२८ अगस्त 2010
(पटना साहेब !गुरु गोविन्द सिंह जी का जनम- स्थान !)
आज मै एक धार्मिक -यात्रा कर रही हु --हमारे गुरूद्वारे के स्त्री -जत्थे के साथ ! साथ में मेरे पतिदेव ,मेरी अजीज सहेली रेखा और उसकी मम्मी भी है --बच्चे नही आए --क्योकि उनके कालेज खुल चुके हे ---
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस ( वी.टी.) से रात को ग्यारह बजे चलने वाली राजेंद्र नगर एक्सप्रेस से हमारा रिजर्वेसन था --हम चारो सेकंड ऐ सी में बैठ गए बाकी की लेडिस सेकंड क्लास में थी --सफर परसों सुबह तक का था --गर्मी बहुत थी --बिहार में वेसे भी गर्मी बहुत पडती हे --खेर,
(मिस्टर ट्रेन में मैगज़ीन का आनंद लेते हुए )
चलिए ---चलते -चलते आपको पटना साहेब का इतिहास बता दू--आप सोच रहे होगे की इतना बड़ा पंजाब छोड़कर हमारे गुरु को यहाँ बिहार में गंगा किनारे जन्म लेने की क्या जरूरत थी ---?
गुरु गोविन्द सिंह जी के पिताजी सिख धर्म के ९वे धर्मगुरु थे --उनका नाम गुरु तेगबहादर जी था --सन १६६६ ईसवी में जब वे धर्म प्रचार करते हुए बिहार पहुचे तो उनकी पत्नी माता गुजरी माँ बनने वाली थी ,ऐसी हालत में वो सफर करने लायक नही थी इसलिए उन्होंने अपने एक विशवास -पात्र अनुयायी के यहाँ उन्हें छोड़ दिया-- और खुद प्रचार करने निकल पड़े --
यही बालक गोविन्द का जनम २३ दिसम्बर १६६६ को हुआ--
६ वर्ष तक बालक गोविन्द यही पर रहे --यही उनकी बाल लीलाए हुई --जहाँ आज गुरुद्वारे खड़े हुए रोनक बखश रहे हे ---
बाद में; ६ साल बाद जब वे वापस बिहार आए तो अपने साथ माँ -बेटे दोनों को आनंदपुर साहेब ले गए |
दिनांक ३०अगस्त २०१०
सुबह ६ बजे गाडी राजेंद्र नगर स्टेशन पर पहुंची पर हमे यहाँ नही उतरना था क्योकि यह गाडी सीधी पटना साहेब स्टेशन ही जाएगी --स्टेशन का नाम ही ' पटना- साहेब ' हे--यहाँ बेहद गर्मी हे ,धुल -मिटटी से बुरा हांल हे --सुबह का यह नजारा हे, दोपहर को क्या होगा ?
सुबह ६ बजे गाडी राजेंद्र नगर स्टेशन पर पहुंची पर हमे यहाँ नही उतरना था क्योकि यह गाडी सीधी पटना साहेब स्टेशन ही जाएगी --स्टेशन का नाम ही ' पटना- साहेब ' हे--यहाँ बेहद गर्मी हे ,धुल -मिटटी से बुरा हांल हे --सुबह का यह नजारा हे, दोपहर को क्या होगा ?
टेम्पो करके हम गुरुद्वारा पहुंचे --दो मज्ज़िदो के बीच गुरुद्वारे का गेट देखकर थोडा अजीब लगा पर जब अंदर पहुंचे तो विशाल आँगन को देखकर हमारी ख़ुशी का ठिकाना न रहा --पर संगत(लोग )बिलकुल भी नही थी--सिख धर्म के स्थापक गुरुगोविंद सिंह जी के जन्म स्थान पर संगत का न होना आश्चर्य की बात थी ---
पास ही आफिस था एक रूम का किराया १००रु.!रूम ठीक थे पर ऐ.सी रूम नही मिले --गर्मी बहुत थी ,कैसे रहेगे! पर हमे बड़े पंखे मिल गए --हम तो होटल जाने वाले थे पर दुसरे लोग तेयार न हुए-- मजबूरी वश हमे भी वही रुकना पड़ा --| खेर, यात्रा करने आए हे--तफरीह करने नही --?
