मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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बुधवार, 25 अप्रैल 2012

मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में भाग (6)




"ये हैं बॉम्बे मेरी जान "

चलिए आज आपको घुमाती हूँ मुंबई के नजदीक 'विरार ' लोकल स्टेशन पर बना नया वंडरफुल पार्क  :---

 यजु पार्क 



यजु पार्क में मैं 
आज आपको धुमाती   हूँ  मुंबई के आखरी लोकल स्टेशन ( पश्चिम  रेलवे ) विरार के नए बने वंडरफुल पार्क के 
जो मुंबई से60 किलो मीटर (लोकल ट्रेन एरिया ) दूर बना हैं  ...चर्चगेट स्टेशन से यदि आप फास्ट विरार लोकल पकड़ेगे तो विरार आने में आपको डेढ़ घंटा लग सकता हैं ... पार्क तक पहुँचने के लिए स्टेशन से लोकल ऑटो चलते हैं ..जिनका किराया 40 से 50 रु. हैं ...पार्क का टिकट हैं नाम मात्र रु. 20 रु....और झूलो का अलग से ....वो भी 20- 30  बस ...रुस्तमजी और एवरशाहीन बिल्डर के नव निर्माण ग्लोबल सिटी में बना यह पार्क इमेजिंग झूलो की वजय से खासा चर्चित हैं -------


यजु पार्क 



सिक्योरिटी का पूरा बंदोबस्त हैं ...सामने वाली पहाड़ी पर प्रसिध्य माता हैं :---

 'जीवदानी माता का मंदिर'



अंदर का द्रश्य  


अन्दर का द्रश्य 


अंदर एक खुबसूरत  कलाकृति आपका  स्वागत करती हैं .... 



यह हैं ८ सीटर फुल एडवेंचर राइड  (दिन) 


(रात का नजारा भी लाजबाब था )


और यह हम हैं 





(गूगल महाराजा की देंन )


बुल राईट ...बहुत मजेदार था यह झुला बच्चा बहुत आनंद ले रहा था 



और हम किसी का इन्तजार करते हुए 



ऐसे खुबसूरत फूलों से सजा हैं सारा पार्क 



डायनोसौर और बच्चो की मिनी ट्रेन 


म्यूजिकल फाउन्टेन १५ से ३० मिनट तक चलता हैं  



बुम्पिंग  कार जोन  



मस्ती में झूमते हुए दो दीवाने ...

आराम के मूड  में 


दो -दो फूल ( अजी ,हम मुर्ख नहीं )



रात का शमा झूमे चन्द्रमा ..पीछे ....मेरी गो राउंड 



ये भी हैं यहाँ आपके स्वागत के लिए 




वाटर बाल  ...'ज़ोर्बिंग'   


यहाँ आप आराम कर सकते हो 





इस जोकर के साथ हम दो जोकर 




चलिए अब रात हो चुकी हैं ..हम भी चलते हैं ...



तो यह था .....यजु पार्क 

Contact : 7738677387, 9004492928, 9004492929, 9004492930

यहाँ खाने -पीने का पूरा बंदोबस्त हैं  


शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

एक काला कव्वा !






मुंडेर पर बैठा आज फिर एक काला कव्वा  !
 चौकस ! कभी इधर ! कभी उधर !
गर्दन को घुमाता हुआ ..
काऊं ! कांउ !! कांउ !!!
यु चिल्ला रहा था मानो सबको खबरदार कर रहा हो ---
"मैं आ गया हूँ "
मैं आ गया हूँ "
काऊं ! काऊं !! काऊं !!! 

"चल हट मुए"---पास से आवाज आई !
अम्मां डंडा ले उसके पीछे दौड़ रही थी ?
मैं हंस रही थी ----

यह रोज़ ही होता हैं ..अम्मां दौड़ कर भगा देती हैं  वो  फिर  वापस ..
कभी यहाँ ! कभी वहां !! काऊ ..काऊ ..काऊ ,मैं हंसने लगती हूँ ....
वो अम्मी से खेलने लगता हैं ..
जब अम्मा थक जाती हैं तो हांपने लगती हैं ...

कभी इसकी काऊं - काऊं बहुत प्यारी लगती थी ?
उनके आने का सन्देश होता था ?
तब फोन और मोबाईल कहाँ हुआ  करते थे ?
सन्देश वाहक का काम यहीं तो करते थे बेचारे ....
तब मन तंरगों से प्रफुल्लित हो जाया करता था ?
विश्वास हो जाता था की आज वो आने वाले हैं ...
आँखों में स्वप्न थिरकने  लगते थे ...?
गालों पर एक प्यारी मुस्कान दौड़ आती थी ...?
होठों पर एक प्यासी लकीर खिंच जाती थी ...?
तन अंगडाई लेने लगता  था ....
मन मयूर -सा नाचने लगता था ...
यु लगता था सारे आँगन में नाचती फिरू ..

