मेरे अरमान.. मेरे सपने..


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शुक्रवार, 4 जुलाई 2014

पुनर्जनम या चमत्कार


पुनर्जनम या चमत्कार  

'ईश्वर' नाम एक अज्ञात शक्ति का है --जिसे न हम  देख सकते है ? न स्पर्श कर सकते है ? सिर्फ महसूस कर सकते है -मन में विश्वास का दूसरा नाम ही ईश्वर है -- 






इस घटना के बाद मुझे ईश्वर और उसकी शख्सियत के लिए नतमस्तक होना पड़ा ...

यह घटना कोटा (राजस्थान ) की है ---

यहाँ मेरा ससुराल है ..कोटा शहर अपनी कोटा साडी के लिए मशहूर है आजकल यह कोचिंग का गढ़ बन गया है -- यहाँ कोचिंग के लिए दूर -दूर से विधार्थी आते है --यहाँ बहुत मात्रा में कोटा स्टोन भी पाया जाता है । यहाँ  'दाढ़ देवी' नाम की बहुत प्रसिध्य  देवी का मंदिर है  । जिस पर  हर साल मेला  भी लगता है ।  यह देवी बच्चो की मन्नत के लिए बहुत प्रसिध्य है । लोग -बाग़  बच्चे के मिलने के बाद देवी को खुश करने के लिए बकरे की बलि तक देते है ।मैंने खुद अपने बेटे के होने की ख़ुशी में यहाँ बकरा चढाया था --  
   
१९९० की बात है ..होली का दिन था ..सबलोग होली खेलकर अपने -अपने घर जा चुके थे ..मेरे देवर (निर्मलसिंह } और उनके २ दोस्त (जगेश और पप्पू ) शराब के नशे में चूर थे .. वैसे भी  देवर के घर नया -नया लड़के का जनम हुआ था ...इसलिए ख़ुशी जरा तगड़ी ही थी ...तीनो ने माता दाढ़देवी के यहाँ जाने का प्लान बनाया ..और चल दिए अपने स्कूटर पर ...दाढ़देवी का एक रास्ता जंगल से और दूसरा रास्ता नहर से होकर जाता है ।कहते है ये नहर सीधे चंडीगढ़ गई है ,गहरी भी बहुत है -- नहर वाले रास्ते से तीनो मग्न होकर जा रहे थे की अचानक उनका स्कूटर किसी चीज़ से टकराया और तीनो स्कूटर समेत सीधे नहर में जा गिरे ,नहर काफी गहरी थी और पानी का बहाव भी तेज था  ...

तैरना तीनो को आता था ,पप्पू और जगेश तो तैरकर बाहर आ गए पर निर्मल का कोई पता नहीं था। जल्दी ही उस झील का चौकीदार भी दौड़कर आ गया और कई लोग आसपास के रुक गए ...दोनों दोस्त उसे पानी में जाकर दोबारा ढूंढ आये पर निर्मल का कोई पता नहीं चला ,चौकीदार बोला- " यहाँ जो डूब जाता है वो वापस नहीं आता  भईया"।       

दोनों दोस्त रोने लगे--करीब आधा घंटा निकल गया था की अचानक निर्मल का सर पानी में दिखा और वो आराम से तैरता हुआ बाहर आया । न उसके पेट में पानी था, न साँसों में पानी गया था।  हा, वो कुछ बौखलाया हुआ जरुर था ..। 

उसने बाद में हमें एक हैरत अंगेज़ वाकिया सुनाया जो आश्चर्य जनक था ----
"वो बोल-- "जब मैं पानी में  गिरा तो सीधे तलहठी में पहुँच गया ...धबरा कर ऊपर आने को जोर मारने लगा तो देखता  क्या हूँ  की कोई मेरी ही शक्ल का आदमी मेरे ऊपर लेटा हुआ हैं और तैर रहा है वो मुझे बड़े प्यार से देख रहा था उसके और मेरे  बीच जरा भी दुरी नहीं थी न पानी की एक बूंद थी ; मैं आराम से साँसे ले रहा था वो काफी देर तक मुझे देखता रहा और मुस्कुराता रहा फिर अचानक वो मुझे ऊपर तक खीँच लाया और मैं नहर के ऊपर आ गया; फिर आराम से तैरकर बाहर आ गया । "
हम सब आश्चर्यचिकित थे ????

इस धटना को आज कई साल गुजर चुके है ...पर ये वाकिया हम लोग भूल नहीं पाते है ....इस धटना को क्या कहे ? ईश्वर का चमत्कार या कुछ और ...???