मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शनिवार, 8 जुलाई 2023

एक डॉक्टर

 वो एक डॉक्टर था!
इस महामारी के चुंगल में फंसा हुआ!
छटपटाता हुआ,
निराशा के सागर में डूबता-उबरता,
एक बेबस इंसान!
कुछ न कर पाने की विवशता से हताश,
अंधकार की दलदल में धंसता ही जा रहा था।

चारों ओर दावानल की तरह फैली ये बीमारी,
इसमें फंसे निरह बेबस इंसान,
चींख, पुकार के इस माहौल में,
विकराल रूप धारण करती अर्थव्यवस्था!
चरमराया हुआ सिस्टम!
अवसरवादी लोग!
वो ये सब देखने को विवश था।

वो चाहता था; कुछ करूँ?
मर रही इंसानियत को पुनः जीवित करूँ!
फिर से लोगों में विश्वास की लौ जलाऊं!
खत्म हो रही इस सृष्टि को पुनः गठित करूँ!
"पर कैसे??"
"कैसे"???
"अचानक!!!"
अचानक! वो फरिश्ता अपना दर्द भूलकर,
लोगों को बचाने निकल पड़ा!
उसके बुलंद हौसलों ने करामात दिखाई!
लोग उसकी बातें मानने लगे!
उसके प्रयोग आजमाने लगे!
उसकी आवाज़ से अमृत बरसता था! 
उसकी दवाइयों ने जादुई काम किया,
लोग इस महामारी से निज़ात पाने लगे!
इस कैक्टस के जंगल से निकलने लगे!
लगा, अब जल्दी सवेरा होगा।

लेकिन....
लेकिन, एक दिन वो मानवता का पुजारी,
लोगों को जीवनदान देता हुआ,
खुद इस रोग में गले तक फंस गया...
इस कठिन वक्त में,
उसने किसी का सहारा न खोजकर;
अपनी जादुई दवा से,
खुद का इलाज करके,
इस महामारी से मुक्त हुआ!!

उसकी जीत हुई,
वो पुनः एक बार,
संधर्ष करने,
इस लड़ाई में;
एक विजेता की तरह, 
निकल पड़ा...

जिनके हौसले आसमां को छूते हैं
उनका साथ ईश्वर भी देता हैं..
ओर ऐसे लोग मानव जाति,
के लिए उदाहरण बन जाते है।

--दर्शन के दिल से




शनिवार, 10 जून 2023

तमिलनाड़ुडायरी#17

तमिलनाडुडायरी#17
कन्याकुमारी भाग #7
(समापन क़िस्त)
20 दिसम्बर 2022


अब हमारा आखरी डेस्टिनेशन बाकी था। कोवलम बीच जाना था पर शाम होने वाली थी तो हमने वहां जाना कैंसिल किया और मन्दिर की तरफ चल पड़े।
इस बीच पूवर बैकवाटर के बाद कृष्णा हमको गर्म मसालों के मार्केट में ले गया पर हमको कुछ खरीदना नही था तो हम वापस लौट आये वैसे भी वहां काफी महंगा सामान मिल रहा था।तो हम खाना खाने चले गए।
5 बज रहे थे और हम पद्धमस्वामी मन्दिर चल पड़े।वैसे हमारा प्रोग्राम कल जाने का था पर कृष्णा ने बोला कि कल शुक्रवार हैं और साउथ के मंदिरों में मंगलवार और शुक्रवार को बहुत भीड़ होती हैं।ओर भीड़ से मुझे बहुत एलर्जी थी  तो हमने आज ही दर्शन करने का निर्णय लिया शायद आज ही भगवान का बुलावा हो।
जैसी प्रभु की इच्छा।🙏
हमने बाजार से 2 लुंगी खरीदी ओर कुर्ती के ऊपर ही मैंने लूंगी बांध ली।वैसे मैं एक साड़ी लाई थी पर अगर कल जाते तो पहनती पर अब रोड पर कैसे साड़ी पहनु😃

Padmanabha Templ :--
"दुनियां का सबसे अमीर मन्दिर"

केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के मध्य में स्थित है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। विशाल किले की तरह दिखने वाला यह मंदिर विष्णु भक्तों के लिए  महत्वपूर्ण आस्था स्थल है। यहां भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम इस मंदिर में आए थे और यहां पूजा-अर्चना की थी। 

