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सोमवार, 17 जनवरी 2011

लोहड़ी

सभी ब्लॉगर -जगत को लोहड़ी और मकर -संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाए


   १३जनवरी को मनाऐ जाने  वाला पर्व ' लोहड़ी' कहलाता है| लोहड़ी यानि मोज -मजा मस्ती! ढोलक की थाप पर नाचना - गाना, तिल, रेवडिया, मूंगफली, आग मे डालना यही लोहड़ी की पहचान है| लोहड़ी का सम्बन्ध सूर्य से भी है - आज ही सूर्य का प्रवेश दक्षिण से उत्तर की और मकर राशी के जरिए होता है जिसे 'मकर -संक्रांति 'भी कहते है| लोहड़ी का पर्व उनके लिए भी हर्ष लाता है जिनके यहाँ पहले पुत्र का जनम हुआ हो या पुत्र की शादी हुई हो ,वो अपने रिश्तेदरो को आमन्त्रण देकर अपने धर बुलाते है और लोहड़ी मनाते है इस दिन मक्का की रोटी, सरसों का साग, गन्ने के रस की चावल की खीर बनाई जाती है| कुछ'खास' धरो मे मांस -मदिरा का भी सेवन होता है| यह पंजाब का एक महत्वपूर्ण -पर्व है, किसान अपनी फसल को पका हुआ देख ख़ुशी से नाचता - गाता है तब लोहड़ी के  उत्सव मे और भी उल्लास आ जाता है - लोहड़ी वाले दिन शाम को सब रिश्तेदार एक जगह एकत्रित हो कर आग जलते है और मिलजुल कर नाचते हुए आग के चारो तरफ चक्कर लगाते हुए लोहड़ी का गीत गाते है |


और अब मे अपने शहर वसई आती हु--" हम सब गुरूद्वारे मे मिलजुलकर यह पर्व मनाते है -हमारे वसई की यह खासियत है- सब मिलकर हर त्यौहार गुरुद्वारे मे मनाते है -- चाहे गुरु -पर्व हो या दिवाली हो ,शादी हो या जन्मदिन, खुशियाँ हम एकसाथ ही मनाते है किसी को भी अकेलेपन का एहसास नही होता "

(यहाँ लोहड़ी अभी जली नही है )


  ( लो लोहड़ी जलने लगी )

( चक्कर लगाती संगत )

( चक्कर लगाती संगत )


( और अब मैं और मेरे mr. )

5 टिप्‍पणियां:

जिन्दगी तो मिल गई थी चाही या अनचाही !
बीच में यह तुम कहाँ से मिल गए राही ......