मेरे अरमान.. मेरे सपने..

रविवार, 8 मई 2011

प्यारी माँ !



मदर डे स्पेशल पर मेरी कविता ' प्यारी माँ ' पर प्रकाशित एक बार फिर आपके सम्मुख उपस्थित है .. 


*  मेरी माँ  *



मोम की तरह पिगलती रहती है 
शमां बन जलती रहती है 
हमरा हर काम अपनी शक्ति से परे करती है  
हमे परेशां देख ,खुद मन ही मन कुढती है 
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ, यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

कभी खुद को साबित नही किया उसने 
हमेशा हमे प्रोत्साहित किया उसने 
हमारी हर गलती को माफ़ किया उसने 
हममे हर शक्ति का संचार किया उसने 
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ ,यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

खुदा से ज्यादा हमने उसका मान किया 
खुद को खुद से ज्यादा कुर्बान किया 
हमेशा उसके आंचल में आराम किया 
माँ की क्या शे है इसका हमने ज्ञान किया  
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

सपनो से परे एक जहां और भी है 
एक जमी एक आसमान और भी है 
इस पथरीली धरा पे हमे आगे बढना है 
होसले बुलंद हो ,सफलता कदम चूमे 
हर कठिनाई से आगाज़ किया इसने 
   हाँ ,यह  मेरी माँ है !
   हाँ यह मेरी माँ है   !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए 
रातो को चोंक उठती है .हमारी परेशानी के लिए 
खुद कांटो पर चलती है ,हमे फूलो पे चलाने के लिए 
खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
हाँ ,यह मेरी माँ है !
हाँ ,यह मेरी माँ है !
रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है | 

"हाँ ,यह मेरी माँ है ?"  


!! माँ तुझे सलाम !!

33 टिप्‍पणियां:

  1. @अपनी माँ को मेने बचपन में ही खो दिया था --फिर भी कुछ एहसास है जो याद बनकर तडपाते रहते है ...
    " माँ तुझे सलाम "

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  2. माँ तो ये सब ऐसे कर देती है जैसे कुछ हुवा ही ना हो ... बहुत सुंदर रचना ... इस दिवस की शुभकामनाएँ ...

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  3. कितनी प्यारी पोस्ट सुंदर कविता ...प्यारे चित्र ...सभी प्यारी प्यारी ममाओं को हैप्पी मदर्स डे

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  4. बहुत सुन्दर रचना| हैप्पी मदर्स डे|

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  5. माँ के प्रति खूबसूरत एहसास ... अच्छी प्रस्तुति


    दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए

    इस पंक्ति में खटकती की जगह "खटती" होगा शायद

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  6. The Heart Of A Mother Is A Deep Abyss At The Bottom Of Which You Will Always Find Forgiveness...
    For The Hand That Rocks The Cradle Is The Hand That Rules The World!!!
    Happy Mother's Day Mom :)

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  7. माँ तुझे सलाम
    'जायो'जी आपको सलाम
    आपकी माँ के प्रति पवित्र भावनाओं को सलाम
    आपकी इस अनुपम प्रस्तुति को सलाम.

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  8. हृदयस्पर्शी रचना। वन्दे मातरम्!

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  9. दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए
    रातो को चोंक उठती है .हमारी परेशानी के लिए
    खुद कांटो पर चलती है ,हमे फूलो पे चलाने के लिए
    खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
    हाँ ,यह मेरी माँ है !
    हाँ ,यह मेरी माँ है !

    बहुत सुंदर भाव ....दर्शनजी धन्यवाद इस प्यारी रचना के लिए

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  10. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  11. माफ करना!
    इससे पूर्व के कमेंट में अभिव्यक्ति की जगह अभिन्यक्ति हो गया था!
    इसलिए दूसरा कमेंट करना पड़ा!
    --
    माँ को शत्-शत् नमन और कोटि-कोटि प्रणाम!
    --
    दर्शन कौर धनोए जी!
    मातृदिवस पर बहुत भाव-भीनी और सशक्त अभिव्यक्ति दी है आपने!
    --
    बहुत चाव से दूध पिलाती,
    बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
    सीधी सच्ची मेरी माता,
    सबसे अच्छी मेरी माता,
    ममता से वो मुझे बुलाती,
    करती सबसे न्यारी बातें।
    खुश होकर करती है अम्मा,
    मुझसे कितनी सारी बातें।।
    --
    http://nicenice-nice.blogspot.com/2011/05/blog-post_08.html

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  12. मातृ दिवस पर सुन्दर रचना के लिये बहुत-बहुत आभार.......