मान्यता है कि मंदिर की स्थापना 5000 साल पहले कलयुग के प्रथम दिन हुई थी। लेकिन 1733 में त्रावनकोर के राजा मार्तण्ड वर्मा ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। यहां भगवान विष्णु का श्रृंगार शुद्ध सोने के भारी भरकम आभूषणों से किया जाता है। 
पद्मनाभ स्वामी मंदिर के साथ एक पौराणिक कथा जुडी है। मान्यता है कि सबसे पहले इस स्थान  से भगवान विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई थी जिसके बाद उसी स्थान पर इस मंदिर का निर्माण किया गया ।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति विराजमान है जिसे देखने के लिए हजारों भक्त दूर दूर से यहाँ आते हैं। इस प्रतिमा में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि तिरुअनंतपुरम नाम भगवान के 'अनंत' नामक नाग के नाम पर ही रखा गया है। यहाँ पर भगवान विष्णु की विश्राम अवस्था को 'पद्मनाभ' कहा जाता है और इस रूप में विराजित भगवान यहाँ पर पद्मनाभ स्वामी के नाम से विख्यात हैं।
तिरुअनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर केरल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। केरल संस्कृति एवं साहित्य का अनूठा संगम है। इसके एक तरफ तो खूबसूरत समुद्र तट है और दूसरी ओर पश्चिमी घाट में पहाडि़यों का अद्भुत नैसर्गिक सौंदर्य, इन सभी अमूल्य प्राकृतिक निधियों के मध्य स्थित- है पद्मनाभ स्वामी मंदिर। इसका स्थापत्य देखते ही बनता है मंदिर के निर्माण में महीन कारीगरी का भी कमाल देखने योग्य है।
मंदिर का गोपुरम द्रविड़ शैली में बना हुआ है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का अदभुत उदाहरण है। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जो कि सात मंजिला ऊंचा है ।गोपुरम को कलाकृतियों से सुसज्जित किया गया है। मंदिर के पास ही सरोवर भी है जो 'पद्मतीर्थ कुलम' के नाम से जाना जाता है।
लेकिन अंदर मोबाइल ले जाना मना हैं तो फोटु खींचने से वंचित रह गई।

दीपक के उजाले में होते हैं दर्शन
मुख्य कक्ष जहां विष्णु भगवान की लेटी हुई मुद्रा में प्रतिमा है, वहां कई दीपक जलते हैं। इन्हीं दीपकों के उजाले से भगवान के दर्शन होते हैं। स्वामी पद्मनाभ की मूर्ति में भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल पर जगत पिता ब्रह्मा की मूर्ति स्थापित है। भगवान पद्मनाभ की मूर्ति के आसपास दोनों रानियों श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियां हैं। भगवान पद्मनाभ की लेटी हुई मूर्ति पर शेषनाग के मुंह इस तरह खुले हुए हैं, जैसे शेषनाग भगवान विष्णु के हाथ में लगे कमल को सूंघ रहे हों। यहां मूर्ति का दर्शन अलग-अलग दरवाजों से किया जा सकता।

मंदिर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही यहां श्रद्धालुओं के लिए नियम भी हैं। पुरुष केवल धोती पहनकर ही मंदिर में जा सकते हैं और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना जरूरी है। अन्य किसी भी लिबास में प्रवेश यहां वर्जित है। मंदिर में एक सोने का खंभा बना हुआ है। मंदिर का स्वर्ण जड़ित गोपुरम सात मंजिल का है। जिसकी ऊंचाई करीब 35 मीटर है। कई एकड़ में फैले इस मंदिर में अद्भुत कारीगरी की गई है।

एक ओर बात इस मंदिर के लिए सुनी हुई हैं कि इस मंदिर में 7 तहखाने हैं जिसमें बेशुमार धन छुपा हुआ हैं।इसीकारण इस मंदिर को दुनियां का सबसे अमीर मन्दिर कहते है।

हमने एक शॉप से 2लुंगी खरीदी ओर उसको लपेटकर हम मन्दिर के अंदर गए। आज यहां ज्यादा भीड़ नही थी।
आगे जाकर हमने 100 ₹ की 2पर्ची कटवाई ओर लंबे गलियारे में डोलते हुए आगे बढ़ते गए। सामने ही मेरे भगवान विष्णु की सोने की प्रतिमा थी चारो ओर दीपक की मद्धम रोशनी फैली हुई थी कुछ खास तो नजर नही आया पर एक जगह सफेद फूलों का ढेर देखकर समझ गई कि यही भगवान की मूर्ति होगी।दीपक की रोशनी में ज्यादा कुछ दिखाई नही देता। वैसे भी वहां ज्यादा खड़ा रहने नही देते इसलिये हाथ जोड़कर बाहर आ गए।बाहर आकर हमने प्रसादम खरीदा जो कि 100 ₹की गुड़ ओर गेंहू की खीर थी।वो लेकर हम बाहर निकल पड़े।
अब कृष्णा को अलविदा बोल हम होटल चल दिये। रात को हमने एक केरला रेस्टोरेंट में नूडल्स खाये ओर केरला का फ़ेमस लाल पानी पिया।दूसरे दिन हमने नाश्ता किया ओर ऑटो पकड़कर आराम से मन्दिर के आसपास का जायका लिया ,मार्किट घूमे ओर 4 बजे जाकर अपनी गाड़ी में बैठ गए।

इस तरह मेरी तमिलनाडु यात्रा समाप्त हुई 🙏












रविवार, 28 मई 2023

तमिलनाडुडायरी#16


तमिलनाडूडायरी#16
कन्याकुमारी भाग# 6
20 दिसम्बर 2022


19 को हम कान्यकुमारी आये थे और आज 20 दिसम्बर को हम सुबह कन्याकुमारी से निकल गए पहले सुचिन्द्रम मन्दिर घूमकर अब कही और जा रहे है।अब आगे:--

