14 जुलाई 2010
डलहोजी की यात्रा की आज अंतिम किस्त हे --कल ही हम आए थे --वेसे तो हमारा २दिन का रूम बुक था पर हमारे पास समय थोडा हे --कल हमे वापस बाम्बे की गाडी पकडनी हे ---
डलहोजी की यात्रा की आज अंतिम किस्त हे --कल ही हम आए थे --वेसे तो हमारा २दिन का रूम बुक था पर हमारे पास समय थोडा हे --कल हमे वापस बाम्बे की गाडी पकडनी हे ---
सुबह देर तक सोते रहे --ठंड बहुत थी --पर धर्मशाला में पर्याप्त रजाइयां थी |इसलिए कोई परेशानी नही हुई--चाय सुबह ही धर्मशाला के सेवक दे गए और नाश्ते के लिए बोल गए ---यहाँ बड़ी ठंडी हे ---
हम सब रेडी होकर पहले माता के मन्दिर गए --दर्शन करके जेसे ही बाहर आए --वाह ! क्या समा था --देखकर तबियत खुश हो गई --मोसम एकदम साफ था --दूर तक धुप फेली हुई थी शिव जी की प्रतिमा धुप में खिल रही थी--दूर पहाड़ो पर बर्फ दिखाई दे रही थी --धुप में सोने की तरह चमक रही थी --वहां एक नया दर्रा हे जो तेजी से विकसित हो रहा हे --सेवको ने बताया की आप सुबह गाडी से वहां जाए २-३ घंटे में पहुँच जाएगे -वहां आपको बर्फ मिलेगी --दोपहर तक वापस आ सकते हे --लेकिन हम नही जा सके -अगली बार के लिए रखते हे --फिर आएगे, जरुर ---
(धर्मशाला के कमरे में बेठे हुए मिस्टर )
(पहाडियों का मनोरम द्रश्य जहाँ बर्फ सोने के समान चमक रही हे )
(पीछे मन्दिर दिखाई दे रहा हे )
अब,वापसी का टिकिट कटाने का टाइम आ गया हे--हम नाश्ताकरनेभोजन -कक्ष में चले गए--आज नाश्ता बहुत अच्छा था --पूरी- छोले साथ में हलवा भी था--गर्मागर्म चाय क्या कहने --!
मन्दिर में कुछ दान -दक्षना कर के हम फ्री हुए --इस खूब सुरत जगह से जाने को मन ही नही था --सबका मन उदास हो चला ---
(पीछे मंदिर के कमरे दिखाई दे रहे हे )
अलविदा !अलविदा !!अलविदा !!! खजियार , जल्दी ही मुलाकात होगी ---
मोसम बहुत खुश गवार हो गया था, धूप थी पर हवा के ठंडे झोके बड़े प्यारे लग रहे थे --पहाड़ो पर धुप तेज लगती हे पर ठंडी हवाए गर्मी महसूस करने नही देती --
रास्ते की द्रस्यावली बेहद हसीन थी--पहाड़ो पर धूमती कार --नीचे कतार में सजे खेत --उन पर आलू की खेती -उस पर लगे फुल बेहद सुंदर नजारा था --ऐसा नजारा जो आँखों में बसा तो सकते हे पर कागज पर उतार नही सकते
(सीढ़ीनुमा खेत )
( रास्ते की सुंदर द्रस्यावली फूलो के साथ )
(स्कुल की बाउंड्री शुरू हो गई--पतिदेव गुनगुनाने के मुड में )
(डलहोजी का फेमस पब्लिक स्कुल )
(सडक की सजावट गमलो दूवारा)
और अब हम जा रहे हे पठान कोट --सारा खुबसूरत नजारा पीछे छोड़ कर --वापस अपनी दुनिया में --जहां न ये नजारे होगे --न पहाड़ --न हवाए --न ये फिजाए ----
फिर मिलेगे ---
(पटना सा.(बिहार ) की यात्रा --जल्दी ही ---दर्शन )
boht sohni yaarta rahi tuhaadi....
जवाब देंहटाएंkhajiyaan nu tuhaada intezaar rahegaa!
आदरणीय दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बहुत ही सुन्दर सैर तस्वीरों के साथ बहुत खूबसूरत हैं
यात्राओं के सचित्र वर्णन धन्यवाद इस खूबसूरत प्रस्तुति के लिये...
