१ सितम्बर 2010
कल शाम को जब हम राजगीर से वापस आए तब बहुत थक गए थे --नींद जोर से आ रही थी इसलिए दरबार साहेब जाकर अरदास में शामिल हुए --सुखासन के बाद सीधे लंगर हाल में पहुंचे --ताकि खाना खाकर जल्दी सो सके --पंगत में बैठे ही थे की 'भोग की थाली' आ गई -- वहां जो संगत बेठी थी पहली पंक्ति में; उसे उस भोग की थाली का एक -एक टुकड़ा मिला --जो इतना स्वादिष्ट था की आज से पहले मैने कभी इतनी स्वादिष्ट रोटी नही चखी थी --
मेरी गुजारिश हे :-
मेरी गुजारिश हे :-
जो भी हरमिन्दर साहेब की यात्रा करे वो रात को पहली पंगत में लंगर अवश्य खाए ---गुरु का भोग किस्मत वालो को ही नसीब होता हे --
गुरुद्वारा दर्शन :-
आज हम पटना के दुसरे इलाको में जाएगे --जहां बालक गोविन्द के बारे में अधिक जानकारी मिलेगी और उनके पिताजी गुरु तेगबहादरजी के बारे में भी --वेसे पटना में कई गुरूद्वारे हे --पर हम फेमस जगह ही जाएगे ---
हम बाज़ार में आ गए --यह गुरुद्वारा मेंन बाज़ार में सडक के किनारे ही हे इस गुरुद्वारे का नाम हे :-
गुरुद्वारा गाय-घाट
(माता की गोद में बालक गोविन्द)
( गुरुद्वारा बाल -लीला )
हम बाज़ार में आ गए --यह गुरुद्वारा मेंन बाज़ार में सडक के किनारे ही हे इस गुरुद्वारे का नाम हे :-
गुरुद्वारा गाय-घाट
(गुरुद्वारा गाय-घाट )
इस जगह भगत जेतामल को गंगाजी गाय रूप में लाकर स्नान कराती थी ( ऐसा वहां लिखा हे )
(इस चक्की से माता गुजरी अपने हाथो से आटा पिसती थी )
(यहाँ एक खूंटा था जहां गुरु तेगबहादरजी अपना घोडा बाँधते थे )
और अब हम जा रहे हे गुरुद्वारा हांडी साहेब --
जब पटना से बालक गोविन्दराय अपने पिताजी के साथ पंजाब जा रहे थे तब पहली बार यही पर ठहरे थे --यहाँ हमेशा नमकीन चावल प्रशाद के रूप में मिलते हे --
(गुरुद्वारा हांडी साहेब पीछे गंगा जी )
( हाजरा हजूर गुरु गोविन्दसिंह साहेब के चरण कमल )
(गुरुद्वारे के अन्दर का द्रश्य )
(गुरुद्वारे के बाहर का द्रश्य )
और अब हम जा रहे हे --गुरुद्वारा बाग़ साहेब :- पटना के गुरुद्वारे
इस गुरुद्वारे का महत्व यह हे की यहाँ बालक गोविन्दराय से उनके पिताजी गुरु तेगबहादरसिंह जी पहली बार मिले थे --जब उनकी उम्र चार वर्ष थी --उनका हाथ का कड़ा यहाँ सुशोभित हे --यहाँ लम्बे चोडे बगीचे बने हे उन बगीचों के बीचो बिच एक तालाब भी बना हे --
(हाथ का कड़ा )
(लोटते हुए )
( गंगा नदी,लालू तेरी गंगा मेली )
( गंगा नदी दूर गांधी -सेतु दिखाई दे रहा हे )
( दूर गोलघर दिखाई दे रहा हे )
(गोलघर ९६ फीट ऊँचा )
गोलघर यह ९६ फीट ऊँचा गुम्बदाकार गोदाम १७८६ में अनाज भरने के लिए बनवाया गया था-- आजकल हालत ख़राब हे --
इसके आलावा हम तारा मंडल गए ---संग्राहलय गए --पर फोटू उतार ने पर पाबन्दी होने की वजय से फोटू नही उतर सके --
तारा मंडल में २० रु. खर्च करके एकदम बकवास प्रोग्राम देखा --पटना यूनिवर्ससिटी सड़क से ही देखि --गाँधी मैदान भी दूर से देखा --धुप और गर्मी की वजय से जा नही सके --
वापस दरबार साहेब आ गए --नजदीक ही गुरुद्वारा बाल-लीला देखने चले गए --फिर गंगा किनारे बना छोटासा गुरुद्वारा गोविन्द -धाट देखने गए जो एक कमरे में बना हुआ था --निचे मेली गंगा थी --ऊपर गुरुद्वारा बना था --जहां मुश्किल से ६-७ बन्दे ही बेठ सकते थे --इस कमरानुमा गुरूद्वारे की यह खास बात थी की यहाँ गुरु नानक देव जी अपनी यात्रा के दोरान १५०९ ईस्वी में आए थे और यहाँ ठहरे थे --फिर गुरु तेग बहादुर भी १६६६ ईस्वी में जब यहाँ आए तो इसी जगह ठहरे थे --
(माता की गोद में बालक गोविन्द)
( गुरुद्वारा बाल -लीला )
(चमड़े का टुकड़ा )
इस जगह बालक गोविन्द अपनी माता गुजरीजी के साथ रहते थे और मित्रो के साथ खेलते थे --यहा ऐक हाथ का लिखा हुआ ग्रन्थ साहेब भी हे जो काफी पुराना हे --यहाँ आज भी गाय -भेंसे हे जिनका दूध निकल कर संगत के लिए खीर बनती हे --गुरु गोविन्द सिंह जी को खीर बहुत पसंद थी इसलिए सेवादारो के आग्रह पर हमने वहाँ लंगर खाया जिसमे खीर प्रमुख थी --बेरी टेस्टी --!