सुचिन्द्रम से निकलकर हमारी कार आगे बढ़ने लगी अब हम किसी जलप्रपात यानी कि वाटरफॉल पर जाने वाले हैं और उसका नाम हैं "थिरपराप्पु वाॅटरफाॅल" यह कन्याकुमारी से 1घण्टे की दूरी पर था।यहां से 60 फीट नीचे पानी झरने के रूप में गिरता है। जहाँ पर आप स्नान कर सकते है ओर नाव के द्वारा यहाँ पानी में घूम भी सकते है।
ये कृष्णा हमारे ड्राइवर ने जो 5 स्थान बताये थे उसमें नम्बर 2 पर था ये वाटरफॉल,पर ये थोड़ा अपोजिट साइड था इसलिये कृष्णा कुछ आनाकानी करने लगा बोलता हैं कि अभी बारिश हुई हैं ? पैदल चलने का रास्ता हैं ,छोटी पगड़न्ड़ी हैं आप लोग चल नही पाओगे?वगैरा वगैरा।
इसलिए हमने वहां जाने का प्रोग्राम कैंसिल किया और अब हम डायरेक्ट केरल राज्य में प्रवेश कर रहे थे।केरल और तमिलनाडु बार्डर पर हैं "पूअर बैकवाटर" जो प्राकृतिक हैं।

पूअर बैक वाटर (Poovr Back water)

पूवर दक्षिण भारत के केरल राज्य के त्रिवेंद्रम जिले का एक छोटा सा तटीय गाँव है। यह गांव लगभग त्रिवेंद्रम के दक्षिणी सिरे पर है। इस गांव में एक खूबसूरत समुद्र तट और बैकवाटर हैं ।अनछुआ, पूवर बैक वाटर एक दुर्लभ स्थान है जो दक्षिणी केरल में सबसे शांत बैकवाटर हैं ।यह बैक वाटर चमकीली रेत के समुद्र तट की ओर खुलता है। पूवर बैकवाटर वास्तव में स्वर्ग का एक द्वार है। यह क्षेत्र मसालों, पक्षियों, विदेशी फूलों, केले और नारियल के पेड़ों की सैकड़ों प्रजातियों के साथ अच्छी तरह से संरक्षित क्षेत्र है।
हमको कृष्णा एक बोट के  मालिक के पास ले गया वो हम दोनों को एक बोट में ले गया जो स्टिमर की तरह था।2500₹ किराया 1घण्टे की तफरीह का था।
हमने वो बोट किराए पर ली और सेफ्टी जैकेट पहनकर पानी मे कूद पड़े।यानी कि स्टीमर में बैठ गए😀 शानदार नजारा था हमारी नाव शांत पानी मे धीरे धोरे चल रही  थी।यह एक छोटी सी गली टाइप जगह थी,जिधर से हमारी बोट गुजर रही थी, नजदीक ही पेड़ दिख रहे थे जिन्हे हाथों से छू सकते थे।मुझे बोट वाले ने एक पानी का साँप भी दिखाया।पर दूर होने की वजय से ठीक से दिखाई नही दिया। मुझे पाइन एप्पल के पेड़ दिखाये जिसमें पाईंनऐप्पल लगे हुए थे।
धीरे धीरे हमारी बोट आगे बढ़ रही थी। इतना सारा पानी ! उसमें ढेर सारे पेड़, बहुत ही एक्साइटेड लग रहा था।मैं कभी इधर का, कभी उधर का पागलों की तरह विडियो बना रही थी फिर थक गई तो सारा नजारा आंखों से पीने लगी।एक जादुई माहौल था, सस्पेंस क्रियेट कर रहा था।मैंने ऐसा पहले कभी देखा नही था ।मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक मैंने बोट चलाने वाले से पूछा कि "भई, इधर मगरमच्छ तो नही हैं?" वो मुस्कुराकर बोला– "नहीं।"☺️

फिर हम सकरी सी गली से निकलकर बाहर आये इद्दर पानी का फैलाव ज्यादा था यानी जैसा बड़ी नदी होती हैं वैसा ही कुछ लग रहा था । इधर आकर बोट वाले ने मोटर चला दी और हम नदी में तैरते एक रेस्टोरेंट के नजदीक पहुँच गए।इस साइड में कुछ रेस्तरां बने थे जो बोट में ही थे और छोटी छोटी बोट में घूमने वाले हमारे जैसे लोग इनके अंदर जा रहे थे।अंदर टेबल कुर्सी लगी थी कुछ अंदर फ़ोटुग्राफी कर रहे थे।
हम तो बोट से उतरे नही बस वही पर बैठे बैठे चाय और पकौड़े मंगवा लिए।पकौड़ों का साइज बहुत बड़ा था पर टेस्टी थे ।कीमत 250 रु पर प्लेट थी।
चाय पीते हुए हमारी बोट फिर चल दी, दूर सुनहरी रेत वाला तट दिखाई दे रहा था। हमारी बोट वहां पहुँचकर  एक जगह खड़ी हो गई ओर हम उससे उतरकर रेत पर घूमने लगे ।वही दूर तक फैला समुन्द्र दिखाई दे रहा था।बार बार लहरें किनारे आती और चली जाती थी। एक तरफ बैकवाटर ओर दूसरी तरफ समुन्द्र हिल्लोरे ले रहा था ।बीच मे सुनहरी रेत का भाग बहुत ही दिलकंश लग रहा था।
कुछ देर घूमकर हम वापस बोट में आ गए और हमारी बोट आ गई वही जिधर हमारी गाड़ी खड़ी थी।ये इस ट्रिप का सबसे यादगार पल था।🥰 मुझे ये बैकवाटर बहुत पसन्द आया।
क्रमशः...




