मेरे अरमान.. मेरे सपने..

शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

आशापुरी लेक रिसोर्ट


 आशापुरी लेक रिसोर्ट


||तेरी ये निर्मल घाटियां इनमें बंधा है एक समां 
तुम में नहीं कमी, ये भलीवली की सरजमीं ||

* तीर्थ तपोभूमि *
"आशापुरी लेक रिसोर्ट "
एक पिकनिक
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सीनियर सिटीजन क्लब ने इस बार की पिकनिक 'निर्मल ध्यान केंद्र तपोभूमि आशापुरी लेक रिसोर्ट विरार (ईस्ट) में रखी ।
मैँ ,मेरी सहेली पूनम और मिस्टर सुबह 7 बजे निकले पिकनिक को, हमको हंड्रेड फ़ीट सड़क (वसई) पर जाना था ।ऑटो कर के जब हम नियत स्थान पर पहुँचे तो वहां 3 बसे खड़ी थी करीब - करीब आधी से ज्यादा भर चुकी थी। हमको पता चला की अब सिर्फ पीछे की सीटे ही खाली बची है इसलिए हम पीछे की सीट पर बैठ गए।हम अक्सर पीछे ही बैठते है।

सब लोगो के आने के बाद गिनती हुई और हमारी बस चल पड़ी ...
बस में ही हमको खाने को पारले G के एक- एक पैकेट और 2- 2 चॉकलेट भी मिली ।हम सब खाते हुए और अंताक्षरी खेलते हुए आगे बढ़ रहे थे ।

शमां बहुत ही खुशगवार था ठंडी ठंडी बियार चल रही थी दूर पहाड़ की तरफ अभी भी कोहरा छाया हुआ था पेड़ हलके हल्के हिलोरे ले रहे थे और बस में सवार सब एक ही स्वर में गा रहे थे-----

"खोया -खोया चाँद खुला आसमां आँखों में सारी रात जायेगी
तुमको भी कैसे नींद आएगी हो हो हो....खोया खोया चाँद...... 

कहने को सब सीनियर सिटीजन थे पर पिकनिक पर सबका हौसला जवानो से कम नहीं था।मुझे हमेशा ही इन सबके साथ पिकनिक जाना अच्छा लगता है।बुढ़ापा तो जैसे इनको छुआ भी नहीं है ।कई लोग तो 80 पार भी कर चुके है।

वसई निकलने के बाद एक मन्दिर के आगे हमारी बस रुकी , काफी बड़ा मन्दिर था और उसमे भिन्न -भिन्न तरह की मूर्तियां लगी हुई थी। हमने वहां कुछ फोटू खिंचे और सबलोग बाथरूम बगैरा से फ्री हुए और वापस बस में सवार हो गए।

   करीब 20  मिनिट  के बाद हमारी बस एक बगीचे के सामने छोटी सी जगह पर आकर रुकी और हम सब उतर गए ,पास ही छोटी सी तानसा नदी  बह रही थी कहते है इसी नदी में स्वामीजी ने समाधि ली थी।  

  यहाँ प्राचीन वृक्षराज  "कदम"  का पेड़ है जिसको कायाकल्प  वृक्ष भी कहते है। इसके 108 फेरे करने से इच्छापूर्ति होती है ।खेर, हमने तो सिर्फ 11 ही फेरे किये और सदा खुश रहने की इच्छा मांगी। 

"पारद शिवलिंग"  का मन्दिर भी है जिसको देखने मात्र से सारे दुःख दूर हो जाते है।
यहाँ रुद्राक्ष   का एक पुराना पेड़ भी है और इसी पेड़ के रुद्राक्षो से यहाँ शिवजी का बड़ा प्यारा -सा मन्दिर बना है।
यहाँ स्वयं भू हनुमानजी और विष्णुजी की प्रतिमाये भी है जो यही की बावड़ी से प्राप्त हुई है।

यहाँ एक ध्यान केंद्र भी है।जहाँ जाकर आप कुछ टाईम ध्यान लगा सकते हैं पर शायद कोई गया नहीं।
नागेश्वर देव यहाँ के प्रहरी है।कहते है जो सच्चे मन से उनको याद करता है तो वो उनको दर्शन भी देते है।
इस तपोभूमि के यज्ञ की आग कभी बुझती नहीं है।

