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पाकिस्तानी प्रसासन ने गुरुनानक देव जी के जन्म स्थान ननकाना साहिब मे भारत-पाकिस्तान और युरोपियन देशो के धार्मिक जत्थों को जुलुस निकलने की अनुमति नही दी --इस निर्णय से सारी सिक्ख कोम सकते में आ गई --अपने गुरु का जन्म दिन मनाना उसके जन्म स्थान पर ,भव्य जुलुस निकलना ,उसमे शरीक होना हर सिक्ख का एक सपना होता है --पर पाकिस्तानी प्रशासन के इस अड़ियल रवये से पाकिस्तानी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेंटी मायुश हुई |
प्रशासन का कहना था की ' जेहादी तालिबानी हमले की आशंका के डर से हम ऐसा कर रहे हे --क्योकि कट्टरपंथी तालिबानी जेहादी पिछले कुछ वर्षो से पाकिस्तानी सिक्ख बिरादरी को अपना निशाना बना रहे हे --कई सूबे जहाँ सिक्ख परिवार बरसो से आबाद थे --उनके हमलो से इधर -उधर शरण ले चुके है |
'
यह एक ऐतिहासिक त्रासदी हे की 1947 के पहले ,जिस क्षेत्र मे सिक्खों की एक बड़ी संखिया बरसो से आबाद थी वहां आज गिनती के परिवार रह गए हे | सबसे बड़ी बात तो यह हे की जिस मुकाम पर धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्महुआ (ननकाना साहेब}आज वहां उनकी याद में एक जुलुस भी नही निकाल सकते --उनका जन्म दिन नही मना सकते ? कितनी त्रासदी हे सिक्ख समाज के लिए |
किसी जमाने मे सिक्ख सम्प्रदाय के महाराजा रणजीत सिंह के शासन काल (१८०१-१८३९) में सिक्ख साम्राजय पंजाब के अलावा सिंध, बलोचिस्तान ,जम्मू -कश्मीर ,पश्तून-सूबा सरहद तक फैला था | उन्होंने लाहोर को अपनी राजधानी बनाया और शासन किया था --उसी दोरान सिक्ख बिरादरी ने अपना कारोबार इन इलाको में फैलाया और वहीँ बस गए | अगर,रणजीतसिंह दिल्ली और अवध की ओर बड़ते , तो शायद हिंदुस्तानि सियासत की तस्वीर कुछ और ही होती |
1947 के बंटवारे में यह सिक्ख बहुल क्षेत्र विभाजित हो गया और हिन्दुस्तान का यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया | विभाजन के वक्त इंसानियत का जो खून बहा वो सबको पता हे --जिसमे ज्यादातर लाशे सिक्खों की थी ?
आज बहुत थोड़े से सिक्ख-परिवार ही पाकिस्तान में रह गए हे , उन्होंने अपने ,गुरुद्वारों की सुरक्षा और देख भाल के लिए " पाकिस्तान सिक्ख गुरुद्वारा कमेटी " बनाई हे और पाक सरकार ने भी उदारता का परिचय देकर इसको मंजूरी दे दी हे | इसके चलते आज सिक्ख बिरादरी ने पाकिस्तान में अपना एक खास मुकाम बनाना शुरू कर दिया हे --
पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार सरदार हरचरण सिंह फोज में और ट्रेफिक इंस्पेक्टर सरदार कल्याण सिंह प्रशासन में आए हे | यदि होसला बुलंद हो ,लगन हो तो कोंन आगे बढ़ने से रोक सकता हे ?
एक गायक ने इसे यु पेश किया हे -------
'रब्बा दिल पंजाब दा पाकिस्तान ते रह गया ऐ---
कदीया न पूरा होना ऐसा घाटा पे गया ऐ |
नई भूलन दुःख संगता नु बिछड़े ननकाना दा |
8 टिप्पणियां:
एक इस्लामी देश से और आशा ही क्या की जा सकती है!
सिख समुदाय की आस्था के प्रति पाकिस्तानी सरकार का यह रुख बेहद निराशाजनक है ।
aalekh
mn.neey hai
सच कहा अपने डा. सा. एक इसलामी देश से और आशा कर भी क्या सकते हे | दानिश जी आपका स्वागत हे | सुशिल जी इसी तरह आते रहे धन्यवाद|
आदरणीय दर्शन कौर जी .....
आपके इस लेखन की जीतनी भी प्रशंसा करूँ कम है ....
मैं आपकी ये पोस्ट ' पंजाब की खुशबू में भी लगा रही हूँ ताकि ये पोस्ट अधिकतर लोगों तक पहुँच सके .....
और ये बेहहद निंदनीय खबर है कि पकिस्तान में सिखों की धार्मिक भावनाओं की क्षति हुई ...
हर किरत जी , आपका बहुत-बहुत धन्यवाद | आपका यह कार्य प्रसंसनीय हे |
आदरणीय दर्शन कौर जी
नमस्कार !
पाकिस्तानी सरकार का यह रुख बेहद निराशाजनक है ....
आपके इस लेखन की
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है -आभार....
संजय जी ,बहुत -बहुत शुक्रिया --इसी तरह दर्शन देते रहे ---
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