सोमवार, 22 मई 2023

तामिलनायडु डायरी#15

तमिलनाडुडायरी#15
कन्याकुमारी भाग #5
20 दिसम्बर 2022


रात आराम से गुजरी,क्योंकि कल बहुत थक गए थे।सुबह थकान से आंखें नहीं खुल रही थी कि अचानक कृष्णा का फोन आया–
"मैडमजी, आप रेडी हो? 
"काहे की रेडी रे!अभीज तो उठेलि है"😠 मैंने भुनभुनाकर बोला ओर फोन पटक दिया।
हम कंल ही कन्याकुमारी आये थे और आज वापस जाना था।अभी तो 2 फ़ेमस मन्दिर भी देखने थे और उसके बताये 5 स्थान भी।मैंने कन्याकुमारी घूमने के लिए 2 दिन रखे थे पर रामेश्वरम में ज्यादा दिन ठहरकर सब प्रोग्राम डिस्टब हो गया।
खेर,देखते हैं आज क्या क्या कवर होता हैं।ये सोचती हुई मैं बाथरूम में घुस गई।
1 घण्टे बाद हमने होटल से निकलकर नाश्ता किया और माता कन्याकुमारी के दर्शन को चल दिये। यहां महिलाओं की बहुत भीड़ थी। कहते है यहां शादीशुदा मर्दों का प्रवेश वर्जित है।
इतने में कृष्णा का फोन आ गया कि मैडम मैं नीचे खड़ा हूँ आप आ जाए। पर हम मन्दिर के बाहर खड़े थे और यहां 4 घण्टे से पहले नम्बर आना मुश्किल लग रहा था। ओर फिर मिस्टर को अंदर जाने नही देगे तो बेचारे वो कीधर रुकेंगे ये सोच कर हमने माता जी को बाहर से ही नमस्कार किया और अगली बार आने का वादा कर होटल आ गए।
जल्दी जल्दी होटल से चेक़ आउट कर के हमने अपने आपको कृष्णा के हवाले छोड़ दिया ओर हम कान्यकुमारी को छोड़ आगे बढ़ गए। 
करीब 10-12 km चलने पर हम सुचिन्द्रम नामक जगह पहुँचे यहां "स्थानुमलयन" नामक मन्दिर था।   दूर से मन्दिर ओर उसका भव्य सफेद रंग का गोपुरम दिखाई दे रहा था। कृष्णा ने बताया कि ये ब्रह्मा,विष्णु,महेश का इकलौता मन्दिर हैं।
यहां कृष्णा ने हमको उतार दिया और हम मन्दिर की तरफ चल दिये। मन्दिर का गोपुरम(द्वार) बहुत सुंदर था उस पर देवी देवताओं को उकेरा गया था।हम उस विशाल गोपुरम के अंदर चले गए। यहां मोबाइल जमा नही कर रहे थे  फोटु खींचने पर मनाही थी। अंदर कुछ लोग चेकिंग के टाइम 50₹ की पर्ची फाड़ रहे थे।मैंने देखा कि कोई भी पर्ची नही फड़वा रहा था और भीड़ भी नही थी तो मैंने भी नहीं फड़वाई ओर हम अंदर चले गए। साउथ के मंदिरों में गलियारे काफी लंबे लंबे होते है हम भी लम्बा गलियारा पार करते हुए मन्दिर के पास आ गए।यहां रास्ते में पंडित जी के कहने पर मिस्टर को अपनी शर्ट उतारनी पड़ी। साउथ के कुछ मंदिरों में पुरुष को ऊपर का वस्त्र उतारना पड़ता हैं। मन्दिर के अंदर दियों की रोशनी में साफ- साफ कुछ नजर नही आ रहा था।मूर्ति जैसा कुछ था जिस पर सफेद फूल फैले हुए थे ओर वो बहुत दूर थे इसलिए  कुछ नजर नही आ रहा था। कुछ देर रुककर हम हाथ जोड़कर बाहर आ गए ।ये साउथ के मंदिरों में लाइट क्यो नही जलाते यार😷 
मन्दिर के अंदर का दृश्य बाहर आकर पोस्टर देखा तो पता चला कि अंदर कोई प्रतिमा नही है सिर्फ लिंग  स्वरूप हैं।यानी कि पिंडी रूप में है।

