गोल्डन टेम्पल भाग 4
(नीव का पहला पत्थर रखवाते हुए --बाबा बुढ़ासिंह )
अमृतसर के गोल्डन टेम्पल की नीव बाबा बुढ़ा सिंह ने एक मुसलमान मुरीद से रखवाई थी .. गोल्डन टेम्पल को 'हरमंदिर साहेब' भी कहते हैं ---इस मंदिर का निर्माण गुरु रामदास जी ने खुद करवाया था और पहला 'प्रकाश' भी उन्होंने खुद किया था ..
( बाबा बुढ़ाजी ग्रन्थ साहेब की पहली बिड हरमिन्दर साहेब में ले जाते हुए )
"पीछे गुरु रामदास जी चवर डुलाते हुए चल रहे हैं "
(बारिश में भीगा --गोल्डन टेम्पल यानी हरमिंदर साहेब )
हम ता. 5 अगस्त को मुम्बई से चल कर 7 अगस्त को गोल्डन टेम्पल यानी अमृतसर पहुंचे .....
आज रात से ही बहुत बारिश हो रही थी --सुबह जब आँख खुली तो चारो और पानी ही पानी हो रहा था --बहुत अफ़सोस हुआ --क्योकि मुझे यहाँ से पहनने के सुट खरीदने थे और कुछ सामन भी चाहिए था --पर इतनी मुसळधार बारिश के रहते कही घूमना भी ठीक नहीं था --पर अति उत्साहित अतुल महाराज कहा मानने वालो में से थे --आखिर हम तैयार हो माता लालदेवी के मंदिर जाने को निकल ही पड़े ...
(गुरूद्वारे के रूम में बैठे हुए अतुल महाराज का इन्तजार कर रही हूँ )
(सन्नी कैसे पीछे रहता--? आखिर बेटा किस का हैं )
(सीढियों से नीचे उतरते हुए ---बाहर बारिश हैं )
(बारिश में नहाया हुआ ---- जल मग्न --गोल्डन टेम्पल )
"शमा हैं सुहाना -सुहाना ---नशे में जहाँ हैं "
(आज बिलकुल भीड़ नहीं हैं ---रास्ता कितना खाली हैं)
सुबह गुरूद्वारे में माथा टेक कर हमने चाय नाश्ता किया --अब हम लाल माता के यहाँ जाने को तैयार थे --पर ऑटो जा ही नहीं रहे थे --सड़क पर घुटनों तक पानी भरा हुआ था --पुलिस साइरन बजा रही थी और सबसे इल्तजा कर रही थी की कोई भी अपने धरो से बाहर न निकले --काफी कारे पानी में फंसी हुई थी --आखिर में एक ऑटो वाला 200 रु. में ले जाने के लिए तैयार हो गया --चोगुना किराया देकर आखिर हम लाल माता के दर्शन करने निकल पड़े --एक मन था की वापस चला जाए कौन खतरा मोल ले , पर अतुल और सन्नी की वजय से मुझे भी जाना पड़ा --वैसे मैने तो देख रखा था पिछली बार जब आई थी तो ! खेर, --पर ऑटो भी ज्यादा दूर नहीं जा सका उस के साइलेंसर में पानी भर गया --मज़बूरी वश हमें साईकिल रिक्शा में जाना पड़ा -- मुझे साईकिल -रिक्शा में जाना पसंद नहीं हैं --एक आदमी पर बोझा ढ़ोना मुझे मंजूर नहीं हैं --पर क्या करे ???
( अमृतसर में बाढ़ ----पानी ही पानी )
(एक ही रिक्शे में-- अतुल को ऐसे बैठना पड़ा...हा हा हा हा )
वैसे मैने उससे वादा क्या था --यह फोटू नहीं लगाउंगी --सारी र्रर्र अतुल ..)
लेकिन तस्वीर इतनी सुंदर हैं की दिल मचल गया
लेकिन तस्वीर इतनी सुंदर हैं की दिल मचल गया
(लाल माता का गेट---अतुल और मैं )
( वैष्णवी माता की गुफा में धुसते हुए ---सन्नी और अतुल )
( पीछे माता की पिंडी )
(जगत गुरु शंकराचार्य के समक्ष प्रणाम की मुद्रा में सन्नी )
(पूरा मंदिर कांच का बना हैं )
(यह गोतम बुध्द की बहुत बड़ी प्रतिमा हैं --अभी काम चल रहा हैं )
(सन्नी के पीछे शिवजी की बहुत बड़ी प्रतिमा )
(यह हें भोला भंडारी तपस्या में लींन )
(श्री हरी की आराम मुद्रा )
सबकी नींद लूटकर खुद आराम की बंसी बजा रहे हैं
(गुफा से बाहर निकलते हुए---बन्दर की तरह --सन्नी और अतुल )
(पिछले साल भी मैं गई थी लाल मंदिर )
(वापसी में पानी कुछ कम हुआ )
इस माता की बड़ी सी मूर्ति की जुबान को जब अतुल ने पकड़ा तो एक पुजारी बहुत चिल्लाया --अतुल ने तब तो छोड़ दिया पर फोटू खीचने के टाइम फिर से पकड ली ----शैतान ! फोटू खीचने की मनाई नहीं हैं यहाँ ?