"ताक धिना -धिन ताक "  




उस दिन वो नहीं आते तो उनके ख़त का इन्तजार करती ..
बस! अभी पोस्टमेंन आएगा और उनके ख़त बाबा को देगा ?
वो हमेशा दो ख़त भेजा करते थे ---
एक घर वालो के नाम ,एक मेरे नाम ....
मैं कुछ शरमाई हुई ,,,
कुछ सकुचाई हुई ,,,
वो ख़त ले  दौड़ पड़ती थी अपने कमरे में ...
कुछ देर उसको सूंघती  थी ..
चूमती थी ...
फिर प्यार से सहलाती थी ..
मानो वो मेरे पास ही हो ..?

नई -नई शादी ! फिर पति के बगेर ससुराल में रहना ..
एक नवेली के लिए बड़ा मुश्किल होता हैं ...
ख़त पड़ती ,,,तो वह बड़ा ही साधारण होता था ..
"उन्हें प्यार जताना नहीं आता था " 
सीधी-साधी भाषा होती थी  
पर उस साधारण ख़त से मैं पुन; जीवित हो उठती थी ?
एक अजीब -सी सिहरन होती थी ..
जैसे पहले स्पर्श से होती हैं !
एक मदहोशी -भरा आलम ..
प्यार से ओत -पोत ..
तब मेरे कदम जमीं पर नहीं पड़ते थे ....?
मैं अचानक  उड़ने लगती थी .....




काऊं ! काऊं !! काऊं !!! 



अम्मा अभी भी उसे भगाने का प्रयास कर रही थी
और मैं टुकर -टुकर उस काले महाराज को देख रही थी --
"क्या ,,, आज फिर ये कोई अच्छी खबर सुनाएगा " 
"क्या आज फिर उनका ख़त आएगा "
"या वो खुद चले आए "
मन मैं अजीबो -गरीब सपने पलने लगे ........!






पिछले १५ साल से मैं उनका इन्तजार कर रही हूँ .....
इसी आँगन में रोज कव्वें की काऊं - काऊं सुनती हूँ ..
और रोज ही मन सरपट घोड़े की तरह दौड़ने लगता हैं ...!


काऊं ! काऊं !! काऊं !!! 


अचानक तन्द्रा भंग हुई ..९बज गए थे ..
उफ़ ! आज फिर आफिस में देर हो जाएगी ..और वो बुड्डा खूसट ,
अपने केबिन  में बुला मुझे प्यासी नजरो से घूरेगा ...
मेरे हाथ तेजी से काम करने लगे ....
मुंडेर पर अभी भी कालूजी विराजमान थे  ...???
  




               

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

मेरा जनम -दिवस ......आभार ..





मेरा जनम -दिवस 
२८ march




मेरे जन्म दिन पर आप सभी दोस्तों का मैं आभार प्रकट करती हूँ ----इस दिवस को आप सबने अपने प्यार से यादगार बना दिया ..आपके स - स्नेह का तहे दिल से शुक्रियां अदा करती हूँ  --यह प्यार हमेशा बनाए रखना यही इल्तजा करती हूँ :-----








मेरे सभी मित्र जन ने अपने -अपने अंदाज में मुझे तौहफे प्रदान किए  ..जो मेरे लिए बेहद मूल्यवान हैं सबसे पहले मेरे परम  मित्र ललित शर्मा की एक सुंदर रचना के साथ शुरुवात करती हूँ :--







ललित शर्मा 


दर्शनजी ,तुहानू जनम दिन की लख -लख वधाईया  होवे 


तुम्हें खुशियाँ मिले अपार 
दुआओं का कोष रहे अपार 
जीवन में कभी दुःख न हो 
हर्ष -उल्हास मिले विशेष ---!


जनम -दिन पर तुम्हारे मैं 
करता हूँ मैं रब्ब  से अरदास 
आनन्द से भरा जीवन हो 
धन -धान्य  रहे नित पास ---!


खिलंदड - बालपन तुम्हारा 
मुझको बहुत भाता हैं 
यु लगता हैं जैसे कोई 
पिछले जनम का नाता हैं ---!


विपुल स्नेह तुम्हारा मित्र 
बरसता रहता हैं निस-दिन
यु ही चलता रहे जीवन 
कष्ट न आए पल- छीन --!


जनम -दिवस स्वीकार  करो  
यह अक्षर -बंधन का उपहार 
शब्द -शब्द से स्वीकार करो 
मेरी शुभकामनाए अपार ......
...............ललित शर्मा ! 


  
    


ललितजी  का प्यार व् आदर पा निहाल हो गई मैं ..आभार  !   


**************



हरी शर्मा 

बाँध दू चाँद .....
आँचल के इक छोर में ...
मांग भर दूँ तुम्हारी सितारों से मैं ...
क्या समर्पित करू जनम दिन पर तुम्हें ...
पूछता फिर रहा हूँ बहारो से मैं ...