इतिहास:--
इस स्थान का इतिहास बहुत पुराना है। पहले इस स्थान पर अरण्य नामक जंगल था। पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर गौतम ऋषि के श्राप से मुक्त होने के लिए  इंद्र ने तपस्या की थी। फिर गर्म जल के कुंड मैं स्नान कर स्वयं को पापमुक्त किया था। इंद्र ने अर्धरात्रि में पूजा की थी और पूजा खत्म होने पर देवलोक चले गए थे। इसी कारण इस स्थान का नाम सुचिन्द्रम पडा।
स्थानुमलयन मन्दिर:--
स्थानु का अर्थ है भगवान शिव, मल का अर्थ है भगवान विष्णु और यन का अर्थ है ब्रह्मा जी! 
इस प्रकार यहां ये तीन देवताओ के विराजमान होने से इस स्थान का नाम स्थानुमलयन पड़ा। मंदिर का जीर्णोद्धार 17वीं शताब्दी में हुआ, लेकिन मंदिर के कई शिलापट्टों से 8वीं और 15वीं शताब्दी में मंदिर के निर्माण की जानकारी मिलती है।
कन्याकुमारी का ये मंदिर अपनी अद्भुत संरचनाओं के लिए जाना जाता है। यहां निर्मित सबसे पहले मंदिर का प्रमुख आकर्षण सफेद रंग का गोपुरम है। 134 फुट ऊचे इस गोपुरम में कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं। मंदिर के दक्षिणी हिस्से में एक बड़ा जलकुंड है, जहां से मंदिर की गतिविधियों के लिए जल लाया जाता है। मंदिर के गर्भगृह के निकट भगवान विष्णु को समर्पित एक मंदिर है जहां उनकी अष्टधातु से बनी हुई प्रतिमा स्थापित है।

इसके अलावा गर्भगृह के दाईं ओर राम और माता सीता का मंदिर और नीचे की ओर गणेश जी का मंदिर बना है। मंदिर परिसर में ऐसे ही लगभग 30 छोटे मंदिर हैं जो कैलाशनाथ, गरुड़ और मुरुगन स्वामी आदि को समर्पित हैं। मंदिर का प्रमुख आकर्षण एक ही ग्रेनाइट पत्थर है जो हनुमान जी की लगभग 22 फुट की मूर्ति से बना है। हनुमान जी के अलावा 21 फुट लंबे, 10 फुट चौड़े और 13 फुट ऊंचे एक ही पत्थर से बने लगभग 900 साल पुराने नंदी की प्रतिमा भी भक्तों का मन मोह लेती है। मंदिर के गर्भगृह में लिंग रूप में तीनों देवता (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) विराजमान हैं।
इस मंदिर को  म्यूजिकल पिलर्स (स्तंभ) के नाम से भी जाना जाता है। 1इस मंदिर में 1035 स्तंभ हैं जिनमें से 18 फुट ऊंचे 4 ऐसे स्तंभ हैं जिन्हें संगीत स्तंभ कहा जाता है। एक ही ग्रेनाइट पत्थर से बनाए गए ये स्तंभ थपथपाए जाने पर संगीत की ध्वनि निकालते हैं। संगीत की यह ध्वनियाँ इतनी स्पष्ट हैं कि इन्हें सुनने पर ऐसा लगता है मानो कोई संगीतकार किसी देवता का आव्हान कर रहा हो। जब मैंने  अपने कान स्तम्भ पर लगाये तो सुरीला संगीत सुनाई दिया। पंडित जी स्तम्भों पर हल्की थाप दे रहे थे मानो वो स्वयं वाद्य बजा रहे हो

सुचिन्द्रम के इस मंदिर को त्योहारों के लिए भी जाना जाता है। 10 दिवसीय उत्सव यहां का प्रमुख त्योहार है जो दिसंबर या जनवरी में मनाया जाता है। इसके अलावा अगस्त में अवनि उत्सव, अप्रैल में चितिराई उत्सव और मार्च में मासी उत्सव भी मंदिरों के प्रमुख त्योहार हैं। 
मन्दिर में मिलने वाले प्रसाद में 50 ₹ का एक बड़ा लड्डू देखकर मन लड्डू खाने को मचलने लगा😀 प्रसादम लेकर हम बाहर आ गए। जब गर्भग्रह से निकल रहे थे तो वहां एक लाइन में मूर्तियां देखी। पूरे मन्दिर में फोटु खींचना अलाव नही था पर गर्भगृह में कोई नही था तो मेरे विचलित मन ने चुपचाप कुछ फोटु खींच लिए😀 
बाहर निकलकर कुछ फोटु खींचे, बाहर मौसम आशिकाना था बारिश होकर बन्द हुई थी हवा में ठंडक थी और हम गाड़ी में बैठ गए।
अब हम आगे जा रहे थे। देखते हैं कृष्ण महाराज अब कीधर ले जाते है।
क्रमशः.....


