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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

गोल्डन टेम्पल अमृतसर भाग 3


गोल्डन टेम्पल भाग 3


( रात का सुहाना मंजर )




( गुरु रामदास जी--चोथे गुरु )





गुरु रामदास जी सिक्ख -धर्म के चोथे गुरु थे --उन्होंने ही अमृतसर शहर को बसाया था और इस पवित्र सरोवर का निर्माण कराया  था-----

हम 5 अगस्त 2011 को  गोल्डन टेम्पल के लिए रवाना हुए थे:---







अतुल का फोन आया तो नींद खुली शाम हो गई थी ...अब बाधा वार्डर नहीं जा सकते थे ... उसे मना किया --वैसे कई बार देख चुकी थी इसलिए मन भी नहीं था -- मैने सन्नी को उठाया ---हम तैयार होकर नीचे चल दिए --पहले जाकर सौप वाली चाय पी,फिर पास ही 'बाबा अटल भाई जी वाले गुरूद्वारे को देखने गए ...यह एक गोल गुरुद्वारा हैं --सात मंजिला ! इसमें  काम चल रहा हैं  ...रिपेय्रिग का --पास ही बहुत बड़ा तलाब भी हैं ---


      
(बाबा अटल भाई साहेब जी का गुरुद्वारा )



सबसे ऊपर वाली गुम्मद में गुरु हरकिशन जी का चित्र लगा  हैं--और एक अखंड -जोत जल रही हैं .. 

(गुरु हरकिशनजी --- सिक्ख धर्म  के आठवे गुरु हैं )



( सातवे माले से गुरुद्वारे से दिखाई देता एक विहंगम द्रश्य ---दूर गोल्डन टेम्पल दिखाई दे रहा हैं )


(गुरुद्वारे के अंदर के भित्ति-चित्र )



(गुरुद्वारे के अंदर के भित्ति-चित्र )
( मुग़ल शासन के समय के )


( कबूतरों से मेल -मिलाप हो जाए  ) 





(यह हैं बेरी का झाड ---यहाँ  गुरुनानक देव जी स्वयम साधना करते थे )



( रात का नजारा ---सोने- सा चमक रहा तेरा दरबार  दाता  )



(सन्नी का गुरु प्रेम )




(रात को अतुल भी आ गया --हमने  इक्कठे गुरु साहेब का सुखासन किया )



( जगमगाहट  सोने की ---इसलिए तो इसे गोल्डन -टेम्पल कहते हैं  )






(सन्नी , मैं और अतुल )  




(दरबार साहेब में पालकी सज़ रही हैं )




(  गाजे-बाजे से सवारी को ले जाते हुए  )






( रात ११बजे --पालकी साहब से महाराज की  सवारी अकाल तख्त में विश्राम को जाते हुए )

(अंदर --महाराज  की  सवारी ---आराम करते हुए )




(धन्य -धन्य गुरु राम दास जी )





 -: कुछ पुरानी यादे :-




( 1992 में जब मैं पहली बार गोल्डन टेम्पल गई थी ) 
अंजुल,  सन्नी, जेस, ऋषि, निक्की और रवि --मेरे और मेरे देवर के बच्चे .....






( 2002 में जब मैं दूसरी बार गोल्डन टेम्पल गई  )
सन्नी ,मैं,जेस और निक्की 






( 2010 में जब मैं तीसरी बार गोल्डन टेम्पल गई  )
*** साथ में निक्की ***


( और आज 2011 में मेरा चोथा चक्कर हैं  ---गोल्डन टेम्पल का  )



रात १२ बजे हम सोने चले गए---अतुल अपने होटल में गया ... 


कल हम घुमने जाएगे --लाला माता और  जन्लियावालाबाग़  ---






18 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर यात्रा विवरण, सुन्दर चित्रों के साथ... आभार

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  2. आपके साथ अमृतसर घूमना बहुत अच्छा लगा। आभार।

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  3. जो बोले सो निहाल...सत श्री अकाल...गुद्वारे के दर्शन कर धन्य हुए...

    नीरज

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  4. सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर यात्रा विवरण| धन्यवाद|

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  5. अमृतसर यात्रा की यह रोचक सचित्र प्रस्‍तुति बहुत ही अच्‍छी लगी ..आभार ।

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  6. सुन्दर चित्रों के साथ अमृतसर घूमना बहुत अच्छा लगा।....

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  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति...... एक बार गोल्डन टेम्पल जाने का बड़ा मन है... देखते हैं दरबार साहब का कब बुलावा आता है

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  8. बहुत सुन्दर सार्थक आलेख,
    आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!

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  9. सच्जित्र बहुत सुन्दर झांकी ! बधाई

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  10. बहुत सुन्दर चित्र है!
    देखकर धन्य हो गये!
    वाहे गुरूजी का खालसा!
    वाहे गुरु जी की फतह!!

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  11. इतने सुन्दर -सुन्दर फोटो के साथ अमृतसर घूम कर मजा आ गया ...

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  12. स्वर्ण मंदिर और लग रहा है कि आपने भी सोने का सूट पहन लिया है ......!

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  13. वाह! अति सुन्दर दर्शन,दर्शी जी.
    गोल्डन टेम्पल के चौथे चक्कर के लिए आपको बधाई.
    कबूतरों से मेल मिलाप करना अच्छा लगा.
    कितने कबूतर आपके दोस्त हो गए हैं अब?

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  14. आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......