* यात्रा जगन्नाथपुरी *
भाग --3
साक्षी गोपाल मंदिर
30 मार्च 2017
28 मार्च को मेरा जन्मदिन था और इसी दिन मैं अपनी सहेली और उसके परिवार के साथ जगन्नाथपुरी की यात्रा को निकल पड़ी |
सुबह हमने मंदिर के दर्शन किये ,खाना खाया और 3 बजे बाहर निकल गए अब आगे ----
मंदिर के दर्शन कर के हम बाहर निकले 3 ही बजे थे अब दोपहर को कहा जाये यही सोचने लगे क्योकि आसपास के मंदिर देखने का प्रोग्राम कल का था फिर दोपहर को सागर किनारे भी नहीं जा सकते थे और मंदिर पर ध्वज चढ़ाने का भी प्रोग्राम शाम 5 बजे का था तो क्या करे ???
मैंने कहा वापस रूम पर चलते है थोड़ा आराम करेंगे फिर 5 बजे मंदिर पर ध्वज देखेंगे और रात को समुंदर पर घूमेंगे पर किसी ने नहीं सुना इतने में पास खड़े ऑटो वाले ने हमारी बातें सुनी और बोला आपको आसपास के मंदिर घूमना है ? थोड़ा मोलभाव किया और 600 रु में वो हमको आसपास के मंदिर दिखाने लेकर चला दिया । ...
रास्ता बहुत ही सुहाना था सड़क भी एकदम मस्त बनी थी साईड में लहराते खेत और नारियल के पेड़ बहुत ही सुंदर लग रहे थे हरियाली की तो पूछो मत इतना पानी और हरियाली थी की लग ही नहीं रहा था की हम अप्रैल महीने में यहाँ आये है सबको लग रहा था मानो अभी अभी बारिश ख़त्म हुई है और ठंडी हवा के झोके मानो हमको सलामी दे रहे थे ऑटो में जरा भी परेशानी नहीं हो रही थी और रस्ते में नारियल वालो के ठेले हमको लुभा रहे थे बहुत ही सस्ते नारियल थे मेरे बॉम्बे से भी सस्ते हम कही भी ऑटो रुकाकर नारियल पानी का स्वाद लेते थे फिर उसकी मलाई खाते थे |
पर इंसान यहाँ के हमको पसंद नहीं आये सब लूटने के चक्कर में ही रहते थे अब इस ऑटो वाले को ही देखो इसने झूठ बोलै था की 25 km जाना है कुल 50 km हुआ जबकि 18 km ही मंदिर था बाकि तो सारे मंदिर पास ही थे खेर,धार्मिक स्थानों पर तो ये सब होता ही है |
1 . नरेंदर सरोवर मंदिर ;--
सबसे पहले वो जिस मंदिर में ले गया उसका नाम था नरेंद्र सरोवर मंदिर |
यहाँ पूरी शहर का सबसे बड़ा तालाब है यहाँ हर साल भगवान की चंदन यात्रा मनाई जाती है गर्मियां होने से इसका बहुत महत्व है यहाँ भगवान रथयात्रा निकासी के दौरान जब वापस पूरी आते है तब नाव से खेकर नौका -लीला करते है | फूलों और फलों से बहुत सुंदर नौका का श्रृंगार होता है , दो नाव सजती है एक में भगवान जगन्नाथ और स दूसरे में भगवान राम होते है। .. यह भगवान राम का मंदिर है यहाँ भी मंदिर दर्शन के 5 रु प्रति व्यक्ति टिकिट था |
2 . साक्षी गोपाल मंदिर ;---
