मेरी छोटी बेटी निक्की का जन्मदिन
अपने पापा की गोद में निक्की
पंजाबी में निक्की का मतलब होता हें--'छोटा '--हर पंजाबी घरो में एक निककी या एक निक्कू मिल जाएँगे--
निक्की का 21 वा जनम दिन हैं ---हमारे पुरे खानदान में वो बहुत लाडली हैं ..पर मुझे याद आ रहा हैं वो दिन जब निक्की इस धरा पर जन्मी भी नही थी ....???
मैं तीसरे बच्चे के एकदम खिलाफ थी --मेरा पूरा परिवार बन चूका था --इसे मैं किसी भी हालत में नहीं चाहती थी ..मैने बहुत कोशिश की पर सफल नही हुई --वो कहते है न --'जाको राखे साईयाँ ,मार सके न कोई '--ठीक यही हाल निक्की के साथ भी हुआ ---???
उसके जनम की मुझे कोई ख़ुशी नहीं हुई --यहाँ तक की मैने उसकी शक्ल भी नही देखी !अपना मुंह फेर लिया .. डॉ ने बहुत कहाँ की आप एक नन्ही बेटी की माँ बनी हैं ...पर मुझे अच्छा ही नही लग रहा था ...
लेकिन ,२दिन बाद एक अजब वाकिया हुआ ..जिसने मेरा मन ही बदल दिया ----
२दिन बाद ----मैं निक्की को लेकर घर आ गई --दिल में कोई ख़ुशी नही थी --मन थोडा उदास था --पर पतिदेव बहुत खुश थे--उनको वैसे भी लडकियों से जरा ज्यादा ही लगाव हैं .....
रात को करीब १० बजे निक्की की साँसे उखड़ने लगी --नब्ज बहुत स्लो चल रही थी--हम घबरा गए --तुरंत उसे नर्सिग होम डॉ के पास लेकर गए --डॉ ने चेक किया और कहा --'आपने इसे कुछ खिला दिया हैं --आप इसे नही चाहती थी न ' ??? मैं हैरान रह गई --बात तो ठीक थी पर, मैने उसे कुछ नही खिलाया था सिर्फ शहद चटाया था ?मैने उससे कहा --पर वो मानने वाली नही थी -- बोली -- 'पुलिस कम्प्लेंट तो करवानी पड़ेगी हम कुछ नही कर सकते ...'
मैने बहुत कहा-पहचान वाली डॉ थी, थोडा पसीजी ! बोली-- 'आप इसे बाम्बे ले जाए बच्चो के सरकारी हास्पिटल में ,यहाँ हम कुछ नही कर सकते--मैं चिठ्ठी लिख देती हूँ ...!' हालाकि मैं बहुत डर गई थी और इसी कारण मैने उसे यह नहीं बताया की मैने उसे थोड़ी सी अफीम भी चटाई हैं --हमारे यहाँ रिवाज है की बच्चे को थोड़ी सी अफीम भी चटाते हैं ताकि वो आराम से सो सके और पेट की गंदगी भी निकल सके ...शायद मैने नासमझी में थोडा -सा डोज ज्यादा दे दिया होगा ....
खेर, रात ३ बजे हम वसई से टेक्सी कर ग्रांड रोड स्थित वाडिया हास्पिटल चल पड़े --हमे २ घंटे लग जाना था ....रास्ते भर उस नन्ही सी जान पर बहुत तरस आता रहा..मेरा हाथ उसकी नब्ज पर ही था और मैं अपने आप को कोस रही थी की मेरी वजय से इस नन्ही -सी जान पर यह कयामत टूटी हैं ..मैं मन ही मन भगवान् से अपने किए की माफ़ी मांग रही थी ..मेरी मनहूस इच्छा ये मासूम बच्चा भुगत रहा था --डॉ को तो समझ आ गया था की कुछ खिलाया जरुर हैं ? पर मैं उसे बतला नही सकती थी..? मैं खुद डर गई थी ..उपर से २दिन की जच्चा ! बहुत कमजोरी महसूस कर रही थी ..लेंकिन अपनी कमजोरी को नजरंदाज कर मैं निक्की के प्राणों की भीख मांग रही थी ...माँ की ममता की आखिर जीत हुई .....