आपने ब्लॉग पर आकार जो प्रोत्साहन दिया है उसके लिए आभारी हूं
जवाब देंहटाएं...आप अपना आशीर्वाद यूँ ही बनाये रखना
यात्राओं का सचित्र सुंदर वर्णन , खूबसूरत प्रस्तुति ......
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा का सुन्दर अंत.
जवाब देंहटाएंबहुत ही दिलचस्प वर्णन किया है आपने.सच में यहाँ रहते हुए भी हम बहुत नज़ारे नहीं देख पाते,जो आपके सफ़रनामे ने दिखा दिए.आपकी कलम को सलाम.
एक बात जो आपने पालमपुर यात्रा में मिस की वो है सोभा सिंह आर्टिस्ट की कर्मशाला जो पालमपुर से महज़ १२ किलोमीटर दूर थी.
आप www.sobhasinghartist.com पर जाकर देख सकती हैं कि आप ने क्या मिस किया.उम्मीद है जब आप दुबारा आयेंगी तो कला के इस मंदिर के दर्शन जरूर करेंगी.
सादर.
खूबसूरत प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सैर का सचित्र सुंदर वर्णन| खूबसूरत प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चित्र और खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंhttp://veenakesur.blogspot.com/
संतोष जी ,मेरे ब्लोक पर आने का शुक्रिया !
जवाब देंहटाएं@सुरेन्द्र जी ,तुवानु साड्डी यात्रा पसंद आई ,धन्यवाद जी --जल्द ही दसमेश दरबार दी यात्रा शुरू करने वाली हंन --तुसी जरुर आन की किरपा करे |
जवाब देंहटाएं@संजय जी ,आपकी तस्वीर अच्छी लगती हे क्यों हटा दी ?
जवाब देंहटाएं@सुनील जी धन्यवाद |
@पताली जी धन्यवाद|
@ वीनाजी पहेली बार आने के लिए धन्यवाद |
इस सफर में हमें भी शामिल करने का आभार.
जवाब देंहटाएंसदाबहार देव आनंद
बहुत सुन्दर यात्रा वर्णन
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया
आभार
@सगेबोब जी ,सचमुच मुझे पता नही था की स. शोभासिह जी की आर्ट गेलरी पालमपुर में हे वरना मै जरुर जाती --मेरे घर उनकी प्रिंट की हुई बाबाजी की तस्वीरे हे बताने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं@अभिषेक जी , आपका स्वागत हे धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं@ Creative Manch,आपका स्वागत हे धन्यवाद |
बहुत सुन्दर दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
आदरणीया दर्शन कौर धनोए जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आपके साथ खजियार से पठान कोट की यात्रा करके बहुत अच्छा लगा । इतना सजीव वर्णन और शानदार चित्र ! वाकई मज़ा आ गया …
अब अगली यात्रा कब करवा रहे हैं ? :)
बसंत पंचमी सहित बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जल्दी ही राजेंद्र जी --अगली यात्रा बिहार की (पटना साहिब )धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआद. दर्शन कौर जी,
जवाब देंहटाएंसचित्र और सजीव यात्रा संस्मरण पढ़कर अच्छा लगा !
आपके बहाने हम भी घूम लिए।
जवाब देंहटाएं---------
ब्लॉगवाणी: एक नई शुरूआत।
बिना किसी बनावट के साधारण शब्दों में अच्छा लिखा है चित्र भी अच्छे है। पहाडों में आपका मन बसता है इसलिए उत्तराखण्ड के मंदिरों के बारे कुछ जाने ।
जवाब देंहटाएंhttp://sunitakhatri.blogspot.com
@ज्ञानचंद मर्मज्ञ
जवाब देंहटाएं@Sunita Sharma
@ज़ाकिर अली ‘रजनीश'dhanyvaad |
bahut badhiyaa... burf pighlenge jab pahaadon se tab phir ghum lenge
जवाब देंहटाएंयात्रा पूरी हुई । हम भी खूब घूमे आप के साथ इस सुहाने सफ़र पर । आभार ।
जवाब देंहटाएंअपना चंबा भी अचम्भा ....और आपका वहां जाना ...
जवाब देंहटाएंचलो आप से वृतांत सुन कर लगा की हम भी इस वादियों में भ्रमण कर लिए..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंमनोहारी विवरण प्रस्तुत किया आपने यात्रा का.
जवाब देंहटाएंजल्दी ही डलहौजी-खजियार-चम्बा जा रहा हूं। कुछ सलाह और हिदायतें देनी हों तो कृपया जरूर दीजिये। धन्यवाद।
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