* माउंट आबू *
(रेगिस्तानी जहाज )
12 मई 1998
कल बहुत थक गए थे --सुबह देर से नींद खुली --अभी हमारे पास पुरे ६दिन है --आज हमने रूम पर ही आराम किया --सुबह किचन में ही मस्त दाल -चावल बनाए और खाकर आराम किया --शाम को सिर्फ सन -सेट देखने जाएगे--
पूरा होली डे होम बुक है --एक फेमिली बाम्बे की और है --वो लेडी TC है -उनसे बाहर बेठे गप्पे मारते रहे --शाम को फ्रेश थे --
(सन -सेट पाइंट पर घोड़े की सवारी )
आखिर हम पूछते हुए--पहुंच ही गए --सन - सेट पाइंट पर--वेसे काफी लोग वहा जाते हुए नजार आए वहाँ पहुचने के बाद माहोल ही कुछ अलग था --कई जगह पर सीढियां बनी हुई थी --जहां काफी सेलानी चढ़े हुए थे--माहोल बहुत अच्छा लगा --आप भी देखे ---
(काफी जगह लोगो ने घेर रखी थी -)
( ऐसे ही बेठने के लिए बहुत बढ़िया स्थान बने हुए थे --)
(हमने भी एक ऊँची जगह तलाश कर ही ली )
सारी जगह लोगो ने घेर रखी थी --काफी धुप थी --पर हवा बड़ी ठंडी चल रही थी --बड़ा सुंदर नजारा था --एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ लम्बा -चोड़ा मैदान--दूर सूरज चमक रहा था --होले -होले नीचे जा रहा था --सूरज एक बड़े फ़ुटबाल की तरह घूम रहा था --किरने भी ठंडी लग रही थी --
यही पर फिल्म -कयामत से कयामत तक' की शूटिग हुई थी--आप भी फोटू के जरिए सन -सेट का आन्नद ले ---
सनसेट पाइंट
( निक्की की प्यारी अदा )
( एक ऊँगली पर सूर्यदेवता का भार --केसे संभव --?)
फोटू क्लिक होने तक वो नीचे सरक चूके थे
( फूंक मारते हुए --कभी सूरज भी फूंक से उड़ा है )
( जेस की अंजुली में सूर्य देवता )
( सन -सेट का निराला रूप )
( डूबता सूरज ~~~सूरज महाराज की एक अदा )
( चित्र ~~~गूगल )
रात तक माहोल में बहुत सरगर्मिया थी --अँधेरा होते ही हम भी चल पड़े --निक्की झील की तरफ --रात को वहाँ काफी रोंनक लगी हुई थी --लोग बोट में घूम रहे थे --पास के बगीचे में म्यूजिकल फाउन्टेन चल रहा था --
(निक्की झील रात की बांहों में )
रात को निक्की झील का एक चक्कर लगाकर हम वापस आ गए --
अंतिम किस्त के साथ ~~अगली बार मिलते है--
जारी -----
अंतिम किस्त के साथ ~~अगली बार मिलते है--
जारी -----
Very nice and beautiful photography .Dhanoy ji .
जवाब देंहटाएंआपने जो दर्शन कराया है माउंट आबू
जवाब देंहटाएंअब दिल पे नहीं रहा है मेरे काबू
जल्दी जल्दी सपने संजोता हूँ
आपके फोटुओं में मै भी साथ होता हूँ
कभी सूरज को अंजुली में ले
कभी फूँक से ही उसे उडा देता हूँ
'दर्शन' जी आप यूँ ही दरस कराती रहें
और हमें सपनों की दुनिया की सैर कराती रहें
आपने जब दोस्त माना है तो दोस्ती का हक यूँ ही निभाती रहें.
*** भई इस सैर सपाटा का हमने तो ख़ूब लुत्फ़ उठाया।
जवाब देंहटाएंवाह भई वाह ! हम जब सीमित समय के लिये यहाँ घूमने गये थे तब बादल ही बादल थे सूर्य देवता उस दिन पूरी तरह से नदारद थे सो इस मनोरम दृश्य से वंचित ही रह गये थे आज आपके अनुभवों के साथ देख लिया । धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र-दृश्य प्रस्तुत किये हैं आपने तो!
सन सेट के फोटो बहुत सुन्दर आये हैं ।
जवाब देंहटाएंएक ऊँगली पर सूर्यदेवता का भार और सूरज को फूंक मारते हुए दृश्यों का तो ज़वाब नहीं !
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें।
Hi All,
जवाब देंहटाएंPlease visit my blog...thanks :D
http://wolfariann.blogspot.com/
चित्र बहुत सुन्दर हैं ...यात्रा संस्मरण बढ़िया लगा
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा संस्मरण....
जवाब देंहटाएंदिन में सूरज के पीछे पडे रहे, पकड में नहीं आये सूर्य देवता,
जवाब देंहटाएंआपने फोटो ठीक तरह से संभाल कर रखे है
जाट पुत्र पवित्र आपका इंतजार कर रहा है
अगर आपकी अंगुली पर सूर्य टिक जाते तो हनुमान जी के बाद आप का नाम लिया जाता?
आपकी यात्रा संस्मरण का लुत्फ़ हम भी घर बैठे आपके ज़रिये उठा रहे हैं. आभार.
जवाब देंहटाएंवाह,
जवाब देंहटाएंअद्भुत चित्रों ने मन मोह लिया।
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
जवाब देंहटाएंachi photography!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र हैं।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
चित्र बहुत सुन्दर हैं ...यात्रा संस्मरण बढ़िया लगा
चित्रों के साथ यात्रा संस्मरण......बहुत बढ़िया हैं
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन जी, माऊंट आबू का यात्रा संस्मरण बहुत रोचक रहा. साथ ही आकर्षक चित्रों के माध्यम से मनोहारी दृश्यों का भी अवलोकन हुआ. सूर्य देव को फूँक से उड़ाने अथवा अंगुली पर उठाने वाले चित्र तो आपकी कलात्मकता और कल्पनाशीलता का स्वत: ही प्रमाण हैं .
जवाब देंहटाएंआभार !
आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
चित्र बहुत सुन्दर हैं ...यात्रा संस्मरण बढ़िया लगा
दर्शन कौर जी ने तो हमें भी सुन्दर प्रकृति के दर्शन करा दिए.
जवाब देंहटाएंकैमरे की नजर से माउंटआबू.. बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंनमस्कार चित्र बहुत सुन्दर हैं
जवाब देंहटाएंthanks for sharing your experience and information too.
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है आपने ।
जवाब देंहटाएंप्रिय दर्शन जी
जवाब देंहटाएंमैं पिछले कुछ दिनों से माँ की तबियत को लेकर काफी परेशान हूँ अब देखिये न आपका दो पोस्ट आ गया और मुझे आज मालूम चल रहा है| अस्पताल का चक्कर कितना ख़राब होता है आपको पता ही होगा | मैं पिछले कुछ दिनों से ब्लोगिंग की दुनिया से दूर था आप सभी प्रियजनों से मेरी प्रार्थना है की आप मुझे माफ़ करेंगे |
प्रिय दर्शन जी
जवाब देंहटाएंमैंने आपका दोनों पोस्ट पढ़ा मन को बहुत भाया| आपकी लेखनी वाकई में काबिले तारीफ है | मेरी गलती को सुधारने की बात कहने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद |
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बेहतरीन यात्रा वर्णन
जवाब देंहटाएंनीरज