** माउंट आबू **
(मरू भूमि रंगीलो राजस्थान )
11 मई 1998:---
रात को ही हमने धुमने के लिए सब जानकारी निकाल ली थी --रात आबू की बड़ी सुहानी होती है --मालरोड की सारी दुकाने बाहर सज जाती है --कुर्सिया लग जाती है--हमने भी एक होटल के बाहर बैठकर खाना खाया -यहाँ गुजराती थाली ,जेन थाली,और राजस्थानी थाली मिलती है --यहाँ थाली का रिवाज है जितना खाना चाहो खाओ !केवल थाली की कीमत लगती है -उस समय शायद ३० -५०रु. थाली थी !हमको होटल वाले ने ही कहाँ की आप ३ थाली ले ले ,दोनों बच्चे छोटे थे !सो हमने ३ थाली ही मंगवाई --बहुत टेस्टी खाना था --भरपेट खाया !कल स्पेशल राजस्थानी दाल - बाट्टी-चूरमा खाएगे --वेसे यहाँ नानवेज खाना भी मिलता है --रात को घूमते हुए जब हम लोट रहे थे तो रास्ते से दूध अंडे -ब्रेड भी खरीद लाए
सुबह जल्दी ही नींद खुल गई --मै और बेटा दोनों वाक् को निकल पड़े --काफी लोग घूम रहे थे --हम दोनों भी घूमते हुए निक्की झील के पास आ गए --बड़ा सुहावना द्रश्य था --शांत !कोई आवाज नही !पानी में बतखे तैर रही थी उनकी आवाजे शांत वातावरण में गूंज रही थी --ऐसा लगता था की मयूर बन नाचू --बतख बन पानी में तेरु -- !! क्या शमा था--बया नही कर सकती --कोई ट्रेनिग स्कुल भी था, जिसके नोजवान वहाँ परेड करते हुए जा रहे थे --शायद IPS ट्रेनिग सेंटर था --ऐसा लगता है --
हम वापस होलीडे होम में आ गए --आकर सबको जगाया--चाय -नाश्ते से फ्री होकर हम तेय़ार हो निकल पड़े --आज हमे आबू घूमना है --पहले बस वाला कहाँ ले गया पता नही --फिर भी जो याद है वो इस प्रकार है --
(भाईला )
बाज़ार में बहुत रोनक थी,काफी 'भाईले' धूम रहे थे-भाईले यानी पारम्परिक ड्रेस में राजस्थानी लोग ,हम कोटा में उन्हें इसी नाम से पुकारते है --आज वहां कोई मेला था-- जगह का नाम याद नही आ रहा है-- खेर,हम ने टूरिज्म वालो की बस में अपनी सीट बुक की और चल पड़े :--
ओम शन्ति ब्रह्मकुमारी विश्वविधालय :--
ॐ शांतीभवन :- यह भवन बहुत ही सुंदर है यहाँ युनिवर्सल पीस -हाल है बहुत विशाल हाल है इसमे 3500से4000तक लोगो के बेठने की व्यवस्था है --यहाँ ट्रांसलेटर माइक्रोफोन द्वारा 100 भाषाओ में व्याखान सुने जा सकते है --यह बिना खम्बो पर टिका हाल है --यहाँ 8 ह्जार लोग रोज आने का रिकार्ड है -- इस हाल में बैठकर स्वर्गीय आन्नद लिया जा सका है --धर्म से सम्बंधित काफी जानकारी वाली पुस्तके वहां आपको मिल जाएगी --
(प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय )
(पीछे अचल गढ़ किला व् मन्दिर है )
8 किलो मीटर दूर अचलगढ किला! यह पहाड़ी पर बना है --यहाँ एक 15 वी शताब्दी में बना अचलेश्वर मंदिर भगवान शिव का है --यहाँ तक जाने के लिए काफी लम्बी शायद 200 सीढियां है यहाँ भगवान् शिव के पेरो के निशान भी बने है --पास ही १६वी शताब्दी का काशीनाथ जेन मंदिर भी है यहाँ से हम गोमुख मन्दिर गए -
गोमुख मन्दिर:--
( tree buffalo तीन भेंसे )
इन भेसो की भी कोई स्टोरी है ,पर मुझे याद नही आ रही है --
गोमुख मन्दिर :-मन्दिर परिसर में गाय की एक मूर्ति है जिसके सर पर प्राकृतिक रूप से एक धारा बहती है --इसी कारण इसे गोमुख मन्दिर कहते है --मन्दिर में एक सांप की विशाल प्रतिमा है --पीतल के नंदी की भी आकर्षण प्रतिमा है --
( नंदी की विशाल मूर्ति )
( नंदी~~ गूगल चित्र )
( मन्दिर के बाहर बनी हाथी की मूर्ति )
गुरु-शिखर:---
अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी 1727 मीटर पर गुरु- शिखर स्थित है --यह शहर से १५ किलो मीटर दूर है --मनोरम द्रस्यो से भरी यह पर्वत श्रंखला के ऊपर एक मंदिर है -यह भगवान् विष्णु का दत्तात्रेय रूप का मंदिर है --मन्दिर के पास ही सीढियां है शिखर पर जाने के लिए --वहा एक ऊँची चट्टान पर प्राचीन घंटा लगा है --वहां से घाटी का मनोरम द्रश्य नजर आता है --
( गुरु शिखर का मार्ग ~~~गूगल चित्र )
( गुरु शिखर की सबसे ऊँची चोटी पर जेस )
(मैं ऊपर नही चढ़ सकी, मैनें यही आराम किया )
( जेस ,मैं और सन्नी)
(सन्नी ,जेस निक्की और पापा गुरु शिखर पर )
(काका -काकी हनीमून पाइंट )
गुरु शिखर से कुछ ही दूर है ये काका -काकी की दिलकश चट्टान--जिसे हनीमून पाइंट कहते है --दोनों इस जहां से दूर एक नई दुनिया में मदहोश
दिलवाडा टेम्पल:--
दिलवाडा टेम्पल के बगैर आबू की यात्रा अधूरी है :--
यह आबू की शान समझे जाते है--यह ५ मंदिरो का समूह है --११ वी शताब्दी और १३ वी शताब्दी में बने यह जेन धर्म के तीर्थकरो को समर्पित है ---
'विमल वासाही' मन्दिर 'प्रथम तीर्थंकर' को समर्पित है--यह सर्वाधिक प्राचीन मन्दिर है जो 1031 ईस्वी में बना था --
22 वे तीर्थंकर नेमीनाथजी को समर्पित 'लुन-वासाही 'मन्दिर भी कॉफी लोकप्रिय है यह 1231 ईस्वी में वास्तुपाल और तेजपाल नाम के दो भाईयो ने बनवाया था --यहाँ 5 मन्दिर संगमरमर के है --मन्दिरों में 48 स्तंभों में न्रत्यांगनाओ की आक्रतिया बनी हुई है --यह मन्दिर मूर्ति कला का बेजोड़ नमूना है --देख कर ही पता चलता है --
तेजपाल और वास्तुपाल की पत्नियों का मन्दिर ;देवरानी -जेठानी का मन्दिर शिल्पकला का अदिव्तीय नमूना है --सारी दुनिया में इससे खुबसुरत शिल्पकला का कोई दूसरा मन्दिर नही मिलेगा --
हाथीशाला में 10-10 संगमरमर के हाथी बने हुए है --
यह सुबह से शाम 6 बजे तक खुला रहता है --मन्दिर में कैमरा ले जाने की इजाजत नही है इसलिए बाहर का ही फोटो खीचा है --
यहाँ का अदभुत सोंदर्य आपको दूसरी दुनिया में ले जाता है --
( दिलवाडा टेम्पल के सामने हम-लोग )
( मुख्य मंदिर ~~चित्र गूगल )
( देवरानी -जेठानी निवास )
( कलात्मक छत )
( आकर्षण छत की बनावट )
(48 स्तम्भ )
दिलवाडा टेम्पल वास्तु कला के बेजोड़ नमूने है--एक शिलालेख से पता चलता है की दिलवाडा टेम्पल बनाने वाले तेजपाल -वस्तुपाल भाइयो ने कई शिव मंदिरों का उध्दार करवाया --उन्हें फिर से बनवाया --
(यदि इस इतिहास पर किसी को आपति है तो माफ़ करे )
और अब करले पेट पूजा :---
( राजस्थानी दाल और बाटी )
वापस आने में रात हो गई थी--मालरोड की रंगीनियाँ अपने पुरे शबाब पर थी --आज हमने दाल बाटी चूरमे का भोग लगाया --आप भी शामिल हो सा. --राजस्थानी खाने की बात ही निराली है -- अनोखा स्वाद होता है --
( सा.--शब्द राजस्थान में सम्मान के लिए इस्तेमाल होता है जेसे :-जीजा सा.,मामा सा.,काकी सा.,इत्यादि )
( सा.--शब्द राजस्थान में सम्मान के लिए इस्तेमाल होता है जेसे :-जीजा सा.,मामा सा.,काकी सा.,इत्यादि )
(गुजराती थाली और राजस्थानी थाली का मेल _)
इस तरह आज की थका देने वाली और एक मजेदार यात्रा खत्म हुई --अगली यात्रा सनसेट पाईंट पर !धन्यवाद --
पर्यटक कार्यालय
राजस्थान पर्यटन
टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर
बस स्टैंड के सामने,माउंट आबू
फ़ोन 02974-235151STD कोड-02974
राजस्थान पर्यटन
टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर
बस स्टैंड के सामने,माउंट आबू
फ़ोन 02974-235151STD कोड-02974
सभी ब्लोगर जगत को अग्रिम वैशाखी की लख -लख बधाइयां !