नहाधोकर तैयार हो गुरुद्वारे चले --माथा टेकने --सबसे पहले प्रशाद खरीदा यहाँ दो तरह का प्रसाद मिलता हे --कड़ा प्रसाद ,पिन्नी प्रसाद |
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(शास्त्र दिखाते हुए पाठी )
( गुरूद्वारे के अंदर का द्रश्य )
( माता गुजरी का पवित्र कुआं )
(चोला साहब का इतिहास )
(ग्रन्थ साहेब की सवारी )
बहुत अच्छा माहोल था --रागी जत्थे शबद-कीर्तन कर रहे थे --यहाँ थोड़ी संगत जरुर थी पर हुजुर साहेब (नांदेड ) से १०% भी नही थी | सबने बैठकर सुखमनी -साहेब का पाठ किया --प्रसाद चडाया, फिर अरदास के बाद नाश्ता करने पीछे की तरफ चल दिए --यहाँ नाश्ते का कमरा अलग हे और लंगर का हाल अलग हे --यहाँ के सेवादार बड़े भले हे --सबसे अदब से पेश आते हे --सुबह -सुबह भूख जोरो की लग रही हे-- हम सब पंगत में बेठ गए --वाह ! क्या नाश्ता हे --पराठे के साथ कड़ी ,वह भी पकोड़ो वाली --साथ में चाय भी --
( नाश्ते का लुत्फ़ उठती रेखा पीछे पतिदेव भी )
(सफर के बाद मजेदार गरमा - गरम पराठे -कड़ी का नाश्ता)
नाश्ते के बाद हम वही गुरुद्वारे में धुमने लगे पास ही गली में मार्किट हे जहाँ गुरमत से सम्बंधित पुस्तके और सामान मिलता हे --आचार-बड़ियोकीबड़ी दुकाने हे यहाँ ,हमने कुछ सामान खरीदा --वापस रूम में आ गए --
शाम को ५ बजे हम वापस गुरूद्वारे पहुंचे- रहिरास साहिब का पाठ चल रहा था --बाद में कीर्तन शुरू हो गया --करीब ८बजे सुखासन हुआ इसमे सिरकत करके हम लंगर -कक्ष्य में खाने चल दिए --
(रात को आरती करते हुए पाठी जी )
(आरती करते हुए ज्ञानी जी )
(बाहर खुले आगन में बैठे है )
(रात को कुछ सहेलियों के साथ गुरूद्वारे के बाहर )
(सुखासन के बाद वापस जाते हुए )
रात को गुरुद्वारे में आरती होती हे --वेसे हमारे धर्म में मूर्ति -पूजा,आरती मना हे पर नांदेड साहेब में भी आरती होती हे और यहाँ भी --क्योकि गुरु गोविन्द सिंह जी एक योध्या भी थे और शास्त्र रखते थे इसलिए मान्यता हे की शास्त्रों की पूजा करनी चाहिए सो ;यहाँ भी शास्त्र रखे हुए हे और उनकी ही आरती होती हे --यह मेरी राय हे ? हो सकता हे इसके पीछे कोई और कारण हो---? कल के लिए एक गाडी किराए पर की हे --पटना धुमने के लिए --
रात को हम वापस कमरों में आ गए --गर्मी बहुत हे --पर रात सुहानी हे --कल हमे धुमने जाना हे --राजगीर,नालंदा !देखते हे कहाँ कहाँ जाते हे --
जारी---
darshan ji bahut sundarta ke sath yatra ka varnan kiya hai .badhai .
जवाब देंहटाएंगुरु गोविन्द सिंह जी का जनम- स्थान पटना साहेब के विषय में फोटो सहित इतनी अच्छी जानकारी देने के लिये धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहमारा भी मन करने लगा गुरु गोविन्द सिंह जी का जनम- स्थान पटना साहेब के दर्शन का........
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
“वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।
एक निवेदन...............सहयोग की आशा के साथ.......
जवाब देंहटाएंमैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
आपका यात्रा संस्मरण बहुत बढ़िया रहा!
जवाब देंहटाएंyatra ke sath sath guru govind singh ke bare men bhi jankari deti chali gayin achhi post ,badhai
जवाब देंहटाएं@शिखा जी धन्यवाद |
जवाब देंहटाएं@शास्त्री जी धन्यवाद |
@सुनीलजी,कोशिश करुगी अपने गुरु के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की धन्यवाद |
@ वृक्षा रोपण जी,आपकी कोशिश सराहनीय हे धन्यवाद |
वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फ़तेह!
जवाब देंहटाएंहाजरा हुज़ूर गुरु गोबिंद सिंह, जाहरा ज़हूर गुरु गोबिंद सिंह!
बहुत बहुत शुक्रिया, महाराज दे जन्म स्थान दा दर्शन करान लई!
@ अगे दी यात्रा बिच्चा तुआडी सिरकत जरूरी हे सुरेन्द्रप्राजी !
जवाब देंहटाएंपटना साहिब की यात्रा बहुत ही खूबसूरत है.गुरद्वारा साहिब के दर्शन किये,आनंद आ गया.
जवाब देंहटाएंकढ़ी और परांठे,साथ में आचार.
मूंह में पानी आ गया.
कृपया एक पोस्ट को पढने के लिए कम से कम एक हफ्ते का समय दें,जिसमे एक sunday भी हो,पाठकों को सुविधा होगी.
ढेर सारी दुआएं .
आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
खूबसूरत यात्रा ,यात्रा संस्मरण बहुत बढ़िया रहा!
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं@सगेबोब जी,आइडिया सर जी पसंद आया --आगे से ऐसा ही होगा --जल्दी लिखने का मकसद यह था की; मै आगामी २० फरवरी को शादी में जा रही हु १०दिन का ट्रिप हे ,कही पटना साहिब के संस्मरण भूल न जाऊ इस लिए जल्दी लिखने की कोशिश कर रही हु --इसी तरह मार्ग दर्शन करते रहे -धन्यवाद
जवाब देंहटाएं@ संजय जी,आपकी उपस्थिति जरूरी रहती हे वरना सूनापन नजर आता हे --मेरी बात की इज्जत रखी धन्यवाद --फोटू के द्वारा हम एक दुसरे के रु- ब- रु रह्ते हे |
जवाब देंहटाएंबढ़िया संस्मरण , रोचक और भक्तिमय !
जवाब देंहटाएंआपका यात्रा संस्मरण पढ़कर बहुत अच्छा लगा.धन्यवाद.
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