मंदिर की कथा ;-- ''कहते है जब तक आप साक्षी गोपाल मंदिर के दर्शन न कर लो आपकी जगन्नाथ पूरी यात्रा अधूरी मानी जाती है पूरी से इस मंदिर की दुरी महज 18 किलो मीटर है यहाँ एक तालाब भी है जिसमे स्नान किया जाता है कहते है की एक बार एक अमीर ब्राह्मण अकेला यात्रा को निकला उसके साथ एक गरीब युवा ब्राह्मण भी था जिसने उस ब्राह्मण की तन मन से सेवा की बृंदावन पहुँचने पर वृद्ध ब्राह्मण ने उस निर्धन ब्राह्मण को बोला--''घर लौटकर मैं अपनी बेटी का विवाह तुमसे सम्पन्न करुँगा '' लेकिन बूढ़े ब्राह्मण के पुत्रो ने मना कर दिया और बोला-- 'आपने किस के सामने यह बात बोली थी'-- तब बूढ़े ने गोपाल का नाम लिया पुत्रो ने बोला की 'यदि वो साक्षी दे तो हम विवाह सम्पन्न कर सकते है '-- तब वो निर्धन ब्राह्मण वृंदावन गया और रो रोकर कृष्ण को सारी बाते बताई और साक्षी के लिए चलने को बोला भगवान के कहा --'ठीक है पर तुम आगे आगे चलो मैं पीछे पीछे चलता हूँ किन्तु तुम जहाँ भी रुक गए मैं वही रुक जाऊँगा ' | अब निर्धन आगे आगे चलता रहा और भगवान के घुंघरुओं की आवाज़ पीछे पीछे आती रही ,एक जगह जब समुन्द्र की रेत के कारण घुंघरुओं की आवाज़ बंद हो गई तो निर्धन ब्राह्मण रुक गया और पीछे मुड़कर देखने लगा भगवान वही स्थापित हो गए ब्राह्मण का काम भी हो गया था | भगवान को साक्षी देने यहाँ तक आना पड़ा इसलिए ये मंदिर साक्षी गोपाल कहलाया |
बाद में कटक नरेश ने भगवान गोपाल की मूर्ति उठाकर मंदिर में स्थापित की यहाँ राधारानी का भी मंदिर है |
3 . गुंदीचा मंदिर
इस मंदिर तक भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आती है यह मंदिर जनकपुरी के नाम से भी जाना जाता है क्योकि पौराणिक कथाओ के अनुसार इंद्रधुमन राजा के कई बलिदानो के स्वरूप भगवान ने अपने भाई और बहन के साथ उनको दर्शन दिए थे इसलिए रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ यहाँ 9 दिन गुजारते है और वापस अपने धाम जाते है इसको भगवान का ननिहाल भी कहा जाता है और मौसी का घर भी .....
यहाँ हमको एक नन्ही सी ठिगनी मौसी भी मिली |
4 . बेड़ी हनुमान मंदिर
यह मंदिर हनुमानजी का है इसको बेड़िया हनुमान जी इसलिए कहते है क्योकि इसकी भी एक रोचक कहानी है ;-- उड़ीसा का यह समुन्द्र तट बहुत ही प्रचंड माना जाता है और इसका पानी हमेशा मंदिर के किनारे बने जगन्नाथ मंदिर में घुस जाता था तो भगवान ने हनुमान जी को आदेश दिया की वो इन प्रचंड लहरों को रोक कर रखे और मंदिर की रक्षा करे ताकि मंदिर में इसका जल प्रवेश न कर सके ,परन्तु हनुमान जी हमेशा ये कार्य छोड़कर अयोध्या भाग जाते थे इसलिए भगवान ने उनको बेड़ियों में जकड़ दिया तभी से इस मंदिर को बेड़िया हनुमान मंदिर कहा जाता है | यह पूरी के मंदिर से पश्चिमी छोर पर बना है |
हर मंदिर में 5 रु टिकिट थे हम बहुत परेशां हो गए फिर हर मंदिर में जुते उतारकर जाना मेरे लिए बड़ा कष्टकारी था खेर, अब हम अपने रूम में आ गए और थोड़ा आराम कर शाम को समुन्द्र की और निकल पड़े ....
