मेरे अरमान.. मेरे सपने..

सोमवार, 18 जुलाई 2011

* सपनो का महल और मैं *



 * सपनो का महल और मैं *  







सपने देखती वो नन्ही परी...
अपने सपनो मै मग्न --
उड़ानों मैं व्यस्त,
अपने घर की खिड़की मैं बैठी--
बाहर बच्चो को खेलते देखती रहती ???

अपनी उदास आँखों से नभ को ताकती रहती !
मजबूर थीं बेचारी !
माँ जो न थी उसकी !!

उसका दुःख कोई नहीं जानता था ?
अपने अकेलेपन से वो खुश न थी ?
पर उमंगे कम न थी --
बादलो पे सवार --
अपनी ही दुनिया मैं खोई हुई --
वो हमेशा आकाश में विचरण करती रहती थी --

सपनों में रहती ! सपनो मैं खाती ! सपनो मैं सोती थी !

चाँद को बांहों में भरने की ललक थी उसमें !





समय अपने पंख पसार उड़ता रहा ---एक दिन ---

अपनी बगियाँ में बैठी फूलो से बाते कर रही थी --
शाम का झुरमुट फैल रहा था --
सूरज की लालिमा और
रात की कालिमा के बीच
अचानक --
उसे महसूस हुआ --
कोई देख रहा हैं --
नजरे घुमाकर देखा --
 "यह वो था "
वो मुझे 'अपलक' निहार रहा था ?
वो 'शायद'  मुझसे प्यार करता था ?
दीवाना था वो मेरा --
पर मैं हमेशा उसे मायूस करती--
मुझे भ्रम था की --'जो मुझे चाहेगा '--
वो मुझसे दूर चला जाएगा --

मेरी माँ की तरह !
मेरे पापा की तरह !!






पर विधि का विधान कुछ ही और था --

धीरे -धीरे हमारी मुलाकाते होने लगी --
मैं 'शायद' उसे प्यार करने लगी --??????
 यह दुनियाँ  हसीन लगने लगी-----
हम दोनों की एक अलग ही दुनिया थी --
जहां प्यार--और सिर्फ प्यार था --?

पर होनी को कौन  टाल सकता हें--
फिर एक बार मेरी किस्मत ने मुझे धोखा दिया ..
मेरे रेत के धरोंदे को किसी ने बेदर्दी से तोड़ दिया --
काल के धिनौने पंजे --
मेरी तकदीर पर पंख पसार चुके थे ..?
'उसको' अपने खुले जबड़े मैं फंसा चुके थे ..??
उसको मुझसे दूर ~~~ले जा चुके थे..?????





मैं बहुत रोई ! गिड़गिड़ाई --
पर किसी पत्थर की मूरत को ,
मुझ पर दया न आई ---

मेरी उमंगे !मेरी हसरते !मेरी ख्वाहिशें !!!!!

सब धरी रह गई ......
और मैं ठगी -सी --
अपनी दुनिया लुटती देखती रही --

पंख कुतर चुके थे मेरे ???????
और मैं कठोर धरातल पर आ गिरी !!!!

आँखों से अश्क सुख चुके थे  --




उसका अक्स आँखों में लिए मैं फिर खिड़की के पास आ बैठी ---
बच्चे अभी भी खेल रहे थे ********

26 टिप्‍पणियां:

  1. सपनों का दर्द ,
    अपनों का दर्द,
    सब कुछ बयां कर दिया आपने.
    फिर भी सपने जरूर देखिये.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति , बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. अचानक --
    उसे महसूस हुआ --
    कोई देख रहा हैं --
    नजरे घुमाकर देखा --
    "यह वो था "
    वो मुझे 'अपलक' निहार रहा था ?
    वो 'शायद' मुझसे प्यार करता था ?
    बहुत ही सुन्दर भाव...उससे सुन्दर वे शब्द जिनमें इन भावों को पिरोया गया है..सीधे दिल में उतारते हैं ...
    .... भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।

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  4. पर होनी को कौन टाल सकता हें--
    फिर एक बार मेरी किस्मत ने मुझे धोखा दिया ..
    मेरे रेत के धरोंदे को किसी ने बेदर्दी से तोड़ दिया --
    काल के धिनौने पंजे --
    मेरी तकदीर पर पंख पसार चुके थे ..?
    'उसको' अपने खुले जबड़े मैं फंसा चुके थे ..??
    उसको मुझसे दूर ~~~ले जा चुके थे..???