तो हम सभी सीनियर लोग इस तपोभूमि में उतरे और नाश्ता करने चल पड़े भूख तो लग ही रही थी इसलिए सबने स्वादिष्ट पोहे और उपमा का नाश्ता किया और फिर चाय पी।जिनको काफी पीनी थी उन्होंने काफी भी पी ,और कई लोग तो ऐसे भी थे जिनका आज मंगलवार का उपवास था ।उनके लिए आलू फ्राई कर के रखे थे नाश्ते के लिए , कुछ लोग जैन सम्प्रदाय के थे जो कांदा नहीं खाते थे उनके लिए अलग व्यवस्था थी।

नाश्ता कर सब हाथ मुंह धोकर मन्दिर की और चल पड़े जहाँ गुरूजी ने इस मन्दिर का इतिहास और महत्व पर छोटा सा  भाषण दिया फिर हवन किया।हम सबने हवन में अपनी तरफ से भी आहुतियां डाली ।

बाद में पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया और कदम के पेड़ पर फेरे भी किये ।कई महिलाये 108 फेरे कर रही थी जो मेरे लिए असम्भव नहीं था। मैंने तो श्रद्धया से हाथ ही जोड़े ।

कुछ देर वहां बिताकर हम पीछे गोशाला चले गए जहाँ हमारे द्वारा लाया हुआ गुड और रोटी गायो को खिलाया।
अब हम निचे की और बने बगीचे में आ गए वहां काफी मात्रा में चारपाइया पड़ी थी हमने भी एक पेड़ के निचे की चारपाई पर अपना कब्जा जमाया और कुछ देर आराम किया।

फिर सभागृह में आकर सबने  मनोरंजन किया गाने और चुटकुलो से समां बन्ध सा गया।
कुछ देर इधर उधर घूमकर हमने टाईम पास किया इतने में खाना भी बन गया और हम सब खाना खाने डायनिंग हाल में आ गए।पहले सारी महिला वर्ग ने खाना खाया फिर पुरुष वर्ग ने शुरू किया।.

खाना काफी स्वादिष्ट था। पेट भर खाने के बाद सब बड़े हाल में पहुँच गए जहाँ आदिवासियों के लिए लाये हुए कपड़ो का वितरण हमारे क्लब के सेकेट्री जोशी जी ने किया। गरीब आदिवासी हमारे लाये कपड़े और खिलौने  पाकर बेहद खुश हुये।

इस काम से निपट कर सब फिर से सभागृह में आ गए जहाँ  फिर से महफ़िल जम गई ।सबने बैठकर आपस में गीत सुनाये ।किसी ने कविता पाठ किया, किसी ने चुटकुले सुनाये, और किसी ने क्विज़ पूछी । थोडा गुरु रविशंकर जी की एक चेली ने योगा के गुर भी सिखाये। और आखिर में सबने हॉउजी खेली ।

5 बजे सबको फिर से चाय मिली ।और साथ ही आश्रम की तरफ से गोमूत्र की शीशी और एक -एक रुद्राक्ष  उपहार स्वरूप मिला जिसे सबने लाईन लगाकर प्यार से लिया और अपनी -अपनी बस में सवार हो गए  ।
वापसी के लिए ।

वापसी में सबके चेहरों पर अभूतपूर्व चमक थी। जो इस बात की घोषणा कर रही थी की आज की पिकनिक कितनी सफल रही सबलोग तरोताजा होकर अपने -अपने घर को बिदा हुए ।

।।जय श्री क्रष्णा।।




रुद्राक्ष से बना शंकर जी का मंदिर 

 


कदम का पेड़ 

मंदिर पर फोटु सेसन 




रास्ते के मंदिर पर फोटु 


अब आराम हो जाये  


मंदिर का इतिहास बताते गुरु जी  


गौ शाला में थोड़ा पुण्य कमा ले 


जोशी जी बच्चो को वितरण करते हुए 




१०८ फेरे लगता हुई महिलायें 


पूनम और  मैं  मटर गस्ती करते हुए 










इंजॉय टाईम 

स्वमिंग एरिया 


नाश्ता 



वितरण करते हुए गुरु जी 





13 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर स्थान का सुन्दर चित्रण....
    फोटो भी मस्त है विशेष कर जिन चित्रों में बुआ जी हैं

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    1. क्या बात डॉ साहेब ,अब आपकी बुआ है ही ऐसी हा हा हा हा

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  2. बढ़िया रहा पिकनिक, बुआ आप कबसे सीनियर सिटीजन हो गयी ?

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    1. हा हा हा अरे बेनु ये मिस्टर का क्लब है हम तो सिर्फ इंजॉय करते है।

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  3. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " "सठ सन विनय कुटिल सन प्रीती...." " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  4. साझा करने के लिए आभार

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  5. आशापुरी लेक रिसोर्ट की बारे में बहुत अच्छी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
    आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!

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जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......