गोल्डन टेम्पल भाग २
अमृतसर
रात ९.३० बजे हमने (बेटा सन्नी और मैं ) बोरीवली से 'गोल्डन टेम्पल अमृतसर ' गाड़ी पकड़ी--! ता.7 को हम अमृतसर पहुंचे --रूम लिया और अब हम गुरूद्वारे में जाने को निकल पड़े ...
गोल्डन टेम्पल अमृतसर भाग १ पढने के लिए यहाँ क्लीक करे ..
आज सुबह जब हम अमृतसर पहुंचे नहीं थे ..तब अतुल का फोन आया ..वो अमृतसर पहुँच गया था ? अतुल वही है जो अल्मोड़ा 'नीरज जाट ' के साथ गया था...और जिसके 'जन्मदिन' पर मैने एक कविता भी लिखी थी .....वो कल तक तो चम्बा में था ..आज अमृतसर भी पहुँच गया ---मुझसे मिलने को ..? बहुत प्यारा बच्चा हैं ..हमेशा अकेला ही घूमता रहता हैं--और वहाँ की सारी जानकारी फोन पर देता रहता हैं....
(नीरज जाट और अतुल )
खेर,जब हम गुरुद्वारे पहुंचे तो अतुल वही खड़ा मिला ..मुझे देखते ही पहचान गया--तुरंत मेरे पैरो पर झुक गया..बहुत ही अच्छा लड़का लगा ..सन्नी थोडा अपसेट था ? पर अतुल के व्यवहार से कब दोनों दोस्त बन गए पता ही नहीं चला ... अतुल कुछ काम से चला गया --उसने दरबारसाहेब में सुबह हाजिरी दे दी थी--शाम को बाधा -वार्डर चलेंगे --हमने वादा किया -
फिर हम गुरूद्वारे की और चल पड़े ...आज सन्डे होने के कारण बहुत भीड़ थी .. सबसे पहले सरोवर में सन्नी ने स्नान किया ...मैं कल करुँगी ...
(सरोवर में स्नान करते हुए सन्नी )
(जंजीर से पकड़कर स्नान...? कही डूब न जाउ ? सन्नी को यही शंका सता रही हैं )
यह हैं "बेरी का पेड़ "वाली जगह --कहते हैं-- 'यहाँ जो भी स्नान करता हैं उसका चरम रोग ठीक हो जाता हैं ' इस स्थान की बहुत महत्ता हैं--यहाँ गुरुनानकदेवजी ने भी साधना की थी...
( यहाँ हैं बाबा दीप सिंह जी का गुरुद्वारा )
यहाँ हैं बाबा दीप सिंह जी के गुरुद्वारे के पास उनकी पट्टिका --" कहते हैं --जब आर्मी गोल्डन टेम्पल में धुसी थी.. तब यहाँ आकर टेंक फंस गए थे ...आगे बढ़ ही नहीं रहे थे---तब यहाँ पर 'अरदास' की गई ..तब कही जाकर मिलिट्री आगे बढ़ सकी ----आपरेशन --ब्लू स्टार !"पर आंतकवादियों को खदेड़ने के लिए ....
( गुरुद्वारे के चारो कोनो में पानी पीने की व्यवस्था हैं --कभी -कभी यहाँ मीठी लस्सी भी मिलती हैं )
( प्रसाद की लाइन ...यहाँ आप ११ रु. का प्रसाद लो या १०१ का सबको बराबर मिलता हैं )
( लाइन में खड़े हुए---आज बहुत गर्दी (भीड़ )...हैं )
( आज गुरूद्वारे में बहुत भीड़ हैं )
(सोने का केंडिल ...पहले यहाँ दीपक जलाता था )
(किसी ने प्रसाद का दोना फेंक दिया ..ऐसी पवित्र जगह पर हमें ध्यान देना चाहिए की गंदगी न करे )
( यह गुरुद्वारे के ऊपर का फोटू हैं.....चुपचाप लिया हुआ ? )
(गुरूद्वारे के अंदर का द्रश्य ---चुपचाप लिया हुआ)
(३ घंटे में ...बड़ी मशक्कत के बाद बाबा के दर्शन हुए...)