यहाँ के गुरुद्वारों की एक बात खास लगी यहाँ के सेवादार बहुत प्यार से संगत की सेवा करते हे --पर यहाँ के गुरुद्वारों में बहुत गरीबी देखने को मिली --बड़ी मुश्किल से सेवादार अपना और अपने परिवार वालो का भरन पोषण करते हे --विदेशो की पेसे वाली संगत गोल्डन टेम्पल और नांदेड चली जाती हे जहां के गुरुद्वारों में करोड़ो की आमदनी होती हे--वहाँ सेवादार सीधे मुह बात भी नही करते हे -- पर यहाँ जहां महाराज का जनम हुआ वहां ऐसी बेरुखी ---?
मेरी सिख -कोम से इल्तजा हे की वो पटना साहेब जरुर जाए---
कल हमारा रिटर्न रिजर्वेसन हे सुबह जल्दी ही निकल पड़ेगे --पटना में काफी जगह देखनी बाकी रह गई --फिर कभी ---
इस पावन स्थल की सुंदर प्रस्तुति के लिए .....धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर और धार्मिक स्थान की चित्रात्मक प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंपटना साहिब के गुरुद्वारों के बहुत बढ़िया दीदार करवाए आपने.
जवाब देंहटाएंदिल करता है कम से कम एक बार दर्शन जरूर कर आऊँ.
सलाम.
पटना साहिब के गुरुद्वारों की चित्रात्मक प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसभी तस्वीरे एक से बढ़कर एक है
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्र और महत्वपूर्ण जानकारी भरी यात्रा के लिये । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआप जानती ही हो । मुझे ऐसे मैटर में खास रुचि है । चलिये रिपोर्टर
साहब ऐसे ही भृमण कराते रहिये । अबकी बार का परसादी खाना भी
दिल को छू गया । आपके साथ साथ मैंने भी लंगर खाया । भले ही मन
की भावना से खाया । अबकी बार की प्रस्तुति कुछ खास ही लगी ।
दर्शन कौर जी यदि आप ठीक समझे तो आपके my blog list में प्यारी माँ के साथ
जवाब देंहटाएंBLOG WORLD.COM को http://blogworld-rajeev.blogspot.com/
url द्वारा जोङ लें । और जोङते समय " आइकन " चेकबाक्स को छोङकर बाकी सभी
में सही का निशान लगाकर सेव कर दें ।
सारे फोटोस बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएं------------
मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है.....
पावन स्थलों के दर्शन कराने के लिए ह्रदय से आभार.
जवाब देंहटाएंपावन स्थलों की यात्रा, सुन्दर चित्रों के साथ निहाल कर गयी। बहुत बहुत शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएं@सभी को बहुत -बहुत धन्यवाद -- अपनी अजीज सहेली के बेटे की शादी में इंदौर जाने का मोका मिला था --इसलिए ब्लोक पर न आ सकी --सभीसे हाथ जोड़ कर माफ़ी !
जवाब देंहटाएंDarshan Ji,
जवाब देंहटाएंAaapne hamein bhi pavitra sthano ke darshan kara diye uske liye aapko dhanyavaad. In Guru Dwaron Ke kewal naam sune the maine.
Dhanyavaad.
Surinder Ratti
Mumbai
आपकी इस यात्रा में मैं भी शामिल हो गई।
जवाब देंहटाएंमजा आया पढ़कर....
आप भी आइए...
आपकी पोस्ट पढ़ कर मेरा भी मन पटना की यात्रा का कर रहा है। बहुत उपयोगी जानकारी रोचक अंदाज में देने के लिये धन्यवाद। साथ ही आपको आगरा गुरु का ताल गुरुद्वारा देखने के लिये भी आमंत्रण।
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