( बहुत से चित्र उधार के है जिन माई -बाप के हो माफ़ करे )
AAP SABHI BLOGERS KO JO KI MERE SE BADE BHI HAIN AUR EK CHOTA BHI HAIN ,AAP JO MERE SE BADE HAIN UNKA AASHIRVAAD AUR EK JO CHOTE HAIN UNKA PYAR PAKAR BATA NAHIN SAKTA KITNA KHUSH HOON AUR YEH SAB JINKE KARAN HUA HAIN UNKO KAISE BHUL SAKTA HOON ,THANKS DARSHAN MAM AUR HAAN EK BAAT AUR MAM AAP NAYE WALE PHOTO MAIN TOH BAHUT HI SUNDER LAG RAHE HO,DUBARA PHIR AAP SAB KO THANKS.MAM YEH MERE LIYE SABSE YADGAR TOHFA HAIN. AUR ABU WALI POST EK DUM MAJEDAR MAM,WAISE KABHI APKO TIME LAGHE TO DELHI KA AKSHARDHAM MANDIR JARUR DEKHNA,BYE MAM
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे से आपने हर जगह का वर्णन किया है ..सुन्दर संस्मरण
जवाब देंहटाएंमाउंट आबू का खोबसूरत चित्रण और विवरण ।
जवाब देंहटाएंलवर्स पॉइंट छोड़ दिया जी ।
खाने की थाली देखकर बड़ा मज़ा आ रहा है ।
ओये होये रसगुल्ले
जवाब देंहटाएंकाश कि यह थाली मेरे सामने रखी होती।
अच्छा हां, इस बरसात के सीजन में माउण्ट आबू का एक चक्कर जरूर मारना है।
बहुत ही लाजबाब दर्शन करा रही है आप ! बहुत-बहुत धन्यबाद
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंजीवन्त चित्रों के साथ यात्रा संस्मरण बहुत बढ़िया रहा!
जाट देवता की राम-राम,
जवाब देंहटाएंरसगुल्ले तो अकेले चट कर दिये।
राजस्थानी, दाल-बाट्टी-चूरमा हम भी खाएँगे।
आप हमारे बिना मत खाना।
अगर आप नोनवेज खाती है तो आप को ब्रहमकुमारी का शिष्य बन जाना चाहिए, छूट जायेगा।
जवाब देंहटाएंरोचक वृतांत और उम्दा तस्वीरें.. यात्रा संस्मरण बहुत बढ़िया रहा!
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तार से आपने माऊण्ट आबू की यात्रा करवाई । देलवाडा के जैन मंदिरों के चित्र तो वाकई दुर्लभ कलेक्शन भी लग रहा है । आभार आपको ।
जवाब देंहटाएंBahut Badhiya chitra aur sunder snasmaran....
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएंदिलकश यात्रा वृतांत के साथ सुन्दर चित्रों का तालमेल बहुत ही जीवन्त लगता है हर बार की तरह इस बार भी आप मन मोहने में सफल रहीं.
बधाई हो आपको!!
प्रिय दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंमैं आपका कैसे शुक्रिया अदा करूँ मेरे समझ में नही आ रहा है | बहुत बहुत धन्यवाद | मैं बहुत खुश हूँ | आपको भी गुरु शिखर की चोटी तक जानी चाहिए थी बहुत ही हृदयस्पर्शी और मनोरम जगह है | तेजपाल और वास्तुपाल दोनों भाइयों की याद दिलाकर आपने वाकई में मुझे दिलवाडा का मंदिर भी घुमा दिया | यहाँ की कलाकृति लाजवाब है |
सन्नी,जेस निक्की को शुभ प्यार और निक्की के पापा को प्रणाम|
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माउन्ट आबू २ की प्रस्तुति के लिए आभार |
दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंअन्याय शब्द का प्रयोग के लिए आप मुझे माफ़ कीजियेगा| मैं माउन्ट आबू २ का ही जिक्र आपकी पिछली पोस्ट की कमेन्ट में किया था |
सनसेट पॉइंट का भी इन्तेजार रहेगा क्योंकि मुझे वहां जाने का समय ही नही मिला था |
सनसेट पॉइंट का भी इन्तेजार रहेगा क्योंकि मुझे वहां जाने का समय ही नही मिला था
रामनवमी की हार्दिक बधाई और आपकी यात्रा मंगलमय रहे ये मेरी दिल से कामना है |
रोचक यात्रा वर्णन...चित्र भी बहुत बढ़िया हैं...
