" ये है बाम्बे मेरी जान "
गेट -वे -आफ-इंडिया
( चलिए आज आपको मैं एलिफेंटा की गुफाओं की सैर करवाती हूँ )
२9 मई 2011दिन -रविवार :---
मेरी सहेली रुकमा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ मुम्बई शादी में आई हैं --मुझे उन सब को घुमाना है हम कुल १२लोग है ..कल हमने एलिफेंटा -केव्ज़ देखने का प्रोग्राम बनाया ...
मै सुबह ७ बजे की लोकल वसई से पकड़कर चर्चगेट पंहुंची --डेढ़ घंटे में, मैं चर्चगेट पहुंच गई ..वो लोग अँधेरी से बैठे --हमे चर्चगेट मिलना था --सबसे पहले हम लोग मरीन ड्राइव पर घुमने पहुंचे ..सुबह का खुश गवार मंजर था ----शांति थी-- सन्डे होने के कारण मरीन ड्राईव सुनसान थी वहां की ठंडी हवा हमे मदहोश कर रही थी --बच्चो ने जिद पकड़ ली की हमे 'मुन्ना भाई वाली 'लोकेशन दिखाओ --ठीक है तो चलिए आप भी देखे :---
(मुन्ना भाई वाली लोकेशन ~~~~बच्चे खुश ..)
( इतना मत हंस यार ..पत्थर तिडक जाएगे )
(मरीन ड्राईव पर पड़े सीमेंट के पत्थर )
( स्तुति रुकमा की भतीजी )
यहाँ से हम सीधे गेटवे आफ इंडिया पहुंचे ...
( यह है होटल ताज महल पुराना )
( यह है होटल ताजमहल नया )
( मैं और आरुशी )
यहाँ से हमने फेरी ली , फेरी यानी मोटर बोट ..किराया --१३० रु एक व्यक्ति का !यहाँ से एक घंटे मै हम एलिफेंटा केव्ज़ पहुंचेगे ...हम सब फेरी मे चल दिए ..मै खुद पहली बार वहाँ जा रही थी ..
( यह है फेरी यानी मोटर बोट )
( विशाल ~~~~~~अरब सागर )
( दूर होता~~~` ताजमहल होटल )
(मेरे साथ का महिला वर्ग )
( शेलु, रुकमा और मैं =मस्ती भरा है शमा ...)
( रास्ते मे खड़े बड़े -बड़े जहाज )
(यह तो केमरे में ही नही आ रहा ...इता बड़ा ...)
(दो फोटू लगा देती हूँ ~~~तेल से भरा जहाज )
( एक और तेल वाहक जहाज )
( नाश्ते का दोर~~~ चल रहा है )
(आखिर बैठने की जगह मिल ही गई )
(यहाँ भी नाश्ता चल रहा है )
( एक घंटे का कुछ -कुछ उबाऊ सफर )
(आखिर मंजिल नजदीक आ ही गई )
(वो ~~~~रहा दिव्प-समूह )
( पहुंच~~~~~~~~~~~~~गए जी )
(फेरी से उतर कर चल पड़े मिनी ट्रेन के पास )
(स्तुति और मैं ~~~`मिनी ट्रेन में )
( स्तुती मिनी ट्रेन के पास )
(रास्ते की सुंदर~~द्रस्यावली )
(ब्रह्मा, विष्णु और महेश )
(खूबसुरत शमां ~~~~~~~और कहाँ ~`यहाँ ,यहाँ,यहाँ ..)
(जिन्दगी एक सफर है सुहाना ......)
छोटी -सी मिनी ट्रेन में जिसका किराया था १० रु हम आराम से गेट तक पहुंच गए ..यहाँ से आगे का सफर शुरू होता है --यहाँ भी 5 रु.इंट्री फ़ीस अब , यानी उपर जाने के लिए सीडियां ...अरे बाप से .....
(उपर जाने का मार्ग )
शेष अगली किस्त मे ~~~~~~~~~~~मिलते है !!!
जारी --------
सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंchitro dwara poore mumbai ki saer karadi aapne.bahut badiyaa dhang se prastut ki gai prastuti.badhaai.
जवाब देंहटाएंplease visit my blog.thanks
नमस्कार दर्शन जी,
जवाब देंहटाएंसीमेंट के पत्थर मैं समझा कि कोई डिजाईन बनाया है,
आप भी पहली बार एलीफ़ेंटा गयी, ये तो हद ही हो गयी।
अरे इस ट्रेन में नीरज जाट जी नहीं बैठे है, तो मेरा तो सवाल ही नहीं है,
अगले लेख में इस द्धीप के बारे में, कितना लम्बा चौडा आदि-आदि जरुर बताना।
दर्शन कौर जी आप और आरुशी, वाह मेरी बेटी का नाम भी आरुषी है सुंदर चित्रमय यात्रा ,आभार
जवाब देंहटाएंहम आठ साल मुंबई में रहने के बावजूद यहाँ जाने की सोचते ही रह गए अब आपके माध्यम से सैर कर रहे हैं...बढ़िया चित्र और वर्णन.