गुरुवार, 11 मई 2023

तमिलनाडू डायरी#14

तमिलनाडुडायरी#14
कन्याकुमारी भाग 4
19 दिसम्बर 2022


हम स्वामी विवेकानन्द स्मारक देखकर खाना खाकर जब वापस आ रहे थे तो उस पागल जैसे दिखने वाले आदमी ने हमारा रास्ता  फिर रोक लिया। अब ये कौन था? इसके लिए हमको आज सुबह 6 बजे वापस पीछे जाना पड़ेगा।

तो हुआ यूं था कि आज सुबह जब हम सूर्योदय का दिलकंश नजारा देखकर अपने होटल वापस आ रहे थे तब हमने एक चाय वाले के पास खड़े होकर चाय पी थी।(आप लोगों को याद होगा) तो वही जब हम चाय पी रहे थे तब ये महानुभव अपनी निगाहें पेपर में गड़ाए बैठे थे
 अपनी नजरे हटाये बिना ही मुझे घूरकर बोले– " मैडम जी, त्रिवेन्द्रम जाना हैं क्या?"
"जी, हाँ!!"मैंने भी फट्ट से बोला"
"3,500₹ लूंगा अगर चलना हो तो? 5 स्थान दिखाऊंगा।"
"कौन-कौन से–– मैंने पूछा!
"@#-%*℃$∆¢£" उसने बताया
"ठीक हैं,बाद में बताएंगे!!!"
मैंने टाल दिया।
क्योंकि मैं 2-4 जगह टटोलकर ही कुछ डिसीजन करती हूं।
फिर हम अपने होटल आ गए।
होटल पहुँचकर हम थोड़ा आराम करने लगे।कुछ देर बाद हम तैयार होकर गुलफाम बने होटल से बाहर आ गए।
होटल से निकलते ही वो बेवकूफ सा दिखने वाला आदमी फिर नजर आ गया।शायद हमारा ही इंतजार कर रहा था।
"मैडम जी, चलना है क्या? मैं 3 हजार 100 रु लूँगा ,मेरी कार हैं और यहां सब ज्यादा पैसे मांगेंगे।"
मैंने फिर टाल दिया ।और आगे ऑटो में बैठकर विवेकानन्द स्मारक देखने चल दी थी।
हम वापस लौटकर खाना खाकर आ रहे थे तब वो फिर मिल गया।
"कल का पक्का हैं ना" । मैंने भी बोल दिया कि ठीक हैं।
वो फिर बोला–"मैडमजी, जबान दी हैंमुकरना नहीं ,गरीब आदमी हूँ।" 
तब थोड़ी मुझे उस पर दया आ गई । मैंने बोला, "ठीक हैं कल चलेंगे"
फिर मैंने फैसला कर लिया कि अब हम इसके साथ ही चलेंगे।
दोपहर को बहुत धूप थी और हम थक भी गए थे तो थोड़ा आराम करने होटल वापस आ गए। 
शाम को 5 बजे हम रूम से बाहर निकले तो होटल का एक ड्राइवर मिला,उसने भी हमसे त्रिवेन्द्रम जाने का पूछा ओर 3हजार ही रेट बताये । पर अब मैंने उसी कृष्णा के साथ जाने का फैसला कर लिया था।जब खुद कृष्ण कन्हिया मेरे सारथी बने थे तो मैं कौन होती हूँ उनको मना करने वाली😆

हमने एक ऑटो किया और सुर्यास्त देखने चल दिये। बीच पर आए तो देखा बादलों ने पूरे आकाश को जकड़ रखा हैं। कहीं से भी सूरज की एक झलक तक दिखाई नही दे रही थी। बीच पर लोग मख्खियों की तरह भिनभिना रहे थे।😃 और समुन्द्र की लहरें उछल उछल कर सबका वैलकम कर रही थी।
मैंने एक कोना ढूंढ लिया जिधर कम पब्लिक थी। बहुत ही खुशनुमा माहौल था। यहां मैंने समुन्द्र किनारे बड़ी बड़ी गोल चट्टानें भी देखी।कुछ तो 1मंजिला ऊंची थी। हमारे बॉम्बे में किसी भी बीच पर ऐसी चट्टानें मैंने आजतक नहीं देखी थी।

खेर, मैं भी लहरों के साथ कुछ देर धमाचौकडी मचाती रही। आती जाती लहरें ओर उनका शोर मुझे हमेशा से अच्छा लगता है।सबकुछ भुला देता हैं।कुछ देर एक चट्टान पर बैठकर मैं लहरें गिनती रही,हवा के ठंडे झोंके आंखें बंद करने को मजबूर करते रहे। कुछ देर लहरों से  आंख-मिचौली खेलने के बाद अचानक याद आया कि अभी तक सूरज महाराज आये नही हैं 🤔 फिर से गगन पर सरसरी नजर डाली पर कहीं भी अरुण देवता के दर्शन नही हुए।मतलब आज बादलों के कारण सूर्यास्त देखने को नहीं मिलेगा😪 बहुत मायूसी हुई ।कन्याकुमारी का फ़ेमस सूर्योदय तो देख लिया था पर सूर्यास्त के टाइम किस्मत ने साथ नही दिया। खेर, रही जिंदगी तो फिर आएंगे😄
कुछ देर बाद जब अंधेरा हो चला तो हम भी अपने ऑटो के पास आ गए।
फिर हमारे ऑटो वाले के कहने पर हम एक जगह म्यूजिकल फाउंटेंन देखने आ गए ।यहां 50₹ ओर 100₹ टिकिट था। हमने 100 ₹के 2 टिकिट खरीदे ओर अंदर आ गए।ये एक आर्टिफिशल लाईट शो था जिधर लाईट ओर गानों की धुन पर फाउंटेन चल रहे थे।थोड़ी देर देखने के बाद हम बोर हो गए और बाहर निकल गए। लोग पैसे कमाने के लिए क्या-क्या हथकण्डे अपनाते हैं। वापस ऑटो में बैठकर हम अपने होटल आ गए।यहां हमने एक बहुत बड़ी गलती कर दी।शाम को हमको भारत माता मंदिर जाना था जिसे हम पूरी तरह भूल गए थे।फालतू का फाउंटेन नहीं देखते तो भारतमाता मन्दिर जरूर चले जाते खेर,देखते हैं सुबह कुछ देखने को मिलेगा या कृष्णा जी शीध्र पधार जायेगे😃 
रात को बाहर टहलने निकले ,भूख थी नही क्योंकि दिन में खाना लेट खाया था तो सिर्फ एक रेस्टोरेंट में मिस्टर ने पुलाव खाये ।फिर मैंने भी एक आइसक्रीम खाई ओर लौटते हुए बाजार की रौनक देखते हुए वापस होटल लौट आये। क्रिसमस के कारण बाजार काफी सजे हुए थे यहाँ भी क्रिश्चियन काफी मात्रा में हैं तो क्रिसमस की रौनक लगी हुई थी।अब कल सुबह देखते हैं क्या होता हैं।
चलो मिलते हैं कल सुबह...🙏