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  13. माँ को समर्पित ह्रदयश्पर्सी रचना....

    माँ तो माँ होती है , माँ का कोई विकल्प नहीं

    कोटि-कोटि नमन माँ के चरणों में ...

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  14. रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |

    अब तो बस याद ही रह गई है ।

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  15. माँ की यादें ऐसे ही तडपाती हैं । बहुत भावुक कर देने वाली रचना है दर्शन जी ।

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  16. सपनो से परे एक जहां और भी है
    एक जमी एक आसमान और भी है
    इस पथरीली धरा पे हमे आगे बढना है
    होसले बुलंद हो ,सफलता कदम चूमे
    हर कठिनाई से आगाज़ किया इसने
    हाँ ,यह मेरी माँ है !
    हाँ यह मेरी माँ है !
    रब से भी ज्यादा मुझको इससे प्यार है |
    is bejod rachna ke liye aapka aabhaar

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  17. माँ का साया हमेशा अपने बच्चों पर रहता है.
    सलाम माँ को .

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  18. आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
    नमस्कार !
    मातृदिवस पर अभिव्यक्ति
    माँ को शत्-शत् नमन .............

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  19. बहुत भावपूर्ण रचना |
    बधाई |
    आशा

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  20. ..माँ की सुखद अनुभूति। प्यारी कविता।

    पिगलती-पिघलती...हमरा-हमारा..चोंक-चौंक

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  21. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! सुन्दर चित्रों के साथ उम्दा प्रस्तुती! बधाई!

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  22. दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए
    रातो को चोंक उठती है .हमारी परेशानी के लिए
    खुद कांटो पर चलती है ,हमे फूलो पे चलाने के लिए
    खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
    हाँ ,यह मेरी माँ है !
    maa ke liye aek dil ko ckhune waali rachanaa.padhker dil bhar aaya.main pahalibaar aapke blog main aai hoon.bahut achchi dil ko choo lene waalli rachanaaye hain aapki.badhaai aapko.
    please mere blog per bhi aaiye.aur maargdarsan dene hatu comments dijiye.thanks

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  23. बहुत सुंदर भाव...

    ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया
    मां ने आंखे खोल दी घर में उजाला हो गया।

    मुनव्वर राना

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  24. माँ की सुखद अनुभूति
    इस प्यारी रचना के लिए धन्यवाद
    माँ को नमन!

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  25. बहुत दिनों बाद फिर से ब्लॉग की दुनियां में लौट आया और पहली ही नजर में आपका ब्लॉग पाया |
    आपकी रचना "प्यारी माँ " मुझे बहुत पसंद आया दर्शन जी नेल, जेश और निक्की कैसी है जब भी आपका ब्लॉग देखता हूँ, आपके बच्चों की याद आ ही जाती है | धन्यवाद |

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  26. यहाँ आकार बहुत अच्छा लगा.... खूबसूरत रचनाएं और दिलकश तस्वीरें....
    सुकून से पढ़ने दोबारा आउंगा... सादर...

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  27. सबको सादर धन्यवाद ,इसी तरह आते रहे

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  28. मुम्बई वाली पोस्ट कहां चली गई? मुझे उस पर टिप्पणी करनी थी।

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  29. दिनभर खटकती रहती है हमारी ख़ुशी के लिए
    रातो को चोंक उठती है .हमारी परेशानी के लिए
    खुद कांटो पर चलती है ,हमे फूलो पे चलाने के लिए
    खुदगर्ज़ कभी हो नही सकती अपने 'जायो' के लिए
    हाँ ,यह मेरी माँ है !
    व्यस्तता के कारण देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ.
    एक - एक शब्द प्यार के अहसासों से सराबोर कर देने वाला ......
    सच में यह अहसास ऐसा है जिसे कभी भी खुद से जुदा नहीं किया जा सकता ..
    और आपकी रचना इसकी सार्थकता को दर्शाती है .....
    आपका आभार!!

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  30. अच्छी रचना है.माँ को बचपन में खो देने वाले बच्चे जीवन भर इस कमी को भूल नही पाते.मुझे अपनी मम्मी से इतना प्यार कभी नही था.हा हा हा था रे ......इतना नही.मैं पापा के ज्यादा करीब थी.बेहतर रचना.

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......