जवाब देंहटाएंनीरज
इस प्रस्तुति को देख कर लग रहा है की माउन्ट आबू घूम ही आऊ..
जवाब देंहटाएंमनोरम दृश्य मनोरम चित्रण
,.............................
क्या वर्ण व्योस्था प्रासंगिक है ?? क्या हम आज भी उसे अनुसरित कर रहें हैं??
बहुत बढ़िया.रामनवमी की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक और सुन्दर संस्मरण ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र ......मन गदगद हो गया |
माउण्ट आबू का रोचक यात्रा वर्णन,चित्र भी बहुत बढ़िया हैं.
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पे आ कर मेरी सहायता करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद.
मेरे प्रति आपके विशेष स्नेह के लिए आपका आभार.
आशा है आगे भी यूँ ही आप मेरे जैसे अनाड़ी की मदद करती रहेंगी.
आपको रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
चित्रों के साथ यात्रा संस्मरण बहुत ही अच्छा लगा...आपको भी वैशाखी की बधाइयां....
जवाब देंहटाएंमाउंट आबू का दर्शन करवाने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं............
ब्लॉगिंग को प्रोत्साहन चाहिए?
मेरी रोचक यात्रा वृतांत देख कर आप सब ने जो उत्साह बनाए रखा --उसके लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ धन्यबाद जल्दी ही भाग ४लेकर उपस्थित होउंगी ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया आलेख है दर्शन कौर जी.
जवाब देंहटाएंआबू की यात्रा साथ में राजस्थानी थाली.
मज़ा आ गया.
आपके आलेख पढ़ पढ़ कर पाठक मोटे न हो जाएँ कहीं.
कभी कभी व्रत भी करवा दें उनका.
यात्रा करके थक थका कर आखिर गुजराती राजस्थानी
जवाब देंहटाएंथाली दिखा सारी थकान दूर कर दी आपने.
खूब यात्रा का मजा लिया और दिया आपने.
बहुत बहुत आभार.वैसाखी की शत शत बधाई.
जग कहता तुझमें ख़म है जी
जवाब देंहटाएंहर वक्त क्यों हम हम है जी,
हमें हम कहने में रब मिलता,
क्यों हम में भी हमदम है जी.
आदरणीया भाभी दर्शन कौर धनोए जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
आपको सपरिवार
* वैशाखी पर्व की *
* हार्दिक बधाई !*
* शुभकामनाएं ! *
* मंगलकामनाएं ! *
माउंट आबू बहुत वर्ष पहले गये थे हम … आपके संस्मरण से सब कुछ फिर से याद हो आया … आभार !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
nice post, looks really good!
जवाब देंहटाएंचित्रों के साथ यात्रा संस्मरण बहुत ही अच्छा लगा...आपको भी वैशाखी की बधाइयां....
जवाब देंहटाएंना जाने कैसे भटकते हुए आपके ब्लॉग तक पहुँच गया,जब वहां माउन्ट आबू का सचित्र लेख पढ़ा तो मै अनायास ही 1991 के यादों में खो गया.रात्रि पहर मै नक्की लेख मै नाव चलाना, विस्मृत आखों से दिलवारा मंदीर का अवलोकन,सती अनसुएया का मंदीर.मन को मोह लेने वाला प्रजापति ब्र्हम्कुमारी भवन का बातावरण. टोड रोक. सन सेट पॉइंट पर घोडे पर सवार हो कर जाना और फिर ना कभी भूल सकने वाली यादों को अपने सिने मै शमा लेने वाली मनोहारी दृश्य(संचिप्त शब्दों में बयां हो ही नहीं सकता).आपने शायद एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान ना देख पाई हो .अगर आपको याद हो तो वहां पर गुजरात सरकार की पुलिस अकेडमी का कार्यालय है उसके बगल से एक रास्ता नीचे की तरफ करीब 200 सिरहि उतरती है जहाँ पर एक बहुत ही प्रशिद्ध मंदीर है जहाँ महेर्शी बशिष्ट ने अग्नि कुण्ड से तीन प्रमुख राजपूत बंश का निर्माण किया था. बहुत कुछ देखा कुछ छुट गया . नीरज(पटना)
जवाब देंहटाएंaap apna naam ghumakkar kaur rakh lo:)
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