मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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गुरुवार, 30 जून 2011

बड़े.....अच्छे लगते है .....

   






" बड़े...अच्छे लगते है ...
ये धरती..ये नदियाँ ..ये रैना ..और तुम ...?"




******************************************************************


पर 'तुम' की परिभाषा मेरी निगाहों में जरा भिन्न है :--  


"तुम वो हो जिससे मैं प्यार करती हूँ 
तुम वो हो जिसे मैं पसंद करती हूँ 
तुम वो हो जिसको मैं दिलो -जान से चाहती हूँ 
तुम वो हो जिसको मैं सपनो में देखती हूँ 
तुम वो हो जिसके ख्यालो में, मै मग्न रहती हूँ 
तुम वो हो जिसको में दिल से महसूस करती हूँ  
तुम वो हो जिससे मैं तन्हाईयो में बातें करती हूँ "






  पर तुम मुझे नही जानते..?
     और न ही मुझे पहचानते...??? 
तुम वो हो जो मुझसे प्यार नही करते ?
तुम वो हो जो मेरे सपने नही देखते ?
तुम वो हो जो मेरे ख्यालो को नही बुनते ? 
तुम वो हो जो मुझसे बातें नही करते ?







यह मै जानती हूँ ?
" काश,तुम मुझको जानते ? 
काश , तुम मुझसे प्यार करते ?
काश , तुम मेरा ख्याल अपने दिल में रखते ?
काश ,तुम मुझको दिल से महसूस करते ?
काश ,तुम मेरे होकर रहते  ?
काश ,तुम मेरी चाहत में गिरफ्त होते ?
काश, तुम मुझसे तन्हाईयो में बातें करते ...?"




 अगर ऐसा होता तो !!!!
" पतझड़ को मधुमास बनाती ,
सूने वीराने में गाती !
स्वर्ग ह्दय से दूर कहाँ था ,
जो तेरा आश्रय पा जाती !
हंसती तो खिल जाती कलियाँ ,
पग -पग पर झड़ती फुलझड़ियाँ !
ये उदास अनजानी राहे ,
बन जाती वृन्दावन गलियाँ !
मिल जाती मंजिल बांहों में ,
 घुल जाता अमृत चाहो में ,
हो जाता हर समय सुहाना ,
साथ तुम्हारा जो पा जाती !
एक नया संसार सजाती .
एक नया इतिहास रचाती !
उदाहरण  बन जाता मेरा जीवन ,
जो तेरा सहचर्य पा जाती ! "






काश ,तेरी प्रीत जो पा जाती ?
जीवन में खुशियाँ छा जाती ? 
  
मुस्कुराती हर सुबह सुहानी !
दूर हो जाती हर जगह वीरानी !  





सोमवार, 27 जून 2011

मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में ( 3 )





" ये है बाम्बे मेरी जान " 

(यह है शिव पार्वती) 


मै अपनी कुछ सहेलियों के साथ एलिफेंटा केव्ज़ आई हूँ --गेट वे आफ इंडिया से फेरी द्वारा हम एलिफेंटा पहुंचे ...अब आगे ...

 मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में भाग ( 2 )पढने के लिए यहाँ क्लिक करे 



( फेरी से निकलती भीड़ )


हम सब चल दिए --सीडियों की तरफ --ऊपर जाने के लिए काफी सीडियां थी --सीडियों के दोनों तरफ 
दुकाने सजी हुई थी --सीपियो की कलात्मक चीजे,शंक ,कोड़ियांऔर सजावटी सामान से दुकाने भरी पड़ी थी --  

( पीछे से सीडियों का द्रश्य )



(आगे का रास्ता )


( कलात्मक चीजे और पत्थर की मालाए )


( सुंदर सजावटी हाथी )




(इनका भी बोल बाला था यहाँ )


( यहाँ हमने १० रु. का टिकिट खरीदा )


यहाँ विदेशियों को २५० रु. का टिकिट लगता है --यहाँ काफी मात्रा में विदेशी पर्यटक दिखाई दे रहे थे !




