मेरी मुरुदेश्वर यात्रा ★ भाग 2
भोले बाबा के संग
मेरा ड्रीम डेस्टिनेशन।
श्री मेरूदेश्वर( कर्नाटक)
भाग =2
कल पनवेल से 12:50 को नेत्रावती एक्सप्रेस पकड़कर हम कोंकण रेल्वे की सुंदरता निहारते हुए,रात 3 बजे कर्नाटक के तीर्थस्थल मेरूदेश्वर के छोटे से स्टेशन पर उतरे...अब आगे--
सुबह 8 बजे हम सोकर उठे...चाय पीकर फ्रेश होकर हम होटल के दूसरे माले से लिफ्ट द्वारा नीचे उतरे ... होटल की छोटी सी कांच की बनी लिफ्ट देखने काबिल थी....इस होटल में नान Ac कमरे के हमने 999 रु चुकाए हैं... यहां काफी ठंडा मौसम हैं ओर सुहावना भी हैं ..आने से पहले पता चला था कि यहां 2 दिन पहले ही तूफान होकर गुजरा हैं लेकिन अब मौसम साफ था पर तूफान के कारण ठंडक बनी हुई थी।
मस्त इडली सांभर का नाश्ता कर के ऑटो से हम शिव मंदिर की तरफ चल पड़े... ऑटो वाले ने हम दोनों के 30 रु लिए ओर टूटी फूटी सड़क के गढ्डों से बचाता हुआ हमको मन्दिर के भव्य गेट के पास छोड़ गया...
दूर से मन्दिर का भव्य गेट दिखाई दे रहा था जिसे दक्षिण भारतीय लोग गोपुर कहते है... यह गोपुरा 20 माले का 249 फिट का दुनिया का सबसे बड़ा गोपुरा कहलाता हैं और इसके टॉप फ़्लोर की खिड़की से विशाल शिव प्रतिमा देखने लायक होती हैं ...
इस लिफ्ट का टिकिट 10 रु हैं जो सुबह 8 बजे से 12 बजे तक मिलता हैं...दोपहर ओर शाम को ये लिफ्ट बन्द रहती हैं...
हमने 20 रु के 2 टिकिट खरीदे ओर लिफ्ट से टॉप फ्लोर पर पहुंच गए।
वाकई में मेरे सामने भगवान शिव की 123 फिट ऊंची विशालकाय प्रतिमा दिख रही थी...तीनों ओर अरब सागर ढहाके मार रहा था और शिव प्रतिमा सूरज के प्रकाश में आलौकिक छटा बिखेर रही थी।
मैंने टॉप फ़्लोर की खिड़की से जो नजारा देखा वो आलौकिक था...
सुधबुध खोकर मैं अपने पूज्य शिव की प्रतिमा में खो-सी गई..जब होश आया तो अपने मोबाइल से ऑन लाईन वीडियों द्वारा इस आलौकिक मूर्ति के दर्शन अपने बच्चों को भी करवाये...
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