मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शनिवार, 22 जनवरी 2011

* # * जिन्दगी *# *

आरजूऐ  धूलि  हुई उजली ,
     हसरतो का लिबास लगती हे ,
         तुझको मायुस देखती हु जब भी,
               सारी खुशियां उदास लगती हे  |
                    जिन्दगी की अज़ीज़ -शे अपने ,
                            इक दुश्मन पे वार  दी  मैं ने,
                                    आप -बीती न पूछिऐ दोस्तों ,
                                         जैसे गुजरी,गुजार दी मेने |     
        

6 टिप्‍पणियां:

alka mishra ने कहा…

आपने तो दिल की आवाज़ को शब्द दे दिए.

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

स्वागत हे आपका अलका जी !इसी तरह आती रहे --

सहज समाधि आश्रम ने कहा…

एक बेहतरीन रचना ।
काबिले तारीफ़ शव्द संयोजन ।
बेहतरीन अनूठी कल्पना भावाव्यक्ति ।
सुन्दर भावाव्यक्ति । साधुवाद ।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

राजीव जी ,मित्रता निभाने का आपका तरीका बहुत भला लगा --इतनी व्यस्तता के बावजूद मेरे ब्लाक पर आना और अपनी सुंदर अभिव्यक्ति देना तारीफ के काबिल हे --धन्यवाद |

संजय भास्‍कर ने कहा…

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

धन्यवाद संजयजी ,कविता लिखकर जो ख़ुशी मिलती हे उससे ज्यादा ख़ुशी मिलती हे आप लोगो की टिप्पड़ी से --जीवन सार्थक हो जाता हे |