९ महीने का साथ अदभुत होता है

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  12. ऐसी ही होती है मां ।
    सुन्दर रचना ।

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  13. अब सभी ब्लागों का लेखा जोखा BLOG WORLD.COM पर आरम्भ हो
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  14. माँ की ममता ही निराली होती है ।
    धन्यवाद दर्शन कौर जी ।

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  15. @ धन्यवाद डॉ. साहेब |
    @ राजीव जी मेरा ब्लोक आ चूका हे| इसके लिए धन्यवाद |

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  16. दर्शन जी,

    वाकई बहुत मर्मस्पर्शी रचना लिखी है आपने, माँ तो माँ होती है, खुदा से भी ऊपर दर्ज़ा है माँ का!

    मैंने भी कुछ वक़्त पहले माँ को ध्यान रख के एक रचना लिखी थी, शायद आपको पसंद आएगी!

    http://shayarichawla.blogspot.com/2010/05/blog-post_08.html

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  17. सुरेन्द्र जी ,आपके ब्लोक पर आकर आपकी रचनाए पढ़ी --बहुत सुंदर लिखा हे --मेरे अरमानो पर आपका स्वागत हे |

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......