गूँथ दू वेणी में पुष्प मधुमास के ..
और उनको ह्दय की अमर गंध दूँ ..
स्याह भादों भरी ,रात जैसी सजल ,
आँख को मैं अमावस  का अनुबंध दूँ ..
पतली भू -रेखा की फिर करूँ अर्चना ..
प्रीती  के मद भरे कुछ इशारों से मैं ..
बाँध दूँ चाँद, आँचल के इक छोर में ...
मांग भर दूँ तुम्हारी सितारों से मैं ......!


पंखुड़ी से अधर द्वय तनिक चूमकर ..
रंग दूँ उन्हें सांध्य आकाश का ..
फिर सजा दूँ अधर के निकट एक तिल ..
माह ज्यों वर्ष के  माश्या मधुमास का ..
चुम्बनों की प्रवाहित करूँ फिर नदी ..
करके विद्रोह मन के किनारों से मैं ..
बाँध दूँ चाँद, आँचल के इक छोर मैं ...
मांग भर दूँ तुम्हारी सितारों से मैं .....!!!
..................(डॉ. कुमार विश्वास)  








आभार हरीजी  आपके स -स्नेह का दोस्त ..


************



अल्ज़िरा लोबो

जनम दिन की अनेको शुभकामनाए

"दिए जलाए प्यार के चलो इसी ख़ुशी में ..
बरस बिता के आई हैं ये शाम जिन्दगी में .."



थंक्स जानी 

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गिरिराज किशोर शर्मा 

प्रिय मित्र दर्शन कौर जी ,,,जनम दिन की आपको बधाई :)

"तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हें तोहफे  मैं क्या भेजू ,
सोना भेजू ,चांदी भेजू ,या फिर प्यार स्नेह भेजू ,


कोई बहुत कीमती वस्तु तोहफे के लिए तो बताना ,
जो खुद कोहनूर का हिरा हो उसे क्या हिरा भेजू ...!"


आभार गिरिराजजी 




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विनोद शर्मा 


हर लम्हां आपके होठों पर मुस्कान रहे ..
हर गम से आप अनजान रहे ...
जिसके साथ महक उठे आपकी जिन्दगी ...
हमेशा आपके पास वो इंसान रहे ..





आभार दोस्त विनोद 

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संजय विजावत  
जनम-दिन का केक  
********आपके लिए !


आभर संजय 

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राज भाटिया जी  

दर्शंकौर जी जन्मदिन की बधाई हो आपको 





सा-स्नेह आभार राजजी 

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पुष्प सिंधल  
जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई हो दीदी 







आभार पुष्प ...स्नेह बनाए रखना 

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थंक्स वाजिदा बच्चे ..माय परी 
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इसके साथ उन सभी दोस्तों का तहे दिल से धन्यवाद करती  हूँ ..जिन्होंने इस दिन को खास बनाया 







अरुण शर्मा मेरे मित्र

जिन्होंने सबसे पहले ठीक १२ बजे मुझे मुबारक बात फोन द्वारा दी ...आभार दोस्त !

ऋषि धनोय , तजेंदर सिंह लाम्बा,रशिम प्रभा,मुज्जफर अली.मुकेश कुमार सिन्हा,आशुतोष वर्मा, 'आशु' चंदर भूषण मिश्रा 'गाफिल' ,तरनप्रीतसिंहं,किरण गुलाठी,संजय गर्ग ,पारसनाथ उपाध्याय,रंजीतसिंह शेखो,संजय कुमार खेर, सुनीता शर्मा, अतुल गर्ग, गिरीश पंकज, हरदीपसिंह, विवेककुमार तिवारी, प्रीती,कैलाश शर्मा, मनीष कुमार, रिया अग्रवाल, शिखा वैसाने,अनिल मेथा,नीरज तनेजा, सीता आर्या, शाहनवाज़,सत्यम शिवम्,रमेश शर्मा, रोहितकुमार मीत,राजीव कुमार, रोशी अग्रवाल, उषा राठोर, समीर लाल, निधि शाह, सिम्पी,बंसी चोहान, अनीता कपूर, कविता विकाश,पियूष यश्वान्तानी,आशा पांडे ओझा, आरती शर्मा, कुमार कुश्मेश, काजल कुमार, संजीव तिवारी, हरनीत, आस्था, नेहा शाह,रामान्जय शर्मा,उमा शर्मा,सुनील खत्री, अनीता सिंह, नीलकमल वैष्णव 'अनिश' प्रभा जोशी, स्वैसिंह सवाई सिंह राजपूत, अशोक अरोरा, अंजू चोधरी,  पाबला साहेबडॉ. रूपचंदशास्त्रीजी,और राजीव तनेजा.... 
(अ गर कोई छुट गया हो तो माफ़ी चाहती हूँ )    
                  

आखिर मैं सबकी प्यारी दादी गुड्डो 






* दादी का आशीर्वाद *