शाम का मौसम सुहाना था 70 रु देकर हम समुन्द्र किनारे चले गए ,काफी भीड़ थी लोग आपस में मस्ती कर रहे थे कुछ लोग पानी की लहरों से खेल रहे थे ,ऐसा लग रहा था मानो जुहू बीच पर आ गई हूँ लेकिन यहाँ का समुन्द्र सड़क के बहुत पास था जबकि हमारे बॉम्बे में शाम को समुन्द्र काफी दूर चला जाता है और दूर तक रेत का साम्राज्य रहता है और रेत भी इतनी नहीं होती ,यहाँ रेत में पैर गड़े जा रहे थे चलना भी मुश्किल हो रहा था। .. सब लोग समुन्द्र के पास कुर्सियों पर बैठे थे मैंने एक आदमी से पूछा की कितने की एक कुर्सी होगी तो वो बोला -- 20 रु में एक घंटा बैठने को मिलेगा ; मुझे समुन्द्र को देखने में कोई इंट्रेस नहीं था इसलिए मैं दुकानों की और मुड़ गई ,बहुत ही सुंदर मोतियों की मालाये मिल रही थी और बहुत ही सस्ते में ,मैंने कुछ गले की मोतियों की माला खरीदी | बाकि सीप की वस्तुएं तो बॉम्बे में भी मिलती है |
आठ बजे तक हम समुन्द्र किनारे घूमते रहे वही छुटपुट खाते रहे बहुत थक गए थे इसलिए दोबारा ऑटो किया और हमारे हॉलिडे गेस्टहाउस में लौट आये |
कल कोणार्क टेम्पल जायेगे ---
मंदिर के दर्शन कर के हम बाहर निकले 3 ही बजे थे अब दोपहर को कहा जाये यही सोचने लगे क्योकि आसपास के मंदिर देखने का प्रोग्राम कल का था फिर दोपहर को सागर किनारे भी नहीं जा सकते थे और मंदिर पर ध्वज चढ़ाने का भी प्रोग्राम शाम 5 बजे का था तो क्या करे ???
मैंने कहा वापस रूम पर चलते है थोड़ा आराम करेंगे फिर 5 बजे मंदिर पर ध्वज देखेंगे और रात को समुंदर पर घूमेंगे पर किसी ने नहीं सुना इतने में पास खड़े ऑटो वाले ने हमारी बातें सुनी और बोला आपको आसपास के मंदिर घूमना है ? थोड़ा मोलभाव किया और 600 रु में वो हमको आसपास के मंदिर दिखाने लेकर चला दिया । ...
रास्ता बहुत ही सुहाना था सड़क भी एकदम मस्त बनी थी साईड में लहराते खेत और नारियल के पेड़ बहुत ही सुंदर लग रहे थे हरियाली की तो पूछो मत इतना पानी और हरियाली थी की लग ही नहीं रहा था की हम अप्रैल महीने में यहाँ आये है सबको लग रहा था मानो अभी अभी बारिश ख़त्म हुई है और ठंडी हवा के झोके मानो हमको सलामी दे रहे थे ऑटो में जरा भी परेशानी नहीं हो रही थी और रस्ते में नारियल वालो के ठेले हमको लुभा रहे थे बहुत ही सस्ते नारियल थे मेरे बॉम्बे से भी सस्ते हम कही भी ऑटो रुकाकर नारियल पानी का स्वाद लेते थे फिर उसकी मलाई खाते थे |
पर इंसान यहाँ के हमको पसंद नहीं आये सब लूटने के चक्कर में ही रहते थे अब इस ऑटो वाले को ही देखो इसने झूठ बोलै था की 25 km जाना है कुल 50 km हुआ जबकि 18 km ही मंदिर था बाकि तो सारे मंदिर पास ही थे खेर,धार्मिक स्थानों पर तो ये सब होता ही है |
1 . नरेंदर सरोवर मंदिर ;--
सबसे पहले वो जिस मंदिर में ले गया उसका नाम था नरेंद्र सरोवर मंदिर |
यहाँ पूरी शहर का सबसे बड़ा तालाब है यहाँ हर साल भगवान की चंदन यात्रा मनाई जाती है गर्मियां होने से इसका बहुत महत्व है यहाँ भगवान रथयात्रा निकासी के दौरान जब वापस पूरी आते है तब नाव से खेकर नौका -लीला करते है | फूलों और फलों से बहुत सुंदर नौका का श्रृंगार होता है , दो नाव सजती है एक में भगवान जगन्नाथ और स दूसरे में भगवान राम होते है। .. यह भगवान राम का मंदिर है यहाँ भी मंदिर दर्शन के 5 रु प्रति व्यक्ति टिकिट था |