इतिहास :--



एलिफेण्टा भारत में मुम्बई के गेट वे आफ इण्डिया से लगभग १२ किलोमीटर दूर स्थित एक स्थल है जो अपनी कलात्मक गुफ़ाओं के कारण प्रसिद्ध है। यहाँ कुल सात गुफाएँ हैं। मुख्य गुफा में २६ स्तंभ हैं, जिसमें शिव को कई रूपों में उकेरा गया हैं। पहाड़ियों को काटकर बनाई गई ये मूर्तियाँ दक्षिण भारतीय मूर्तिकला से प्रेरित है। इसका ऐतिहासिक नाम घारपुरी है। यह नाम मूल नाम अग्रहारपुरी से निकला हुआ है। एलिफेंटा नाम पुर्तगालियों द्वारा यहाँ पर बने पत्थर के हाथी के कारण दिया गया था। यहाँ हिन्दू धर्म के अनेक देवी देवताओं कि मूर्तियाँ हैं। ये मंदिर पहाड़ियों को काटकर बनाये गए हैं। यहाँ भगवान शंकर की नौ बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ हैं जो शंकर जी के विभिन्न रूपों तथा क्रियाओं को दिखाती हैं। इनमें शिव की त्रिमूर्ति प्रतिमा सबसे आकर्षक है। यह मूर्ति २३ या २४ फीट लम्बी तथा १७ फीट ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शंकर के तीन रूपों का चित्रण किया गया है। इस मूर्ति में शंकर भगवान के मुख पर अपूर्व गम्भीरता दिखती है।
दूसरी मूर्ति शिव के पंचमुखी परमेश्वर रूप की है जिसमें शांति तथा सौम्यता का राज्य है। एक अन्य मूर्ति शंकर जी के अर्धनारीश्वर रूप की है जिसमें दर्शन तथा कला का सुन्दर समन्वय किया गया है। इस प्रतिमा में पुरुष तथा प्रकृति की दो महान शक्तियों को मिला दिया गया है। इसमें शंकर तनकर खड़े दिखाये गये हैं तथा उनका हाथ अभय मुद्रा में दिखाया गया है। उनकी जटा से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिधारा बहती हुई चित्रित की गई है। एक मूर्ति सदाशिव की चौमुखी में गोलाकार है। यहाँ पर शिव के भैरव रूप का भी सुन्दर चित्रण किया गया है तथा तांडव नृत्य की मुद्रा में भी शिव भगवान को दिखाया गया है। इस दृश्य में गति एवं अभिनय है। इसी कारण अनेक लोगों के विचार से एलिफेण्टा की मूर्तियाँ सबसे अच्छी तथा विशिष्ट मानी गई हैं। यहाँ पर शिव एवं पार्वती के विवाह का भी सुन्दर चित्रण किया गया है।  १९८७ में यूनेस्को द्वारा एलीफेंटा गुफ़ाओं को विश्व धरोहर घोषित किया गया है।
यह पाषाण-शिल्पित मंदिर समूह लगभग ६,००० वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला है, जिसमें मुख्य कक्ष, दो पार्श्व कक्ष, प्रांगण व दो गौण मंदिर हैं। इन भव्य गुफाओं में सुंदर उभाराकृतियां, शिल्पाकृतियां हैं व साथ ही हिन्दू भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी है। ये गुफाएँ ठोस पाषाण से काट कर बनायी गई हैं। यह गुफाएं नौंवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक केसिल्हारा वंश (८१००१२६०) के राजाओं द्वारा निर्मित बतायीं जातीं हैं। कई शिल्पाकृतियां मान्यखेत के राष्ट्रकूट वंश द्वारा बनवायीं हुई हैं। (वर्तमान कर्नाटक में)।


( यह है गुफा का प्रवेश द्वार ~`गूगल से )