पुत्रियों को न मारो करो इस बात से तोबा !
मैने बहुत कहा-पहचान वाली डॉ थी, थोडा पसीजी ! बोली-- 'आप इसे बाम्बे ले जाए बच्चो के सरकारी हास्पिटल में ,यहाँ हम कुछ नही कर सकते--मैं चिठ्ठी लिख देती हूँ ...!' हालाकि मैं बहुत डर गई थी और इसी कारण मैने उसे यह नहीं बताया की मैने उसे थोड़ी सी अफीम भी चटाई हैं --हमारे यहाँ रिवाज है की बच्चे को थोड़ी सी अफीम भी चटाते हैं ताकि वो आराम से सो सके और पेट की गंदगी भी निकल सके ...शायद मैने नासमझी में थोडा -सा डोज ज्यादा दे दिया होगा ....
खेर, रात ३ बजे हम वसई से टेक्सी कर ग्रांड रोड स्थित वाडिया हास्पिटल चल पड़े --हमे २ घंटे लग जाना था ....रास्ते भर उस नन्ही सी जान पर बहुत तरस आता रहा..मेरा हाथ उसकी नब्ज पर ही था और मैं अपने आप को कोस रही थी की मेरी वजय से इस नन्ही -सी जान पर यह कयामत टूटी हैं ..मैं मन ही मन भगवान् से अपने किए की माफ़ी मांग रही थी ..मेरी मनहूस इच्छा ये मासूम बच्चा भुगत रहा था --डॉ को तो समझ आ गया था की कुछ खिलाया जरुर हैं ? पर मैं उसे बतला नही सकती थी..? मैं खुद डर गई थी ..उपर से २दिन की जच्चा ! बहुत कमजोरी महसूस कर रही थी ..लेंकिन अपनी कमजोरी को नजरंदाज कर मैं निक्की के प्राणों की भीख मांग रही थी ...माँ की ममता की आखिर जीत हुई .....
हम वाडिया हास्पिटल पहुंचे तब तक सुबह हो चुकी थी ..वो काली अमावस्या की रात बीत चुकी थी ---निक्की भी अब नार्मल साँसे ले रही थी ---शायद अफीम का असर खत्म हो चूका था --हमने OPD में दिखाया तो डॉ बोला यह नार्मल हैं --?आप घर जा सकते हैं ...
मेरा ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ..आँखों में ख़ुशी के आंसू थे --हम वापस घर चल पड़े ...
भगवान् ने मुझे एक करार झटका दिया था ?
मेरी उसी बेटी का आज जनम दिन हैं ...निक्की बहुत समझदार और हुशियार लडकी हैं ...हमारे घर की रौनक और सबकी चाहती हैं ...
"आज उसको एक कविता रूपी भेट देना चाहती हूँ "
" एक अजन्मी बेटी की इल्तजा "
ओ माँ मेरी !मुझे कोख मैं न मार
मुझे देखने दे यह प्यारा संसार
तेरी गोद में मुझ को रहने दे
कुछ पल मुझे और जीने दे
ओ माँ मेरी ..
मुझे तुझ से कुछ और नही लेना हैं
बेटी होने का अधिकार मुझको देना हैं
क्यों तू मेरा गला घोट रही हैं
ओ माँ मेरी . ..
तू भी तो एक माँ की जननी हैं
देखने यह संसार आई हैं
फिर क्यों मेरा वजूद मिटाने चली है
ओ माँ मेरी ...
मुझे मारकर तुझे क्या मिलेगा !
बेटियां तो होती हैं घर का गहना !
ओ माँ मेरी ...
मारकर मुझ को तू क्या करेगी
यह दंड तू सारे जनम भरेगी
इस निठुर समाज के लिए
तू मुझे यू न उजाड़
ओ माँ मेरी ...
अपनी कोख को तू कब्रस्तान न बना
मुझे इस कब्र में जिन्दा न दफना
सुन ले मेरी चीख -पुकार
ओ माँ मेरी ...