(यह गोतम बुध्द की बहुत बड़ी प्रतिमा हैं --अभी काम चल रहा हैं )
यहाँ लोग अपनी शादी की मन्नत मांगते हैं और चुन्नी व् शादी का चुडा चडाते हैं --मैने भी लगे हाथो यहाँ सन्नी की शादी की मन्नत मांग ही ली ...
(सन्नी के पीछे शिवजी की बहुत बड़ी प्रतिमा )
(यह हें भोला भंडारी तपस्या में लींन )
(श्री हरी की आराम मुद्रा )
सबकी नींद लूटकर खुद आराम की बंसी बजा रहे हैं
(गुफा से बाहर निकलते हुए---बन्दर की तरह --सन्नी और अतुल )
(पिछले साल भी मैं गई थी लाल मंदिर )
(वापसी में पानी कुछ कम हुआ )
हम वापसी कर रहे थे तो बारिश की भयानकता कम हुई--सडको से पानी उतर रहा था --हमने चैन की सांस ली --पर धीरे -धीरे बारिश का कहर जारी था --
हम चले ऐसी ही बारिश में जलियांवाला बांग देखने ....
अगली किस्त जलियांवाला बांग ........
20 टिप्पणियां:
मजा कई गुणा हो गया आज का लेख देख कर
वैसे अतुल वाला फ़ोटो वो रिक्सा वाला लिया किसने था, आप तीनों तो अन्दर बैठे हो।
असली बरिश आपके साथ बोम्बे से अमृतसर तक चली आयी, खूब साथ निभाया।
बहुत सुन्दर..चित्र बहुत सजीब हैं.
हिन्दी दिवस की बहुत बहुत बधाई...शुभकामनाएँ
बारिश में सैर कराकर आपने तो मुझे सर्दी जुकाम करा दिया है,दर्शी जी.
लेकिन आपकी सुन्दर चित्रों से युक्त इस पोस्ट को देख पढकर
सब कुछ भूल गया हूँ.
सन्नी के ब्लॉग पर आजकल टिपण्णी प्रेषित नहीं हो पा रहीं हैं.
मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है.
वाह जी वाह ! आत्म विभोर हुए ।
बहुत सुन्दर चित्रमय सजीव वृतांत...आभार
@सन्नी ने फोटू खीचा था संदीप हाथ आगे निकल कर ..
Bahut Sunder Chitramayi post....Dhanyawad
हा हा हा जहाँ मैं जाती हूँ वही चले आते हो........ अजी मै बाढ़ को कह रहा हूँ.....
मुंबई से अमृतसर तक पानी ही पानी, बाढ़ वहां भी पहुच गयी............
हम जहां जाते हैं ...वारदाते हो ही जाती हैं ललितजी !
देखी रचना ताज़ी ताज़ी --
भूल गया मैं कविताबाजी |
चर्चा मंच बढाए हिम्मत-- -
और जिता दे हारी बाजी |
लेखक-कवि पाठक आलोचक
आ जाओ अब राजी-राजी |
क्षमा करें टिपियायें आकर
छोड़-छाड़ अपनी नाराजी ||
http://charchamanch.blogspot.com/
वाह ....वाह ...
हम तो जले जा रहे हैं .....
ओये होए .....
आप तो दिनों दिन खूबसूरत होती जा रहीं हैं ....
देखा ब्लोगिंग का जादू.....?
बहुत ही सुन्दर -सुन्दर फोटो लगाया है आपने ........हमने भी माताजी के दर्शन कर लिए ,काफी रोमांचक था
चित्र और प्रस्तुति दोनों ही बहुत बढ़िया हैं!
मन आनंदित हो गया .....इतने सुन्दर चित्रों को देखकर
शुक्रवार
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत खूब ....चित्र सहित सुन्दर प्रस्तुति
सुन्दर फोटो लगाया है आपने .
घुमते तो बहुत लोग हैं पर इसे यादगार बनाना सभी के बस का काम नहीं. आप दर्शन करते भी हैं और सभी को करा भे देते हैं इसीलिये तो आपका नाम दर्शन कौर है.
मोहक चित्रकथा।
पीछे माता की पिंडी, आगे साक्षात बुआ। हा- हा - हा!
वैसे रिक्शे पर बैठते हुए मन तो मेरा भी दुखता है पर फिर सोच लेता हूँ कि जब ये बंदा बुआ समेत तीन लोगों को ढो लेता है तो मैं तो फूल सा हल्का हूँ। ;-)
वैसे आप अच्छा लिखती हो! भगवान आपको खूब सारा फ्री डाटा दें। जय हो!
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