और वो रही गुफ़ाए--जो काफी टूटी फूटी हालत में थी चलिए देखते है :---


( यह है हमारी पूरी टीम ,पीछे गुफा का द्वार )


( शिव की नटराज नृत्य मुद्रा अंदर का द्रश्य   )


( शिव का अर्ध नारीश्वर रूप )  
( दो द्वारपाल भग्न अवस्था मै ) 


(शिव का नुत्य ) 


( थोडा सुस्ता लूँ ~~~गर्मी बहुत हैं  ) 
( शिव की एक टांग ही नदारथ है ~~~शिव पार्वती की शादी )  


( द्वारपाल )


( शिव का रोध्र रूप--कहते है रावण को अपने पैरो तले कुचला था शिव ने   ) 


( पीछे शिव की शादी का द्रश्य )


( भग्न अवशेष) 


( एक अन्य  गुफा )
(रुकमा,मै ,नन्दू उसका भाई और उसकी पत्नी ) 


( मेरी बचपन की सहेली रुकमनी और मै आज का फोटो )


( रुकमा और मेरा सन १९७६ का फोटो )
" ये दोस्ती हम नही तोड़ेगे "


मस्ती ही मस्ती ~~~~बल्ले -बल्ले ..


और अब वापसी ~~~आ अब लोट चले ....


( बाय -बाय ~~~~~फिर मिलेंगे ) 


( दूर दिखाई दे रहा है मुम्बई का गोंरव )   


( वापसी तट पर )


गेट -वे -आफ -इण्डिया के सामने का बगीचा 'जो काफी छोटा कर दिया है !




अगली कड़ी जुहू बीच  की  जल्दी ही --

गुरुवार, 23 जून 2011

जब इश्क तुम्हे हो जाएगा ..!






इस दिल की लगी को तुम तब पहचानोगे ?
जब ' इश्क 'तुम्हे हो जाएगा 
तुम मेरी तरह बन जाओगे 
जब प्यार का बादल बरसेगा 
तुम मेरी तरह तर जाओगे 
    जब इश्क तुम्हे हो जाएगा ..! 
  तुम मेरी तरह बन जाओगे ..!




जब किरणों में ठंडक होगी !
जब भंवरो में गुंजन होगी !
जब फूलो पे बहारे होगी !
जब नदियो में लहरे होगी !
तब इश्क तुम्हे हो जाएगा ! 
तुम मेरी तरह बन जाओगे ! 




तुम बादल बन जाना --
मैं मेधा बन बरसुंगी --
तुम पवन बन जाना --
मैं झोंका बन जाउंगी --
तुम मोसम बन जाना --
मैं ऋतू बन आउंगी --
तुम मयूर बन जाना --
मैं कोयल बन गाऊँगी --
तुम सागर बन जाना --
मैं नदी बन मिल जाउंगी --
तुम याद बन जाना --
मैं सीने से लग जाउंगी --
जब तुम्हे इश्क हो जाएगा 
तुम मेरी तरह बन जाओगे !
     





वो इश्क जो दुनिया को भुला दे !
वो इश्क जो नहरों को खुदवा दे !
वो इश्क जो पहाडो को कटवा दे ! 
वो  इश्क जो फूलो को खिला दे ! 
वो इश्क  जो खुदा से मिला दे !
जब इ श्क तुम्हे हो जाएगा !
तुम मेरी तरह बन जाओगे ! 




इस दिल की लगी को तुम तब पहचानोगे 
जब इश्क तुम्हे हो जाएगा  !
तुम मेरी तरह बन जाओगे ...! 





शनिवार, 11 जून 2011

मुम्बई की सैर :--मेरी नजर में ( 2 )


 " ये है बाम्बे मेरी जान " 

 गेट -वे -आफ-इंडिया  

( चलिए आज आपको मैं एलिफेंटा की गुफाओं की सैर करवाती हूँ )


२9 मई 2011दिन -रविवार :---

मेरी सहेली रुकमा अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ मुम्बई शादी में  आई हैं --मुझे उन सब को घुमाना है हम कुल १२लोग है ..कल हमने एलिफेंटा -केव्ज़  देखने का प्रोग्राम बनाया ...

