मेरे अरमान.. मेरे सपने..

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

!!! जुदाई !!!



                            " हर मिलन  के बाद जुदाई क्यों है  " 






    फिर आई जुदाई की रात-----?  
      मै तुमसे जुदा होना नही चाहती !
तुझको पा न सकी क्योकि ,
   यह मेरी खुदाई नही चाहती ?   

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मिलकर बिछड़ना ही था इक दिन हमदम 
तो यह मुलाक़ात क्यों हुई ? 
उल्फत में ठोकरे थी ,दर्द था ,रुसवाई थी 
तो हसीन सपने क्यों दिखाए 
क्यों हसरते जवा हुई ?
   क्यों उमंगो ने पींगे भरी ? 
जब आँखों में चाहत के बादल नही थे तो ,
क्यों अरमानो की बारिश हुई ..





         ऐसे नही फैलाउंगी मैं अपनी लाज का आंचल      
तुम्हारे निष्ठुर,नापाक कदमो तले --?
         जब जिन्दगी से मुझे कोई सोगात नही मिली 
       पल भर की पहचान का क्या मानी 'दर्शी' 
          जब तेरा साथ ही नही मिला राह दिखाने मुझे  
           तो यह 'आस' का तोहफा आखिर किस लिए 


  


      थाम लिया था हाथ जब तुने किसी का
उम्र -भर निबाहने के लिए --
    तो मेरे मन में यह तृष्णा क्यों जगाई   ?
    जब जिन्दगी की कश्ती फंसी लहरों में 
तो हंसकर -- दामन छुड़ा ,जाने लगे !
      जब साथ ही नही देना था मंजिले -राह में मुझे   
      तो यह तक्कलुफ़ का इकरार किसलिए 


    

  जख्म खाकर जिन्दगी -भर का 
     यू बिछड़ना मुश्किल हुआ मुझसे 
जब साथ नही था राहगुजर में 
  तो इश्क की इब्तिदा क्यों हुई !

        आँखों में अश्क ही देना था निर्मोही --
  तो यह हार - श्रृंगार किस लिए !
      यह हसरतो की बारात किसलिए !
    यह सांसो की सोगात किसलिए !
      यह प्यार का अहसास किसलिए ! 
       तुझे पाने की चाह किसलिए !        

26 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार प्रस्तुति है चाहत से शिकायतों की. बेचारे से उसकी मज़बूरी भी सुन लेती.

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  2. जुदाई को लेकर लिखे सभी शब्दचित्र बहुत सशक्त है!

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  3. बिछङे अभी जो हम कल परसों ।
    जियूँगा मैं कैसे इस हाल में बरसों ।
    नींद न आयी.. तेरी याद क्यूँ आयी ।
    हाय लम्बी जुदाई । ओ रब्बा ! लम्बी जुदाई
    हाय कटोरी देवी ..कहाँ चली गयीं ।
    अपने पति बच्चों के पास है । भाई ।

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  4. ऐसे नही फैलाउंगी मैं अपनी लाज का आंचल
    तुम्हारे निष्ठुर,नापाक कदमो तले --?

    प्यार का अहसास हर किसी के लिए हो ही नहीं सकता ....
    शुभकामनायें !

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  5. दर्शी जी ....मुझे वे गाने याद आ गए की ......बेकरार कर दिल को उ न जाईये ...आप को हमारी कसम लौट आईये ... बहुत सुन्दर जज्बा !

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  6. मै तो हैरान हूँ परेशान हूँ आपकी दर्द भरी इस नज्म को पढकर

    आँखों में अश्क ही देना था निर्मोही --
    तो यह हार - श्रृंगार किस लिए !
    यह हसरतो की बारात किसलिए !
    यह सांसो की सोगात किसलिए !
    यह प्यार का अहसास किसलिए !
    तुझे पाने की चाह किसलिए !

    इतना हैरान और परेशान न कीजियेगा 'दर्शी'जी कि आँखों के आँसू
    ही बस में न रहें.प्लीज....

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  7. दिल में तीर की तरह उतर गयी आपकी ये सशक्त रचना!

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  8. चाहत....... अहसास ही काफी है ....
    दर्द भरी भावुक करती रचना....

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  9. इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकारें
    नीरज

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  10. चाहत का बेहतरीन चित्रण
    ....वाह..क्या खूब लिखा है आपने।

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  11. सार्थक सवाल हैं..... दूर होने की वेदना ऐसी ही होती है..... सुंदर रचना

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  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  13. जख्म खाकर जिन्दगी -भर का
    यू बिछड़ना मुश्किल हुआ मुझसे
    जब साथ नही था राहगुजर में
    तो इश्क की इब्तिदा क्यों हुई !

    वाह..क्या खूब लिखा है आपने।

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  14. संवेदनाओं को विस्तार देेता है आपका शब्द संसार। अच्छा लिखा है आपने।

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  15. जख्म खाकर जिन्दगी -भर का
    यू बिछड़ना मुश्किल हुआ मुझसे
    जब साथ नही था राहगुजर में
    तो इश्क की इब्तिदा क्यों हुई !


    क्या कहूँ इन शब्दों पर .....बहुत मार्मिक पंक्तियाँ हैं आपकी ....इस रचना की ..आपका आभार

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  16. " छोड़ के जाने वाले तुझको इतना भी एहसास नहीं
    उस के दिल पर क्या बीतेगी , जिसको ग़म भी रास नहीं "

    दर्द, एहसास, भावनाएं, कसक, किसी बात की कमी नहीं है इन बोलों में , पर दर्शन जी एक स्थान पर " मानिंद " की जगहn "मानी " ( meaning ) शायद अधिक उपयुक्त रहता !

    इस उम्दा रचना के लिए बधाई स्वीकार करें !

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  17. आँखों में अश्क ही देना था निर्मोही --
    तो यह हार - श्रृंगार किस लिए !
    यह हसरतो की बारात किसलिए !
    यह सांसो की सोगात किसलिए !
    यह प्यार का अहसास किसलिए !
    तुझे पाने की चाह किसलिए !
    ------------------------------------------------
    हृदयस्पर्शी रचना के लिए बधाई |

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  18. " हर मिलन के बाद जुदाई क्यों है "
    हम तो ठहरे परदेसी, साथ ना निभायेंगे।

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  19. प्यार के मनोरम अहसास के बाद की सच्चाई का दर्द.
    उत्तम प्रस्तुति...

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  20. मै तो हैरान हूँ परेशान हूँ आपकी दर्द भरी इस नज्म को पढकर....

    ओये होए .....
    दर्शी जी बधाइयाँ .....

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  21. Fantastic creation Darshan ji . I'm short of words to praise this lovely poem.

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  22. दर्द को दर्शाने में कामयाब रचना |
    खुबसूरत रचना |

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  23. आज तो दिल छू लिया आपकी रचना ने.
    बहुत दर्द है.

    यह हसरतो की बारात किसलिए !
    यह सांसो की सोगात किसलिए !
    यह प्यार का अहसास किसलिए !
    तुझे पाने की चाह किसलिए !

    बहुत खूबसूरत हैं पंक्तियाँ.
    दर्शी नाम को सार्थक कर दिया आपने.

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......