जवाब देंहटाएंनीरज
नीरज जी,मैं ३० साल से मुम्बई में हूँ और पहली बार वहाँ गई ..हमेशा सोचते ही रह जाती थी ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों से सुसज्जित उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंरोचक अंदाज .आभार
जवाब देंहटाएंफोटो फीचर बहुत बढ़िया रहा!
जवाब देंहटाएंआपके साथ हम भी मुम्बई धूम लिए!
सुन्दर चित्रमय प्रस्तुति..... धन्यवाद
जवाब देंहटाएंअब तक का वर्णन व चित्र देखकर लग रहा है कि ऐलिफ़ैंटा केव्ज़ की स्थिति में सुधार आया है। पहले तो मैं जब भी गया, हर बार पहले से बिगडा हुआ ही पाया था।
जवाब देंहटाएंइसका मतलब आपसे पहले हम यहाँ की सैर कर आए।
जवाब देंहटाएंफ़ेरी वाले ने 80 रुपए लिए थे,
शायद अब दुरी बढ गयी है :)
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंखास चिट्ठे .. आपके लिए ...
सुंदर चित्रमय यात्रा .....बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंआदरणीय दर्शन कौर जी नमस्कार !
जवाब देंहटाएंवैसे तो आपका ब्लॉग ही कमाल का है, पर जब भी नया कुछ मिलता है काफ्फी बढ़िया लगता है !
शायद इस रोचक अंदाज में आपके साथ हम भी मुम्बई घुम लिए!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार ....
बल्ले बल्ले ......
जवाब देंहटाएंaapki किस्मत पे जलन ho रही है दर्शी ji ......
और ये क्या .....?
आप उम्र के साथ साथ khoobsurat होती जा रही हैं ......
:))
सुंदर चित्रमय यात्रा
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत धन्यवाद
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
आपके द्वारा दिए चित्रों से हमारी यादें भी ताज़ा हो आईं और एक नए सफ़र का मज़ा आया.
जवाब देंहटाएंआभार.
ऐसा होता है हम आजतक दिल्ली नहीं घूमे और मुम्बई घूम आये जी सन 2000 था शायद जब मुम्बई में खूब बारिश हुई थी। सबने कहा था ट्रेनें भी बन्द हैं मत जाओ। लेकिन जब हम गये सबकुछ चालू हो गया और बारिश थम गई थी :)
जवाब देंहटाएंयादें ताजा करवा दी आपने, धन्यवाद
प्रणाम स्वीकार करें
रोचक चित्रों व जानकारी के साथ यह यात्रा भी खूब रही. बढ़िया प्रस्तुति और सबसे बढ कर अपनों के प्रति आपका प्रेम और आत्मीयता !
जवाब देंहटाएंबधाई दर्शन जी !
vaah..nice presentation and beautiful collection...darshiji
जवाब देंहटाएंएक बार फिर से ब्लॉग नगरी में लौट आया | दूर रह भी तो नही सकते | बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति | उज्जैन से वापस आ गए क्या ?
जवाब देंहटाएंTHANKS ALOT..
आदरणीय दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार
बहुत ही बढ़िया चित्र
आपकी वजह से हमे भी घर बैठे सैर कर लेते है
आपका बहुत बहुत आभार ....
वैसे तो मुंबई पचासों दफा जाना हुआ। पर सही मायने में मुंबई को आज देखा। आपको बधाई
जवाब देंहटाएंहमने भी मुम्बई दर्शन कर लिया ...फोटो बहुत सुन्दर हैं. धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंअगली किस्त पहले पढ़ ली.इसमें तो आपका 'दरस' मरीन ड्राइव को दमका रहा है.पत्थर तो नहीं तिडके पर,हम जरूर तिडक जायेंगें दर्शी जी.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर फोटोग्राफी की है आपने.
harkeerat jee ke baat se sahmat hoon...puri tarah:):):).....
जवाब देंहटाएंkaun kahta hai aap ki umra hoti jaa rahi hai..:D
ab to pakka hai...hamari mumbai ki trip ki aap guide rahoge:D....hahahahh
sir se permission le lena:)
aap ki sabhi rachnaayen padhi padh kar bahut acchaa laga kaffi achaa likhti hain aap ....kabhi time mile to mere bhi post par aakar mujhe bhi anugrahit karen ....many thanks ....
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