दर्शन के बाद प्रसन्न मुद्रा में दर्शन
(सन्नी क्यों पीछे रहता ..? उसका भी एक शानदार फोटू )
(तालाब में तैरती हुई गोल्डन-फिश )
(आखरी मोड़ पर गुरूद्वारे से निकलकर गुरु का प्रसाद ...लेती संगत )
यह हैं अकाल तख्त ---सिख धर्म के सारे हुक्म यही से निकलते हैं--जिन्हें सबको मानना पड़ता हैं !
अकाल तख्त--सिखधर्म के सारे फरमान यही से जारी होते हैं-- जिन्हें सारे देश की गुरुद्वारा-प्रबन्धक कमेटी को मानना होता हें --'आपरेशन -ब्लूस्टार' के समय इसे मिलिट्री ने तोपों से उड़ा दिया था --और जनरेलसिंह भिंडरावाला को अपने साथियो के साथ यहि से गिरफ्तार किया था--उसके बाद अकालतख्त की दौबारा कार- सेवा की गई..आज का अकालतख्त नया बना हैं--रात को 'महाराज की सवारी' यही आती हैं--और गुरुग्रन्थ साहेब का सुकासन यही होता हैं !
दोपहर के ३ बज रहे थे और हमें भूख सता रही थी ..सुबह स्टेशन पर एक चाय पी थी--तब से भूखे थे--थोडा सा प्रसाद ही खाया था -- सो अब चूहों की कबड्डी चालू हो गई थी--अब, हम चलते हैं 'लंगर- हाल ' की तरफ --यहाँ हर टाइम गुरु का लंगर चलता रहता हैं --यह दो मंजिला लंगर हाल हैं --निचे फुल हो जाने के बाद उपर संगत चल देती हैं--नीचे चाय की भी 'सेवा होती रहती हैं --बढ़िया सोंफ की बनी चाय---
(यह हैं 'लंगर-हाल -- यहाँ मोटर गाडी द्वारा सफाई होती हैं )
(ऊपर लंगर को जाती संगत )
( गुरु का लंगर करती संगत )
( गुरु का प्रसाद यानी खाना ----अभी खीर और सब्जी नहीं आई हैं.. पर मुझे बहुत भूख लग रही..)
लंगर -हाल
खाने का सिस्टम यहाँ बहुत अच्छा हैं ..इतनी संगत के होते हुए भी न गंदगी! न खाने की कंमी !कैसे मैनेज करते है ?आश्चर्य हैं .....
यह हैं बर्तन साफ़ करने की जगह....आप आराम से सेवा कर सकते हो ? यहाँ सेवा करने के लिए लाइन लगती हैं ..सिख -धर्म में सेवा का बहुत महत्व हैं ?
खाना खाकर हम चल दिए अपने कमरे में --बहुत थक गए थे --थोडा आराम करेंगे ...वैसे यहाँ गर्मी भी बहुत हें --शाम को बाधा वार्डर भी जाना हैं .....अतुल इन्तजार कर रहा होगा ...शेष अगली बार ;;;;;
जारी -------
जारी -------
मैं भी गया हूँ यहाँ पर,
जवाब देंहटाएंजो बात आपने कही है खाने के बारे में,
ऐसा ही कुछ शिर्डी में भी है, है न कमाल।
आपकी नाराज़ से एक पर फिर गुरुद्वारे के दर्शन हो गए ........पहले से देखा हुआ फिर से सब याद आ गया .....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर --
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति |
मैं भी गया हूँ यहाँ पर,
बधाई ||
हमने भी लगता है स्वर्ण मंदिर की यात्रा कर ली. आपने तो चप्पे चप्पे के दर्शन करा दिए .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर धनोय जी ! मै सपरिवार यहाँ गया था ! न स्नान कर पाया न लंगर में जा पाया था ! परन्तु बहुत दिल को शांति मिली थी ! आगे की यात्रा का इंतजार है !