मै सुबह ७ बजे की लोकल वसई से पकड़कर चर्चगेट पंहुंची --डेढ़ घंटे में, मैं चर्चगेट पहुंच गई ..वो लोग अँधेरी से बैठे  --हमे चर्चगेट मिलना था --सबसे पहले हम लोग मरीन ड्राइव पर घुमने पहुंचे ..सुबह का  खुश गवार मंजर था ----शांति थी-- सन्डे होने के  कारण  मरीन ड्राईव सुनसान थी वहां  की ठंडी हवा हमे मदहोश कर रही थी --बच्चो ने जिद पकड़ ली की हमे 'मुन्ना भाई वाली 'लोकेशन दिखाओ --ठीक है तो चलिए आप भी देखे :---



(मुन्ना भाई वाली लोकेशन ~~~~बच्चे खुश ..) 


( इतना मत हंस यार ..पत्थर तिडक जाएगे  ) 


(मरीन  ड्राईव पर पड़े सीमेंट के पत्थर )  




(रुकमा और शेलु )

( स्तुति रुकमा की भतीजी )

यहाँ से हम सीधे गेटवे आफ इंडिया पहुंचे ...


( यह है होटल ताज महल पुराना )


( यह है होटल ताजमहल नया )
  
( मैं और आरुशी  )  


                 यहाँ से हमने फेरी ली , फेरी यानी मोटर बोट ..किराया --१३० रु एक व्यक्ति का !यहाँ से एक घंटे मै हम एलिफेंटा केव्ज़ पहुंचेगे ...हम सब फेरी मे चल दिए ..मै खुद पहली बार वहाँ जा रही थी ..


(  टिकट -खिड़की )

( यह है फेरी यानी मोटर बोट )


(  विशाल ~~~~~~अरब सागर ) 

(  दूर होता~~~` ताजमहल होटल )

(मेरे साथ का महिला वर्ग )


( शेलु, रुकमा और मैं =मस्ती भरा है शमा ...) 


( रास्ते मे खड़े बड़े -बड़े जहाज )



(यह तो केमरे में ही नही आ रहा ...इता बड़ा ...) 


(दो फोटू लगा देती हूँ ~~~तेल से भरा जहाज )


( एक और तेल वाहक जहाज )



(जहाज और फेरी ~~~~~वाह ! ) 


( नाश्ते का दोर~~~ चल रहा है ) 


(आखिर बैठने की जगह मिल ही गई )


(यहाँ भी नाश्ता चल रहा है )



( एक घंटे का कुछ -कुछ  उबाऊ सफर )



(आखिर मंजिल नजदीक आ ही गई )


(वो ~~~~रहा दिव्प-समूह )  
  

( पहुंच~~~~~~~~~~~~~गए जी )




(फेरी से उतर कर चल पड़े मिनी ट्रेन के पास )

(स्तुति और मैं ~~~`मिनी ट्रेन में )


( स्तुती मिनी ट्रेन के पास )


(रास्ते की सुंदर~~द्रस्यावली )


(ब्रह्मा, विष्णु और महेश )


(खूबसुरत शमां ~~~~~~~और कहाँ ~`यहाँ ,यहाँ,यहाँ ..)



(जिन्दगी एक सफर है सुहाना ......)

छोटी -सी मिनी ट्रेन में जिसका किराया था १० रु हम आराम से गेट तक पहुंच गए ..यहाँ से आगे का सफर शुरू होता है --यहाँ भी 5 रु.इंट्री फ़ीस अब , यानी उपर जाने के लिए सीडियां ...अरे बाप से .....    



(उपर जाने का मार्ग )


 शेष  अगली किस्त मे ~~~~~~~~~~~मिलते है !!! 


जारी --------