मेरे अरमान.. मेरे सपने..

मंगलवार, 11 जनवरी 2011

इजहार---!

        मै   चाहती  हु ------
                         
नशा  बन  कर  तेरी  आँखों मे ----
छलकती रंहू तेरी मुहब्बत मे
जाम  बनकर  तेरे  होठो  का ------
प्यास बुझाती रंहू  तेरी महफ़िल मे ----
धड़कने  बनकर  तेरे  सीने  की -----
धडकती  रंहू   तेरे  बाजुओ  मे -----
बनकर  शहजादी  तेरे  सपनों  की -----
प्यार करती रंहू तुझे ख्वाबो मे -----
बनकर  हमसाया  तेरे  कदमो  का -----
गुनगुनाती  रंहू  तेरी  राहो  मे ------
बनकर  फूल  तेरे  पहलू  का ------
महकाती  रंहू  तेरी  रातो को ------
मै  चाहती हु ---- मेरे जाने  -जिगर ---
साथ  निभाती  रंहू  तेरा जीवन -भर ----|

3 टिप्‍पणियां:

जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......