    प्यार में अक्सर ही ऐसा क्यों होता है ?
    जाने क्यों हम फिर भी मोहब्बत किया करते हैं

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  5. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने इस अभिव्‍यक्ति में ।

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  6. har kisi ko har kuchh nahi milta
    kisi ko jamin nahi milti
    kisi ko aasman nahi milta...!


    bahut gahree soch rakhte ho aap:)
    sach me aisa kuchh ho jata hai naa...
    antim line ne jhakjhor diya...!

    उसका अक्स आँखों में लिए मैं फिर खिड़की के पास आ बैठी ---
    बच्चे अभी भी खेल रहे थे ********

    जवाब देंहटाएं
  7. पर होनी को कौन टाल सकता हें--
    फिर एक बार मेरी किस्मत ने मुझे धोखा दिया ..
    मेरे रेत के धरोंदे को किसी ने बेदर्दी से तोड़ दिया --
    काल के धिनौने पंजे --
    मेरी तकदीर पर पंख पसार चुके थे ..?
    'उसको' अपने खुले जबड़े मैं फंसा चुके थे ..??
    उसको मुझसे दूर ~~~ले जा चुके थे..?????

    ऊफ्फ .. जीवनभर एक ही दर्द !!
    सटीक अभिव्‍यक्ति !!

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  8. बढ़िया प्रस्तुति !
    वैसे आपकी हर कविता दुखांत ही क्यों होती है , दर्शी जी !

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  9. वाह, बहुत बढिया प्रस्तुति।
    वो मुझे 'अपलक' निहार रहा था ?
    वो 'शायद' मुझसे प्यार करता था?

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  10. @कुछ फिल्मे सिवाय दुखांत के सम्पूर्ण नही होती ? उसी तरह मेरी कुछ कविताए भी दुखांत पर ही खत्म होती हैं ..मैं खुद इतनी हंसमुख हूँ पर दुसरो को क्यों रुलाती हूँ पता नही Aarkay saheb????

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  11. सुन्दर कवितामयी दास्तान सुनाई .

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  12. एक बार फिर ...आपके शब्दों , चित्रों और भावों ने मन मोह लिया है...अद्भुत रचना...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  13. मन में इस तरह की धारणा नहीं आने देनी चाहिए कि जो अपना होगा वो दूर चला जाएगा....
    पर अभिव्यक्ति बहुत खूबसूरत है...

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  14. आदरणीय दर्शन कौर जी नमस्ते !बहुत जल्दी जल्दी पोस्ट पे पोस्ट लिखे जा रही है आप |
    कुछ सुस्ता तो लीजिये कुछ हम जैसे अज्ञानियों को भी तो सांस ले लेने दीजिये !!
    बहुत ही सुन्दर भाव...उससे सुन्दर शब्द तथा चित्र सजाया है आपने !
    शब्दों का खूबसूरत संयोजन ,बेहद खूबसूरत ,बहुत सुंदर.........

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  15. बहुत दर्द है इस रचना में,सुंदर प्रस्तुति,
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  16. एक पूरा कालखंड जी लिया आपकी कविता ने और इस कविता के साथ हमने भी ...
    बहुत सहज चित्रण किया है आपने बहुत ही मर्मस्पर्शी !

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  17. waah...
    kitni sundar hoti hai na wo sapno ki duniya... aur wo yaadein... aur fir ye pyara sa vartmaan... ham kitne acchhe se sab mein ram jaate hain par yaadein kabhi pichha nahi chhodti...

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  18. वो मुझे 'अपलक' निहार रहा था ?
    वो 'शायद' मुझसे प्यार करता था?

    वाह बहुत बढिया प्रस्तुति। बधाई स्वीकारें

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  19. जीवन भर की दास्तान सुना दी ..अच्छी प्रस्तुति

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  20. जो मुझे चाहेगा दूर चला जाएगा

    पापा की तरह मा की तरह

    वाह

    पर चाहत न होगी कसम खुदा की कसम

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  21. सपने शायद टूटने के लिए ही होते हैं।
    कविता की मार्मिकता हृदय को स्पर्श करती है।

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......