बुधवार, 10 मई 2023

तामिलनायडुडायरी#13

तमिलनाडुडायरी#13
कन्याकुमारी भाग 3
19 दिसम्बर 2022


हम आज सुबह ही कन्याकुमारी आये थे ।पहले सूर्योदय देखा फिर होटल में जाकर थोड़ा आराम किया और अब शिप में बैठकर विवेकानंद रॉक मेमोरियल देखने आए है अब आगे....

हम शिप में कचरे की तरह लुढ़कते लुढ़कते  एक जगह पहुँच गए ।यहां से देखा तो काफी सुंदर चट्टान पर विवेकानंद स्मारक बना हुआ था।बहुत ही खूबसूरती से सजा रखा था।हवा बेहद तेज थी जिससे मेरे गिने चुने बाल उड़ रहे थे😀

विवेकानन्द स्मारक 
भारत के कान्यकुमारी में समुद्र में स्थित यह स्मारक बना है।यह किनारे से लगभग 500 मीटर अन्दर समुद्र में स्थित दो चट्टानों में से एक के ऊपर बना है। 
कन्याकुमारी से 15 मिनट की फेरी की सवारी लेनी होती हैं जो मौसम के आधार पर सुबह 8 बजे से शाम 4:30 बजे तक या सुबह 7 बजे से शाम 5:30 बजे तक चलती है। टिकट की कीमत आमतौर पर 50₹ होती हैं।Vip की कीमत निश्चित नही हैं।मेरे टाइम 200₹ थी।
1970 में इस विशाल शिला पर ये भव्य स्मृति भवन स्वामी विवेकानंद के सम्मान में बनाया गया था।तब इसका उद्धाटन तत्कालीन राष्ट्रपति श्री V. V. गिरी ने किया था।कहते हैं स्वामी जी को इसी चट्टान पर बैठकर ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

विवेकानंद स्मारक के पास ही दूसरी चट्टान पर प्राचीन तमिल कवि तिरुवल्लुवर की 133 फीट ऊंची विशाल मूर्ति है।मैंने देखा उसकी मरम्मत चल रही हैं। वहाँ किसी को जाने की अनुमति नहीं थी वरना जरूर जाती।
शिप से उतरकर हम एक गलियारे जैसे अलग से बने रास्ते से ऊपर की तरफ बढ़ चले।आगे चलकर हमको एक भव्य मंदिर दिखाई दिया।वाकई में बहुत सुंदर निर्माण हुआ हैं ।सामने ही बहुत सारी सीढ़िया ऊपर तक गई थी। सीढ़ियों के पास दोनोँ तरफ काले चमकदार पत्थर के हाथी बने हुए थे।हमने कुछ फोटु खिंचे ओर सीढ़ियों की तरफ कदम से कदम मिलाते हुए ऊपर चले गए।ऊपर फोटु लेना अलाउ नही था इसलिए मैंने मोबाइल पर्स में रख लिया।ऊपर तेज समुंद्री हवा चल रही थी ,हवा इतनी तेज थी कि मेरे पैरों का बैलेंस ही नही बन रहा था। बाल तो आपस में कबड्डी खेल रहे थे😃

आगे जाकर देखा तो एक लंबे चौड़े कमरे में स्वामी विवेकानंद जी की बड़ी -सी प्रतिमा खड़ी थी मानो अभी-अभी चलकर आई हो। मेरे मन मे स्वामी जी की एक अलग ही छबि बनी हुई हैं ।सम्मान उनकी छवि को अपने श्रध्या सुमन अर्पित कर हम दोनो दूसरी तरफ से नीचे उतर गए।
सामने ही गर्जन करता समुन्द्र था।कुछ देर समुन्द्र को निहारकर हम छोटी छोटी तरासी हुई सीढ़ियो से उतरकर नीचे आ गए। नीचे काफी लोग टहल रहे थे।नीचे ही जेंट्स ओर लेडिस वॉश रूम भी बने थे साफ और क्लीन।
नीचे एक लायब्रेरी भी थी जहां विवेकानन्द जी का साहित्य भरा पड़ा था ।हमने भी एक पुस्तक खरीदी ओर कुछ देर आराम कर के वापस अपनी शिप से किनारे लौट आये। लौटते वक्त भी 50 रु वाली टिकिट की लंबी लाइन लगी हुई थी।हमने एक ऑटो किया और अपने होटल के पास के एक रेस्तरां मे खाना खाया और वापस अपने कमरे में लौट आये।अब शाम को सूर्यास्त देखने जायेगे।
क्रमशः....





