मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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गुरुवार, 18 जून 2020

मेरी मुरुदेश्वर यात्रा भाग 5


               मेरी मुरुदेश्वर यात्रा 


#भोले_बाबा_के_संग
#मेरा_ड्रीम_डेस्टिनेशन।
#श्री_मेरूदेश्वर_कर्नाटक)
#भाग = 5

31/10/19

परसों पनवेल से 12:50 को नेत्रावती एक्सप्रेस पकड़कर हम कोंकण रेल्वे की सुंदरता निहारते हुए,रात 3 बजे कर्नाटक के तीर्थस्थल मुरूदेश्वर के छोटे से स्टेशन पर उतरे...रात को आराम से होटल में बीती ओर सुबह हमने पूरा दिन मुरूदेश्वर मन्दिर में गुजारा।
अब आगे----

सुबह 7 बजे ही मेरी नींद खुल गई... सबसे पहले भागकर खिड़की में देखा कि बारिश तो नही हो रही है वरना आज का सारा प्रोग्राम चौपट ...

बाहर आकाश एकदम साफ था और सूरज चाचा हंस हंस कर अपनी किरणों को धरती पर भेज रहे थे,साथ ही चिल्ला भी रहे थे कि यहां क्यों खड़ी हो, भागों यहां से😀😀😀

इधर मेरा मन भी बिल्लियों उछल रहा था क्योंकि आज तूफान की चेतावनी के बावजूद एक भी बादल इधर नही भटक रहा था।

मैंने फटाफट इनको उठाया और ठीक 8:00 बजे हम लिफ्ट से नीचे उतरकर सामने वाले रेस्टोरेंट में बैठे इडलियां खा रहै थे।

तभी ड्राइवर रंजन का फोन आ गया कि मैडम में होटल पहुंच गया हूँ,आप तैयार है?

 बिल्कुल हम रेडी थे फिर 8:30 को  हम रेस्टोरेंट से निकलकर कार में बैठ गए...

ये टैक्सी हमने कल की थी 3300 में, पहले ये 3500 बोल रहा था बड़ी मुश्किल से इसने 200 रु कम किये वैसे ये ही नही हमने ओर भी लोगों से बात की जैसे होटल वाले से,ऑटो वाले से सभी ने हमको 3500 सो ही बोला हमारे 3000 बोलने पर किसी ने हामी नहीं भरी इसलिए मजबूरन हमको इसी टैक्सी से बात पक्की करनी पड़ी... वैसे हमारा आज का टर्न भी काफी लंबा चौडा था हमको गोकर्ण जाकर जोक फॉल भी जाना था । मुरूदेश्वर से गोकर्ण 70 km फिर मुरूदेश्वर रिटर्न ओर फिर उसके आगे जोक फॉल वो भी 70 km! इसतरह हमारा टैक्सी का किराया ज्यादा हुआ वरना तो टैक्सी वाले सिर्फ होणावर टेम्पल ओर गोकर्ण के 2500 हजार ले रहे थे या होणावर टेम्पल और जोक फॉल के भी 2500 मांग रहे थे ...इसतरह तो 5000 हजार होते लेकिन हमारा 3300 में मामला प्रतीक ने डन करवा दिया और अब हमारी कार #इडगुंजी विनायक टेम्पल की ओर भागे जा रहे थी..।

ये मन्दिर एक छोटे से गांव होनावर  (Honnavar) में स्थित था

800 साल पुराना श्री गणेशजी को समर्पित ये मन्दिर काफी पुराना है,यहां भगवान गणेश की काले पत्थर से बनी खड़ी प्रतिमा है मन्दिर के अंदर फोटू खींचना मना था इसलिए बाहर के फोटू लेकर ही संतोष करना पड़ा।

मन्दिर का बाहरी हिस्सा काफी चटक रंगों से पुता हुआ था.. जैसा कि अक्सर दक्षिण भारत के मन्दिर होते है ऊपर की ओर दीवार ओर छत पर  भगवान की विभिन्न मुद्राओं की मूर्तियां लगी हुई थी..।

कुछ देर यहां रुककर हम आगे चल पड़े। इसी एरिये में हमारा दूसरा मन्दिर था... ये भगवान शिव का मन्दिर था।

इस मन्दिर को #गुनावन्तेश्वर टेम्पल कहते है यह भगवान शिव का अति पौराणिक मन्दिर है ...

ये मन्दिर भी होणावर में ही स्थित है मन्दिर काफी पुराना है यहां मेरी नजर एक बैल पर पड़ी जो रस्सी से बंधा हुआ था लेकिन सीढ़ियों पर ऐसे खड़ा था मानो उसको भगवान शिव ने दण्ड दिया हो .. मतलब जरा भी हिल नही रहा था😀



कर्नाटक के सभी मन्दिर काफी बड़े बड़े है ओर पत्थर के बने है...लेकिन मूर्तियां काफी छोटी है और ज्यादातर मूर्तियां सोने की है और मन्दिर के दरवाजे चांदी के बने है...

भगवान शिव को समर्पित ये मन्दिर भी काफी अच्छा बना हुआ था इसके नजदीक एक छोटा सा तालाब भी था...चारों ओर नारियल व सुपारी के लंबे लंबे पेड़ से घिरा ये खूबसूरत मन्दिर मुझे बहुत अच्छा लगा... आसपास झोपड़ीनुमा मकान काफी खूबसूरत और कलात्मक लग रहे थे।

हमारा ड्राइवर रंजन बड़ा ही अच्छा लड़का था उसको हिंदी भी समझ आ रही थी और वो मुझको सभी स्थानों के बारे में बता रहा था वरना तो यहां घूमना घाटे का सौदा होता है क्योंकि न हम उनकी भाषा समझ सकते है और न वो लोग हमारी हिंदी समझते है... उस पर उनकी जलेबियों वाली लिपि से तो भगवान बचाये😀

अब हम तीसरे मन्दिर को जा रहे थे...

#धारदेव यानी धारेश्वर मन्दिर ! ये मन्दिर भी पौराणिक मन्दिर है जब रावण शिव जी का आत्मलिंग लेकर लंका जा रहा था तो उस आत्मलिंग से लिपटा कपड़ा उड़कर जहाँ गिरा था वो स्थान  पर मुरूदेश्वर मन्दिर बना ओर उस कपड़े पर लिपटा धागा इस स्थान पर गिरा जहां धारदेव मन्दिर आज स्थित है... यहां के शिवलिंग पर पूरे साल में दो बार ही अभिषेक होता है एक बार सावन के महीने में ओर दूसरी बार शिवरात्रि पर  बाकी दिन श्रद्धालुओं को मन्दिर में प्रवेश करने की अनुमति नही है।

इस मंदिर के परिसर में भी एक बड़ा सा तालाब था।

ये सभी मन्दिर रोड पर ही स्थित है ।आप कार से आराम से जाकर दर्शनों का लाभ उठा सकते हो।

अब हम फिर अपने शाही खटोले में बैठ आगे गोकर्ण की तरफ चल दिये..

क्रमसः----






                 इडगूंजी विनायाक टेम्पल

 

                   गुनावन्त् र टेम्पल

 
                 धारनाथ देव टेम्पल


  

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