मेरी मुुरूदेश्वर यात्रा
#भोले_बाबा_के_संग
#मेरा_ड्रीम_डेस्टिनेशन।
#श्री_मुुरूदेश्वर_कर्नाटक)
#भाग =4
30 /10/19
हम थोड़ा आराम कर के 4 बजे तैयार हो वापस मन्दिर को चल दिये...
#मेरा_ड्रीम_डेस्टिनेशन।
#श्री_मुुरूदेश्वर_कर्नाटक)
#भाग =4
30 /10/19
हम थोड़ा आराम कर के 4 बजे तैयार हो वापस मन्दिर को चल दिये...
ऑटो वाले को रोका ओर 30 रु में मन्दिर पहुंच गए।
पहले समुन्द्र किनारे गए और लहरों से खूबअठखेलिया की; फिर लहरों के साथ भागदौड़ की, ठंडी ठंडी हवा बालों को चेहरे पर बिखेर रही थी और दूर शिवशंकर भोलेनाथ की विशाल प्रतिमा सूरज की अंतिम गिर रही किरणों से चमक रही थी।
शाम का डूबता हुआ लाल सूरज देखते ही बनता था उसका आकर्षण देखने काबिल था, लहरों पर खूनी रंग मोहिकता की छबि बिखेर रहा था... धीरे धीरे सूरज के डूबने के साथ ही अंधकार अपने पैर पसारने लगा ये आलौकिक शमा आंखों में कैद कर के हम वापस मन्दिर के पास आ गए...अब हमको चाय की तलब परेशान करने लगी तो मन्दिर के पास ही कामथ रेस्तरां में चाय पीने चल दिये... वहां हल्की भूख भी लग आई थी तो हमने वहां पर ओनियन का उतपमा मंगवाया जो बहुत ही टेस्टी था...चाय पीकर हम वापस मन्दिर जाने लगे तभी मेरी निगाह एक ट्रेवल्स एजेन्सीज पर पड़ी उसके नजदीक गए और मेरूदेश्वर के सभी दार्शनिक स्थल देखने के लिए एक कार 3350 रु मे बुक की...
उसको अपनी होटल का एड्रेस बताकर हम मन्दिर में आगे बढ़ गए...सारा मन्दिर जगमगा रहा था और गोपुरा के पास ही कन्नड़ भाषा का कोई मधुर भजन बज रहा था जो समझ तो नही आ रहा था लेकिन कर्णप्रिय था ओर मुझे काफी अच्छा भी लग रहा था।
काफी देर हम उस भक्तिमय माहौल में डूबे रहे फिर भगवान शिव की प्रतिमा को अंतिम प्रणाम कर हम ऑटो करके अपने होटल वापस लौट आये।
कल हमको अन्य स्थल देखने जल्दी उठना था...
क्रमसः...
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