जवाब देंहटाएंहम भी दो बार गए हैं जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा था सब कुछ देखकर ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति , सुन्दर चित्र | आप के साथ हमने भी-स्वर्ण मंदिर की यात्रा कर ली....धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंसुन्दर स्थान है। और आपके केमरे ने भी अच्छा काम किया है। आप तो सोणें लग ही रहे हो हा सन्नी भी ।
जवाब देंहटाएंis prastuti ka intezar tha ...darshan poorn hue ..yatra poori hui ..
जवाब देंहटाएंabhar..!!
bahut sundar..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर --
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति |
एक और यात्रा करवाने के लिए आपका आभार वह भी सुंदर चित्रों के साथ, बहुत सुंदर ......
जवाब देंहटाएंमैंने भी वैसे तो छोटे-बडे कई गुरुद्वारों के लंगर छक रखे हैं लेकिन अभी तक गुरुद्वारों का गुरू यह स्वर्ण मन्दिर अछूता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति , सुन्दर चित्र...आपका बहुत-बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंBahut Sunder Chitra.... paawan Sthal ki yatra karati post... Abhar
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह यह सचित्र यात्रा भी खूब रही . लगभग ३५ वर्ष पुरानीं यादें ताज़ा हो आयीं.
जवाब देंहटाएंआभार !
गई तो हूँ बचपन में पर अब काफी कुछ बदल गया है ...
जवाब देंहटाएंभूली नहीं हूँ आपको बस व्यवस्ता बहुत रहती है आ ही नहीं पी इधर ....
तसवीरें देख आनंद आ गया ....
इतना इतिहास तो मुझे भी नहीं पता था ....
आप तो सैर पर ही रहती हैं ...बड़ी खुशकिस्मत हैं ...
हाँ ....ये गर्दी क्या होता है ....?
जवाब देंहटाएंआज बहुत गर्दी हैं)
@बम्बइया भाषा हें प्यारे ...! हाहाहा ...गर्दी का मतलब भीड़ !
जवाब देंहटाएंमाफ़ करना हीर ,पहले पी सी खराब ..फिर डेशबोर्ड पर कुछ अंकित नही ..जाऊ तो कहा जाऊ ...इसी पेशोपेश में काफी दिनों बाद तुम्हारे ब्लॉग पर आ सकी ..वो भी ललित की 'ब्लॉग ४वार्ता' की मदद से... ख़ुशी हुई मेरी बहन मुझे भूली नहीं हें... .
जवाब देंहटाएं♥
आदरणीया भाभी दर्शन कौर जी
सादर प्रणाम !
आपके साथ इस सचित्र पोस्ट के जरिए गोल्डन टेम्पल अमृतसर की ज़ियारत करके आनन्द आ गया …
कहते हैं कि तीर्थ दर्शन कराने वाले को बहुत पुण्य मिलता है … आपने इस पवित्र धाम का दर्शन कराया … कृतज्ञ हूं !
बीते हुए हर पर्व-त्यौंहार सहित
आने वाले सभी उत्सवों-मंगलदिवसों के लिए
♥ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत ही सुंदर....लाजवाब।
जवाब देंहटाएंitni sundar yatra karaane ka shukriya darshan ji ...
जवाब देंहटाएंआदरणीया दर्शन कौर जी
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम !
मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से
बहुत ही कम लिख पा रहा हूँ
कृपया देर से आने के लिएक्षमा करें बहुत परोपकार का कार्य कर रही है आप
घर बैठे ही आपने इतना कुछ घुमा दिया
कैसे आपके अहसानों का बदला चुकाया जाया मेरे समझ के बाहर है
हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं.......
स्वर्ण मंदिर की स्वर्णिम यादें..सुंदर फोटाग्राफी...एक बार बहुत पास पहुंच कर भी मैं न जा सका। ...वाहे गुरू ने चाहा तो फिर कभी।
जवाब देंहटाएंहृदय में भक्तिभाव जगाता सुंदर चित्रात्मक वर्णन।
जवाब देंहटाएंचित्रों द्वारा सुन्दर दर्शन कराने के लिए आपका धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआपकी इस पोस्ट से गोल्डन टेम्पल के बारे में बहुत अच्छी जानकारी मिली.
बहुत बहुत आभार.