2 . साक्षी गोपाल मंदिर ;---
मंदिर की कथा ;-- ''कहते है जब तक आप साक्षी गोपाल मंदिर के दर्शन न कर लो आपकी जगन्नाथ पूरी यात्रा अधूरी मानी जाती है पूरी से इस मंदिर की दुरी महज 18 किलो मीटर है यहाँ एक तालाब भी है जिसमे स्नान किया जाता है कहते है की एक बार एक अमीर ब्राह्मण अकेला यात्रा को निकला उसके साथ एक गरीब युवा ब्राह्मण भी था जिसने उस ब्राह्मण की तन मन से सेवा की बृंदावन पहुँचने पर वृद्ध ब्राह्मण ने उस निर्धन ब्राह्मण को बोला--''घर लौटकर मैं अपनी बेटी का विवाह तुमसे सम्पन्न करुँगा '' लेकिन बूढ़े ब्राह्मण के पुत्रो ने मना कर दिया और बोला-- 'आपने किस के सामने यह बात बोली थी'-- तब बूढ़े ने गोपाल का नाम लिया पुत्रो ने बोला की 'यदि वो साक्षी दे तो हम विवाह सम्पन्न कर सकते है '-- तब वो निर्धन ब्राह्मण वृंदावन गया और रो रोकर कृष्ण को सारी बाते बताई और साक्षी के लिए चलने को बोला भगवान के कहा --'ठीक है पर तुम आगे आगे चलो मैं पीछे पीछे चलता हूँ किन्तु तुम जहाँ भी रुक गए मैं वही रुक जाऊँगा ' | अब निर्धन आगे आगे चलता रहा और भगवान के घुंघरुओं की आवाज़ पीछे पीछे आती रही ,एक जगह जब समुन्द्र की रेत के कारण घुंघरुओं की आवाज़ बंद हो गई तो निर्धन ब्राह्मण रुक गया और पीछे मुड़कर देखने लगा भगवान वही स्थापित हो गए ब्राह्मण का काम भी हो गया था | भगवान को साक्षी देने यहाँ तक आना पड़ा इसलिए ये मंदिर साक्षी गोपाल कहलाया |
बाद में कटक नरेश ने भगवान गोपाल की मूर्ति उठाकर मंदिर में स्थापित की यहाँ राधारानी का भी मंदिर है |
3 . गुंदीचा मंदिर
इस मंदिर तक भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आती है यह मंदिर जनकपुरी के नाम से भी जाना जाता है क्योकि पौराणिक कथाओ के अनुसार इंद्रधुमन राजा के कई बलिदानो के स्वरूप भगवान ने अपने भाई और बहन के साथ उनको दर्शन दिए थे इसलिए रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ यहाँ 9 दिन गुजारते है और वापस अपने धाम जाते है इसको भगवान का ननिहाल भी कहा जाता है और मौसी का घर भी .....
यहाँ हमको एक नन्ही सी ठिगनी मौसी भी मिली |
4 . बेड़ी हनुमान मंदिर
यह मंदिर हनुमानजी का है इसको बेड़िया हनुमान जी इसलिए कहते है क्योकि इसकी भी एक रोचक कहानी है ;-- उड़ीसा का यह समुन्द्र तट बहुत ही प्रचंड माना जाता है और इसका पानी हमेशा मंदिर के किनारे बने जगन्नाथ मंदिर में घुस जाता था तो भगवान ने हनुमान जी को आदेश दिया की वो इन प्रचंड लहरों को रोक कर रखे और मंदिर की रक्षा करे ताकि मंदिर में इसका जल प्रवेश न कर सके ,परन्तु हनुमान जी हमेशा ये कार्य छोड़कर अयोध्या भाग जाते थे इसलिए भगवान ने उनको बेड़ियों में जकड़ दिया तभी से इस मंदिर को बेड़िया हनुमान मंदिर कहा जाता है | यह पूरी के मंदिर से पश्चिमी छोर पर बना है |
हर मंदिर में 5 रु टिकिट थे हम बहुत परेशां हो गए फिर हर मंदिर में जुते उतारकर जाना मेरे लिए बड़ा कष्टकारी था खेर, अब हम अपने रूम में आ गए और थोड़ा आराम कर शाम को समुन्द्र की और निकल पड़े ....
