* याद आते हो तो कितने ----
अपने -से लगते हो तुम ----
वर्ना, हर लम्हां गुजरता हे ----
तुम्हारे ख्यालो में ----
चुप -सी आँखों में आज ----
फिर वही सवाल उठा ----
क्या राहत मिलेगी मुझे ----
इन बंद फिजाओ में ----!
खेर, अँधेरे भी भले -जीने के लिए ----
गैर, हो जाते हे सभी चेहरे उजालो में----
मुस्कुराओ तो भी अच्छा हे ----
बेरुखी भी भली तुम्हारी ----
बेअसर हे सभी बाते यहाँ मलालो में ----
याद आते हो तो एहसास -ऐ -ख़ुशी मिलती हे ----
यूँ तसल्ली भी गिरफ्तार हे सो (१००) तालो में----|
अपने -से लगते हो तुम ----
वर्ना, हर लम्हां गुजरता हे ----
तुम्हारे ख्यालो में ----
चुप -सी आँखों में आज ----
फिर वही सवाल उठा ----
क्या राहत मिलेगी मुझे ----
इन बंद फिजाओ में ----!
खेर, अँधेरे भी भले -जीने के लिए ----
गैर, हो जाते हे सभी चेहरे उजालो में----
मुस्कुराओ तो भी अच्छा हे ----
बेरुखी भी भली तुम्हारी ----
बेअसर हे सभी बाते यहाँ मलालो में ----
याद आते हो तो एहसास -ऐ -ख़ुशी मिलती हे ----
यूँ तसल्ली भी गिरफ्तार हे सो (१००) तालो में----|
5 टिप्पणियां:
यूँ तसल्ली भी गिरफ्तार हे सो (१००) तालो में----
बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति .
सुन्दर शब्दों की बेहतरीन शैली ।
भावाव्यक्ति का अनूठा अन्दाज ।
बेहतरीन एवं प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
शुक्रिया संजय जी , मै सोच ही रही थी की आप कहाँ चले गए --स्वागत हे आपका |
एक टिप्पणी भेजें