यह कैसा समाज है माँ !
यह कैसा रिवाज है माँ !
पुत्र जन्मे तो चाँद चढ़ जाए
पुत्री जन्मे तो अधियारा घिर आए
यह कैसा इन्साफ हैं माँ ?
यह कैसा समाज है माँ ?
तू इन कसाइयो में क्यों मिल गई
ओ माँ मेरी ..
कर ले मेरी मौत से तोबा !
मैरी जिंदगी से गर्व तुझे होगा !!
ओ माँ मेरी ...
पुत्रियों को न मारो करो इस बात से तोबा !
क्योकि यह होती हैं हमारे घर की शोभा !!
17 टिप्पणियां:
सुंदर...अर्थपूर्ण रचना.....
निक्की को जन्मदिन की शुभकामनायें....आपको बधाई
बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
निक्की को जन्मदिन की बधाई!
--
रक्षाबन्धन के पुनीत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!
जन्मदिन व त्यौहार की बधाई।
निक्की को जन्म दिन की हार्दिक बधाई.
जीवन में सदा ही आगे बढती जाये
और अपनी निश्छल निर्मल मुस्कान से
समस्त परिवार और समाज को
नित प्रति हुलसाये और महकाए.
रक्षाबन्धन के पावन पर्व पर बहुत बहुत हार्दिक शुभ कामनाएं.
आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत ही प्यारे चित्र हैं निक्की के.
आपकी अनुपम कविता पढकर मन भाव विभोर हो गया.
निक्की सदा सलामत रहे यही दुआ है.
उन दिनों में मुगली घुट्टी बहुत पोपुलर होती थी . इसमें भी अफीम जैसा ही कुछ होता था .
शुक्र है वाहे गुरु का --आज प्यारी सी बिटिया आपके साथ है . बेटी बिना एक मां कितनी उदास रह सकती है यह वह ही जान सकते हैं जिस घर में बेटी नहीं होती .
जन्मदिन आप सबको मुबारक हो .
कविता भी बहुत मर्मस्पर्शी है .
एक बात समझ में नहीं आयी .. 4 अगस्त को पहला जन्मदिन .. फिर 12 अगस्त को 21वां जन्मदिन कैसे ??
बहुत अच्छी प्रस्तुति .. निक्की को जन्मदिन की बधाई!!
धनोय जी आप कितनी निश्छल है ! कितनी आसानी से सही बाते कह गयी ! आप इस बिटिया का जन्म दिन है , कैसी सोंचती होगी ? कविता भी बहुत मार्मिक लगा ! बिटिया को जन्म दिन की ढेरो शुभ कामनाये !
निक्की को जन्मदिन की शुभकामनायें....
@संगीता जी जन्मदिन तो ४अगस्त ही था --पर पोस्ट १२ को किया हैं -- क्योकि बाहर गई थी
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति..बेटी तो माता पिता के लिए सबसे बड़ा उपहार है..बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं !
निक्की जो अब वड्डी हो गयी है के जनम दिवस की ढेरों शुभकामनाएं...
नीरज
इस पोस्ट ने बाँध लिया...
कुछ हैरानी और कुछ आक्रोश के साथ यह रचना पढ़ी...
सच है जाको राखे साईयाँ...
निक्की को ढेरों बधाईयां...
आपकी कविता सार्थक आवाहन करती है...
सादर...
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।
निक्की को जन्मदिन की बधाई!
Do not treat Mother's Womb as child's Tomb.
पुत्रियों को न मारो करो इस बात से तोबा !
क्योकि यह होती हैं हमारे घर की शोभा !!
ये नवजातों को अफीम चटाने की खतरनाक परम्परा हम कब तक ढोयेंगे? . August 16, 2011
उठो नौजवानों सोने के दिन गए ......http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
सोमवार, १५ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ लिया है (दूसरी किश्त ).
http://veerubhai1947.blogspot.com/
मंगलवार, १६ अगस्त २०११
त्रि -मूर्ती से तीन सवाल .
निक्की को जन्म दिन की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ...आप की रचना बहुत ही मार्मिक और सारगर्भित ्है.....धन्यवाद..
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