शाम का मौसम सुहाना था 70 रु देकर हम समुन्द्र किनारे चले गए ,काफी भीड़ थी लोग आपस में मस्ती कर रहे थे कुछ लोग पानी की लहरों से खेल रहे थे ,ऐसा लग रहा था मानो जुहू बीच पर आ गई हूँ लेकिन यहाँ का समुन्द्र सड़क के बहुत पास था जबकि हमारे बॉम्बे में शाम को समुन्द्र काफी दूर चला जाता है और दूर तक रेत का साम्राज्य रहता है और रेत भी इतनी नहीं होती ,यहाँ रेत में पैर गड़े जा रहे थे चलना भी मुश्किल हो रहा था। .. सब लोग समुन्द्र के पास कुर्सियों पर बैठे थे मैंने एक आदमी से पूछा की कितने की एक कुर्सी होगी तो वो बोला -- 20 रु में एक घंटा बैठने को मिलेगा ; मुझे समुन्द्र को देखने में कोई इंट्रेस नहीं था इसलिए मैं दुकानों की और मुड़ गई ,बहुत ही सुंदर मोतियों की मालाये मिल रही थी और बहुत ही सस्ते में ,मैंने कुछ गले की मोतियों की माला खरीदी | बाकि सीप की वस्तुएं तो बॉम्बे में भी मिलती है |
आठ बजे तक हम समुन्द्र किनारे घूमते रहे वही छुटपुट खाते रहे बहुत थक गए थे इसलिए दोबारा ऑटो किया और हमारे हॉलिडे गेस्टहाउस में लौट आये |
कल कोणार्क टेम्पल जायेगे ---
ऑटो में हमारी सवारी
रास्ते की हरियाली ---- ये हरियाली और ये रास्ता ....
नरेंदर सरोवर मंदिर
चंदन यात्रा फोटू -- गूगल दादा से
गुण्डिचा मंदिर और हमारी टीम मेम्बर
गुण्डिचा मंदिर और धूप की चांदनी
छोटी नन्ही मौसी मेरी सखी के साथ गुंडिचा मंदिर
चाय का भक्षण करते हुए साक्षी मंदिर के पास
साक्षी मंदिर का सिंह
बेड़ी हनुमान मंदिर का गेट
समुन्द्र भ्रमण === पुरी चौपाटी
समुन्द्र की भयंकर लहरें
मैं और पुरी का समुन्द्र तट
मारू साहब के साथ चाय और पुरी का समुन्द्र तट
17 टिप्पणियां:
फोटो बहुत अच्छे आए है व उनके कैप्शन भी बहुत जानदार लिखे है।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 11-05-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2630 में दिया जाएगा
धन्यवाद
अरमानो की डोली पर बहुत खूब संस्मरण।
बहुत बढ़िया बुआ जी! 2012 मे हमने ऑटो वाले को शायद 400 दिया था पूरी घुमाने के लिए
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
बहुत बढ़िया बुआ जी ।यादें ताज़ा हो गयी ।
बढ़िया पोस्ट
धन्यवाद सचिन
धन्यवाद विर्क साहब
धन्यवाद प्रभु कृपा बनाये रखे
5 साल में डबल
धन्यवाद सिन्हा साहेब
चलो तुम लोगो की यादें तो हरी हुई
थैंक्स प्रतीक
बहुत ही बढ़िया ।
पढ़कर ही घूमने का मजा ले लिया ।
bahut hi achcha yatra ka vivaran likha hai aap ne... plz.. kaya muje Varanasi or allahabad ke bare me kuch aap ne likha hai to link denge plz...?
गुंडीचा मंदिर में पुजारी ने बड़ा परेशान किया था।
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