चाहते ,प्यार, मस्ती और दिल्लगी
अब ये सब बाते गुजरे जमाने की लगती
हमें कौन चाहेगा ..?
अब तो यह बातें झूठे फसाने की हैं ..!
वो रूठना ,वो मनाना वो खिलखिलाना
अब तो इन चीजों का नहीं कोई ठिकाना ..!
वो गलियों से गुजरना
वो लड़कों का पीछे आना
तिरछी निगाहों से उन्हें तकना
फिर खुद ही शरमा जाना ...
अब कहाँ हैं वो बिजलियाँ गिराना
अब कहाँ हैं वो बिजलियाँ गिराना
अब कहाँ हैं वो सब रूठना मनाना.....?
लटों को लहराकर बालों को झटकना
फिर अदा से उन्हें जुड़े में फसाना
फिर अदा से उन्हें जुड़े में फसाना
पलकों की चिलमन से किसी को गिराना
कभी निगाहों से किसी को सजदा करना
अब कहाँ हैं वो अँखियो का लड़ाना ...
कभी हंसना कभी खिलखिलाना .....
अब कहाँ हैं वो सब रूठना मनाना ......?
कभी निगाहों से किसी को सजदा करना
अब कहाँ हैं वो अँखियो का लड़ाना ...
कभी हंसना कभी खिलखिलाना .....
अब कहाँ हैं वो सब रूठना मनाना ......?
वो जलती दुपहरियां में कॉलेज को जाना
हमें देख लडको का सिटी बजाना
गुस्से से नकली गुस्सा दिखाना
फिर अपने ही अहम पर खुद मर जाना
कभी किसी का समोसा खा जाना
कभी किसी का प्रेम -पत्र दिखाना
कभी किसी की हवा को निकालना
गुस्से से नकली गुस्सा दिखाना
फिर अपने ही अहम पर खुद मर जाना
कभी किसी का समोसा खा जाना
कभी किसी का प्रेम -पत्र दिखाना
कभी किसी की हवा को निकालना
कभी भागकर साइकिल पर उड़ना
वो मौजे -बहारे वो खिलखिलाना ..
अब कहाँ हैं वो रूठना मनाना .....?
वो मौजे -बहारे वो खिलखिलाना ..
अब कहाँ हैं वो रूठना मनाना .....?
पापा से बहाने बनाकर फिर पैसे ऐठना
चुपके से सिनेमा जाकर पिक्चर देखना
भाभी की चम्मच बनकर गोलगप्पे खाना
फिर मिर्ची का ठसका और आँखों का बहना
भैय्या से शाम को आइसक्रीम मंगाना
कहाँ हैं वो बचपन वो हँसना- हँसाना
वो कसमें -वादे वो खुशियों का खजाना
साथी तो बहुत हैं पर वो बात नहीं ?
न वो प्यार न वो चाहतें ...
न वो हंसी न वो ठाहकें...
अब नहीं रही वो सुहानी जिन्दगी ...?
न कालेज का जमाना न खिलखिलाना ...?
न कागज की नाव न बारिश का बरसना ...?
न दादी की कहानी न परियो का फसाना ..?
न सुबह की चिंता न शाम का ठिकाना ...?
न चाँद की चाहत न तितलियों का दीवाना ..?
न खुशियों की बहार न हंसने का बहाना ...?
कहाँ गुम हो गया वो बचपन सुहाना ....?
वो वादे -बहारे वो अपना चहचहाना .......!!!
न कागज की नाव न बारिश का बरसना ...?
न दादी की कहानी न परियो का फसाना ..?
न सुबह की चिंता न शाम का ठिकाना ...?
न चाँद की चाहत न तितलियों का दीवाना ..?
न खुशियों की बहार न हंसने का बहाना ...?
कहाँ गुम हो गया वो बचपन सुहाना ....?
वो वादे -बहारे वो अपना चहचहाना .......!!!
* कहाँ गुम हो गया वो बचपन का जमाना *
19 टिप्पणियां:
....प्रत्येक पंक्ति बेहद खूबसूरत....पढ़ कर आनंद आया ..
...आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ।
प्रिय माँ
आपकी रचना बेहद भाव लिए मंत्रमुग्ध कर गई |
पढने के बाद स्कूल कॉलेज की सारी यादें ताजा हो गई |
बहुत बहुत धन्यवाद |
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www.akashsingh307.blogspot.com
vaakai bachpan ki yaaden kabhi vilupt nahi hoti aur javaani ki to dil ke kisi kone me chupi hoti hain,jo aapne bakhoobi varnit ki hain.
हमें भी अपना बचपन याद आ गया ...
बहुत सुन्दर....
कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन.....वो प्यारे पलछिन ...
आज सब कुछ हैं ....बस नहीं है तो वो
बचपन नहीं है अब हमारा
बचपन ग़ुम नहीं होता दर्शन जी पहले हमारे अपने बच्चों के फिर बच्चों के बच्चों के रूप में हमेशा हमारे सामने खिलखिलाता रहता है, सही कहा ना ... सुन्दर सी रचना के लिए आपका आभार... :)
ateet ki yadon se ghiri bahut sunder rachna ....
आपके ब्लॉग जैसा सुन्दर प्रस्तुतीकरण और कहीं नहीं दीखता...शब्द और भाव के साथ आप जो चित्र लगाती हैं वो अद्भुत होते हैं...ये सच है के बचपन का वो समय वो लटके झटके अब हमारे साथ नहीं रहे लेकिन ये ही सब कुछ करने के लिए अब नयी पीढ़ी मैदान में आ गयी है...ये खेल यूँ ही चलता रहता है कभी रुकता नहीं सिर्फ खिलाडी बदल जाते हैं...ये ही प्रकृति का नियम है...
नीरज
ज़िंदगी के उतार चढ़ाव जैसे हम से हमारा यह सब कुछ छीन से लेते है और बाकी रह जाती है सिर्फ यादें आपकी इस रचना ने कॉलेज के दिन याद दिला दिये... दी छु गई आपकी यह रचना आभार ...
सुनहरी यादें ।
इनकी मिठास का ही मज़ा लेते रहें ।
बचपन कि उन सारी खट्टी - मिठी यादो को बहूत खुबसुरती से व्यक्त किया है
हमे भी अपना बचपन याद आ गाय
बेहतरीन मनभावन अभिव्यक्ती
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ ...
बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
बचपन की यादें खूबसूरत होती है..भावपूर्ण रचना..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
जाने कहाँ गए वे दिन...
खूबसूरत प्रस्तुति.
आप भी न जाने कौन से ज़माने की बात ले बैठीं ... उस उम्र में यूँ ही बात बेबात पर हंसी और खिलखिलाना होता है ..आज जिम्मेदारी के बोझ तले बस यादें हैं जिसमे वो पल जी लेते हैं .. सुन्दर प्रस्तुति
कहाँ गुम हो गया
.जो बीत गया है वो गुजर क्यूँ नहीं जाता..........
भीगी सी कविता है पर कुछ भी भूलना ?
आपकी यादें आपके भाव बेमिशाल हैं.
सच में,कलम की जादूगरी है आपमें.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
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