आरजूऐ धूलि हुई उजली ,
हसरतो का लिबास लगती हे ,
तुझको मायुस देखती हु जब भी,
सारी खुशियां उदास लगती हे |
जिन्दगी की अज़ीज़ -शे अपने ,
इक दुश्मन पे वार दी मैं ने,
आप -बीती न पूछिऐ दोस्तों ,
जैसे गुजरी,गुजार दी मेने |
हसरतो का लिबास लगती हे ,
तुझको मायुस देखती हु जब भी,
सारी खुशियां उदास लगती हे |
जिन्दगी की अज़ीज़ -शे अपने ,
इक दुश्मन पे वार दी मैं ने,
आप -बीती न पूछिऐ दोस्तों ,
जैसे गुजरी,गुजार दी मेने |
6 टिप्पणियां:
आपने तो दिल की आवाज़ को शब्द दे दिए.
स्वागत हे आपका अलका जी !इसी तरह आती रहे --
एक बेहतरीन रचना ।
काबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।
सुन्दर भावाव्यक्ति । साधुवाद ।
राजीव जी ,मित्रता निभाने का आपका तरीका बहुत भला लगा --इतनी व्यस्तता के बावजूद मेरे ब्लाक पर आना और अपनी सुंदर अभिव्यक्ति देना तारीफ के काबिल हे --धन्यवाद |
किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
धन्यवाद संजयजी ,कविता लिखकर जो ख़ुशी मिलती हे उससे ज्यादा ख़ुशी मिलती हे आप लोगो की टिप्पड़ी से --जीवन सार्थक हो जाता हे |
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