 


 


शुक्रवार, 5 मई 2023

तमिलनाडुडायरी#12

तमिलनाडुडायरी #12
कन्याकुमारी,भाग 2
19 दिसम्बर 2022


आज के दिन की शुरुवात सूर्यमहाराज की कृपा से अच्छी रही, पूरा दिन मजेदार रहा।
हम सुबह सूर्योदय देखकर वापस अपने होटल में आ गए वही हमने चाय ओर पानी मंगवाया ओर थोड़ा आराम किया
फ़िर करीब 1 घण्टे बाद हम दोनों गुलेगुलजार बन घूमने निकल पड़े।होटल से बाहर निकलकर पास के रेस्टोरेंट में डोसे का नाश्ता किया।मैंने इडली मांगी तो मुझे इडली नही मिली हारकर डोसा ही खाया और चाय पीकर बाहर निकल गए।पता नही क्यो तमिलनाडु में जब से आई हूं मुझे इडली नही मिल रही हैं।रामेश्वरम में रोड पर खाई थी तो मजा नही आया एकदम बेकार थी। मुझे कर्नाटक की इडली की याद सताने लगी😪
खेर, नाश्ता कर के हमने एक ऑटो वाले से विवेकानन्द रॉक मैमोरियल तक जाने का पूछा,उसने 50 रु बोला हम उसमे बैठ गए।मुझे किराया बहुत सस्ता लगा, लेकिन बाद में  देखा तो 50 ₹ ज्यादा लगे क्योकि वो 1 km भी नही था पैदल भी जाया जा सकता था।😜
खेर,ऑटो वाले ने ऑटो एक लाइन के पास खड़ा कर दिया। हमने उतरकर देखा एक लंबी सी लाइन आगे जाकर गुम हो गई थी।लाईन को देखकर मेरे हाथ पैर फुल गए ।अरे बाबा,इतनी भीड़!!"
विवेकानन्द रॉक मैमोरियल समुन्द्र में बना है और वहां तक जाने के लिए स्टीमर में सवार होना पड़ता हैं ।और ये लाईन उसी स्टीमर में जाने की थी।मरता क्या न करता !हम् भी लाईन में लग गए।
इतने में एक लेडिस पुलिस वाली आई और अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में बोली कि, सर आप स्पेशल टिकिट ले लो,इद्दर कीधर धक्के मुक्की में खड़े रहोगे। बात जंच गई।
वो हमको एक दूसरी छोटी लाइन में ले गई जिधर छांव भी थी वहाँ  हमने 200-200 रु का स्पेशल टिकिट लिया ओर वही खड़े हो गए।हमारी लाईन जल्दी आगे बढ़ रही थी जबकि पिछली 50₹ वाली लाईन अभी तक एक इंच भी सरकी नही थी। धूप अपने पूरे शबाब पर थी। हमने उस पुलिस वाली का ओर भगवान का शुक्रिया अदा किया क्योकि सुबह जो ये शहर बर्फ की मानिंद ठण्डक दे रहा था वो अब आग उगल रहा था।
हमारी भी लाइन काफी बड़ी थी पर  छाव में थी और बैठने को भी बेंच लगी थी इसलिए थोड़ी राहत थी।
हमारी लाईन को फटाफट छोड़ दिया और हम सब एक कतार में दूर तक आगे चल दिए।फिर मैंने पलटकर देखा तो 50₹ वाली लाईन भी थोड़ी थोड़ी छूट रही थी। फिर आगे जाकर लेडिस को अलग लाइन में खड़ा कर दिया और जेंट्स अलग हो गए।
इतने में शिप भी आ गया पहले वो खाली हुआ फिर हमको धीरे धीरे छोड़ा गया।लेकिन इधर आकर सब ऑफरा तफरी मच गई। लोग भाग भाग कर सेफ्टी जैकेट लेकर शिप में सीट लेने दौड़ पड़े।मैं भी भागकर अंदर गई पर तब तक सारी किनारों वाली सीट फुल हो चुकी थी । हमदोनो बीच वाली सीट पर बैठ गए।सेफ्टी जैकेट हमने पहन ली।शिप में उस समय 100 लोग दिख रहे थे,मुझे डर लगने लगा कहीं शिप पलट न जाये😂🤣😂
हिचकौले खाता हुआ शीप अपनी राह चल पड़ा ।मुश्किल से 10 मिनिट में हम विवेकानन्द रॉक  पर मौजूद थे।
शेष फिर....