गोल्डन टेम्पल भाग 3
गुरु रामदास जी सिक्ख -धर्म के चोथे गुरु थे --उन्होंने ही अमृतसर शहर को बसाया था और इस पवित्र सरोवर का निर्माण कराया था-----
हम 5 अगस्त 2011 को गोल्डन टेम्पल के लिए रवाना हुए थे:---
अतुल का फोन आया तो नींद खुली शाम हो गई थी ...अब बाधा वार्डर नहीं जा सकते थे ... उसे मना किया --वैसे कई बार देख चुकी थी इसलिए मन भी नहीं था -- मैने सन्नी को उठाया ---हम तैयार होकर नीचे चल दिए --पहले जाकर सौप वाली चाय पी,फिर पास ही 'बाबा अटल भाई जी वाले गुरूद्वारे को देखने गए ...यह एक गोल गुरुद्वारा हैं --सात मंजिला ! इसमें काम चल रहा हैं ...रिपेय्रिग का --पास ही बहुत बड़ा तलाब भी हैं ---
(बाबा अटल भाई साहेब जी का गुरुद्वारा )
सबसे ऊपर वाली गुम्मद में गुरु हरकिशन जी का चित्र लगा हैं--और एक अखंड -जोत जल रही हैं ..
(गुरु हरकिशनजी --- सिक्ख धर्म के आठवे गुरु हैं )
( सातवे माले से गुरुद्वारे से दिखाई देता एक विहंगम द्रश्य ---दूर गोल्डन टेम्पल दिखाई दे रहा हैं )
(गुरुद्वारे के अंदर के भित्ति-चित्र )
(गुरुद्वारे के अंदर के भित्ति-चित्र )
( मुग़ल शासन के समय के )
( कबूतरों से मेल -मिलाप हो जाए )
(यह हैं बेरी का झाड ---यहाँ गुरुनानक देव जी स्वयम साधना करते थे )
( रात का नजारा ---सोने- सा चमक रहा तेरा दरबार दाता )
(सन्नी का गुरु प्रेम )
(रात को अतुल भी आ गया --हमने इक्कठे गुरु साहेब का सुखासन किया )
( जगमगाहट सोने की ---इसलिए तो इसे गोल्डन -टेम्पल कहते हैं )
(सन्नी , मैं और अतुल )
(दरबार साहेब में पालकी सज़ रही हैं )
( गाजे-बाजे से सवारी को ले जाते हुए )
(अंदर --महाराज की सवारी ---आराम करते हुए )
(धन्य -धन्य गुरु राम दास जी )
-: कुछ पुरानी यादे :-
( 1992 में जब मैं पहली बार गोल्डन टेम्पल गई थी )
( 2002 में जब मैं दूसरी बार गोल्डन टेम्पल गई )
सन्नी ,मैं,जेस और निक्की
( 2010 में जब मैं तीसरी बार गोल्डन टेम्पल गई )
*** साथ में निक्की ***
( और आज 2011 में मेरा चोथा चक्कर हैं ---गोल्डन टेम्पल का )
(रात को अतुल भी आ गया --हमने इक्कठे गुरु साहेब का सुखासन किया )
( जगमगाहट सोने की ---इसलिए तो इसे गोल्डन -टेम्पल कहते हैं )
(सन्नी , मैं और अतुल )
(दरबार साहेब में पालकी सज़ रही हैं )
( गाजे-बाजे से सवारी को ले जाते हुए )
( रात ११बजे --पालकी साहब से महाराज की सवारी अकाल तख्त में विश्राम को जाते हुए )
(धन्य -धन्य गुरु राम दास जी )
-: कुछ पुरानी यादे :-
( 1992 में जब मैं पहली बार गोल्डन टेम्पल गई थी )
अंजुल, सन्नी, जेस, ऋषि, निक्की और रवि --मेरे और मेरे देवर के बच्चे .....
( 2002 में जब मैं दूसरी बार गोल्डन टेम्पल गई )
सन्नी ,मैं,जेस और निक्की
( 2010 में जब मैं तीसरी बार गोल्डन टेम्पल गई )
*** साथ में निक्की ***
( और आज 2011 में मेरा चोथा चक्कर हैं ---गोल्डन टेम्पल का )
रात १२ बजे हम सोने चले गए---अतुल अपने होटल में गया ...
कल हम घुमने जाएगे --लाला माता और जन्लियावालाबाग़ ---
bahut-bahut aabhaar ||
जवाब देंहटाएंसुन्दर यात्रा विवरण, सुन्दर चित्रों के साथ... आभार
जवाब देंहटाएंआपके साथ अमृतसर घूमना बहुत अच्छा लगा। आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा,सुन्दर
जवाब देंहटाएंजो बोले सो निहाल...सत श्री अकाल...गुद्वारे के दर्शन कर धन्य हुए...
जवाब देंहटाएंनीरज
सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर यात्रा विवरण| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंअमृतसर यात्रा की यह रोचक सचित्र प्रस्तुति बहुत ही अच्छी लगी ..आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों के साथ अमृतसर घूमना बहुत अच्छा लगा।....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति...... एक बार गोल्डन टेम्पल जाने का बड़ा मन है... देखते हैं दरबार साहब का कब बुलावा आता है
जवाब देंहटाएंदिखाते रहो, देख रहे है सब,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक आलेख,
जवाब देंहटाएंआपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!
सच्जित्र बहुत सुन्दर झांकी ! बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्र है!
जवाब देंहटाएंदेखकर धन्य हो गये!
वाहे गुरूजी का खालसा!
वाहे गुरु जी की फतह!!
इतने सुन्दर -सुन्दर फोटो के साथ अमृतसर घूम कर मजा आ गया ...
जवाब देंहटाएंस्वर्ण मंदिर और लग रहा है कि आपने भी सोने का सूट पहन लिया है ......!
जवाब देंहटाएंवाह! अति सुन्दर दर्शन,दर्शी जी.
जवाब देंहटाएंगोल्डन टेम्पल के चौथे चक्कर के लिए आपको बधाई.
कबूतरों से मेल मिलाप करना अच्छा लगा.
कितने कबूतर आपके दोस्त हो गए हैं अब?
श्रद्धाभाव जगाते सुंदर चित्र।
जवाब देंहटाएंआपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
जवाब देंहटाएंआप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
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