मेरे अरमान.. मेरे सपने..

गुरुवार, 9 जून 2011

एक प्यार भरा गीत !







तेरे मेरे बीच एक दिवार है मेरी जान !
तोड़ना चाहां पर वक्ता था सरकता गया !! 


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!! आज एक प्यार भरा गीत !!





वह बोला -- "मुझसे प्यार करती हो "
मैने कहा --"हाँ "
वह बोला -- "मुझे छोड़ तो न जाओंगी "
मैने कहा --" न "
वह बोला-- "यह सब मेरेलिए है " 

मैने उसकी सपनील आँखों में डूबकर कहा -- "हां "

" यह साँसों की सरगम तुम्हारी  है प्रिये !
यह आँखों की चिलमन तुम्हारी है प्रिये !
यह सीने की धड्कन तुम्हारी है प्रिये !
इस दिल की तड़पन तुम्हारी है प्रिये !"





वह विस्मय -सा मुझे देखता रहा --


" तुम भंवर बन मेरे अधरों को चुमों !
तुम काजल बन मेरे नैनो में बसों !
तुम पवन बन मेरे बालो से खेलो !
  तुम साया बन मेरे संग -संग चलो !
 तुम नशा बन मेरे ख्यालो में घुमो  "

वो थोडा सकुचाया ,शरमाया ,मेरे नजदीक आया और बोला --

" क्या तुम हीर बन सकती हो ,
मै राँझा बन जाउंगा !
क्या तुम साकी बन सकती हो ,
मै मयखाना बन जाउंगा !
क्या तुम लहर बन सकती हो ,
मै सागर बन जाउंगा !"





मैने उसका हाथ अपने हाथो में लिया और हंसकर कहा --

" बहुत कठिन है राह गुजर -यारा ;
मगर हम साथ -साथ चलेगे -!
बहुत लम्बा है जीवन का फलसफा ,
मगर हम साथ -साथ चलेगे - !
ता-उम्र न कटे ,न कटे जिन्दगी ,
मगर हम साथ -साथ चलेगे --!
नशे मै चूर हूँ ,तुम्हे भी कोई होश नही ,
दिखाई नही दे रही कोई डगर
मगर हम साथ -साथ चलेंगे --!
इक दिन की मुलाक़ात की गनीमत है 'दर्शी '
किसे है कल की खबर
मगर हम साथ -साथ चलेगे --!
अभी तो जल रहे है चिराग राह में
बहुत दूर है  सहर....
मगर हम साथ -साथ चलेगे --!
न होगा चाँद ,न तारे टीमटीमाएगे
मस्या के काले साए न हमारे कदम डगमगाएगे
राह में  रोड़े तो अनेक होगे दिलबर
मिलन की घड़ी हो न हो
मगर हम साथ -साथ चलेगे  ...!"  


   
हम हमेशा साथ -साथ चलेगे 

33 टिप्‍पणियां:

  1. क्या तुम साकी बन सकती हो ,
    मै दीवाना बन जाउंगा !
    --
    इसमें दीवाना की जगह "मयखाना" हो जाता
    तो बहुत अच्छा लगता!
    क्योंकि साकी का ताल्लुक मयखाना से होता है!
    --
    बाकी पूरी रचना बहुत लाजवाब है!

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  2. @धन्यवाद...आपकी बात रखली है शास्त्री जी ! 'दीवाना' की जगह 'मयखाना' कर दिया है ! वेसे मेने भी सोचा था ?

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  3. क्या बात है ... सुन्दर प्यार भरा गीत

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  4. १० दिन से नेट से दूर रही हूँ ..अब जल्दी ही सबके पास आउंगी !

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  5. आप ऐसा करो १ महीने को नेट से दूर चले जाओ. क्या लिक्खा है. लोग कहते है हेट्स ऑफ मई कहता हूँ पूरा का पूरा हरी शर्मा ऑफ. लाजबाब. कोई और शब्द ही नहीं है.

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  6. हरी भाई ने मन कि बात कह दी. नेट से १५ दिन जुदाई में,
    एक उम्दा गीत कह दिया आपने,मजा आ गया.गजब कर दिया.

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  7. मिलन की घड़ी हो न हो
    मगर हम साथ -साथ चलेगे ...!"
    sunder bhav ..!!

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  8. bahut hi pyaari premmai dil ko choonewali rachanaa badhaai sweekaren,



    please visit my blog.thanks.

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  9. नेट से दूर रहेंगी तो ऐसे ही विरह गान उपजेंगे...सुन्दर रचना.
    नीरज

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  10. प्यार भरा गीत
    मैं भी कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले १० दिनों से ब्लॉग से दूर ही था ......दर्शन कौर जी

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  11. बहुत मधुर और सुंदर गीत..लाजवाब।

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  12. प्रेम में भीगी रचना. इसकी गहरी सरलता अच्छी लगी.

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  13. नमस्कार
    तबीयत तो ठीक थी ना, कविता बडी ? है

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  14. क्या बात ..... बहुत सुंदर है यह प्यार भरा गीत

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  15. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (11.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  16. बहुत सुंदर रचना| धन्यवाद|

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  17. kya baat hai... puri rachna ne jaise bandh diya liya ho... khubsurat abhivakti....

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  18. ओहो!!! यह अंदाजे बयां....वाह, आनन्द आ गया.

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  19. बहुत ही बढ़िया अंदाज लग, मजा आ गया
    साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  20. काव्य प्रवाह की निरंतरता जीवन- लय केसाथ प्रतिबद्ध हो मुखर हो चली है ,सुंदर अनुशीलन अनुभूतियों का , संवाद के साथ विनम्र है सार्थक है ...
    शुक्रिया जी /

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  21. सुन्दर प्यार भरा गीत बढ़िया अंदाज

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  22. दीवाने से ये मत पूछो..दीवाने पे क्या गुजारी है ..वह भी मयखाने में ..दर्शी जी बहुत ही प्यारी कविता ..सबके लायक..

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  23. Lajawaab ... naye andaaj ki rachna ... aapsi samvaad bahut dilkash laga ... pyaar bhara ...

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  24. प्यार में संवाद भी आवश्यक है, इस और इंगित करती एक सुंदर रचना !

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  25. बहुत बढ़िया लिखा है आपने.......बहुत अच्छे

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  26. खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने.बहुत खूब.
    बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
    आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......