मेरे अरमान.. मेरे सपने..


Click here for Myspace Layouts

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

माउंट आबू ( 3 ) Mount abu ( 3 )



 * माउंट  आबू * 


(रेगिस्तानी जहाज )

12   मई  1998  

कल बहुत थक गए थे --सुबह देर से नींद खुली --अभी हमारे पास पुरे ६दिन     है --आज हमने रूम पर ही आराम किया --सुबह किचन में ही मस्त दाल -चावल बनाए और खाकर आराम किया --शाम को सिर्फ सन -सेट देखने जाएगे--
पूरा होली डे होम बुक है --एक फेमिली बाम्बे की और है --वो लेडी TC है -उनसे बाहर बेठे गप्पे मारते रहे --शाम को फ्रेश थे --





( रेलवे होलीडे - होम  )   






(सन -सेट पाइंट पर  घोड़े की सवारी )




शाम को ठीक ४ बजे  हम तैयार हो निकल पड़े  --पैदल ही सनसेट की तरफ काफी लोग जा रहे थे --हमने  भी बाजार में घूमते हुए कुछ सामान खरीदा --यहाँ पर "लाख" के चुड़े और सेट मिलते है, जो बहुत खुबसुरत होते है --और सस्ते भी होते है --कोटा साडी भी यहाँ मिलती है-जो काट्न की होती है --


आखिर हम पूछते हुए--पहुंच ही गए --सन - सेट पाइंट पर--वेसे काफी लोग वहा जाते हुए नजार आए वहाँ पहुचने के बाद माहोल ही कुछ अलग था --कई जगह पर सीढियां बनी हुई थी --जहां काफी सेलानी चढ़े  हुए थे--माहोल  बहुत अच्छा लगा --आप भी देखे ---  




(काफी जगह लोगो ने घेर रखी थी -)


                  ( ऐसे ही बेठने के लिए बहुत बढ़िया स्थान बने हुए थे --)

(हमने भी एक ऊँची जगह तलाश कर ही ली ) 




(धुप से आँखे खुल नही रही है मेरी )


( क्योकि हम सूरज की तरफ मुंह करके बेठे थे ) 

सारी जगह लोगो ने घेर रखी थी --काफी धुप थी --पर हवा बड़ी ठंडी चल रही थी --बड़ा सुंदर नजारा था --एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ लम्बा -चोड़ा मैदान--दूर सूरज चमक रहा था --होले -होले नीचे जा रहा था --सूरज एक बड़े  फ़ुटबाल की तरह घूम रहा था --किरने भी ठंडी लग रही थी --
यही पर फिल्म -कयामत से कयामत तक' की शूटिग हुई थी--आप भी फोटू के जरिए सन -सेट का आन्नद ले ---  

सनसेट पाइंट   


       
( निक्की की प्यारी अदा )






( एक ऊँगली पर सूर्यदेवता का भार --केसे संभव --?)
 फोटू क्लिक होने तक वो नीचे सरक चूके थे  


(  फूंक मारते हुए --कभी सूरज भी फूंक से उड़ा है )



(  जेस की अंजुली में सूर्य देवता )




(  सन -सेट का निराला रूप )




(  डूबता सूरज ~~~सूरज महाराज की एक अदा )




( चित्र ~~~गूगल )

रात तक माहोल में बहुत सरगर्मिया थी --अँधेरा होते ही हम भी चल पड़े --निक्की झील की तरफ --रात को वहाँ काफी रोंनक लगी हुई थी --लोग बोट में घूम रहे थे --पास के बगीचे में म्यूजिकल फाउन्टेन चल रहा था --




(निक्की झील रात की बांहों में ) 

रात को निक्की झील का एक चक्कर लगाकर हम वापस आ गए --


अंतिम किस्त के साथ ~~अगली बार मिलते है--


जारी -----  


28 टिप्‍पणियां:

G.N.SHAW ने कहा…

Very nice and beautiful photography .Dhanoy ji .

Rakesh Kumar ने कहा…

आपने जो दर्शन कराया है माउंट आबू
अब दिल पे नहीं रहा है मेरे काबू
जल्दी जल्दी सपने संजोता हूँ
आपके फोटुओं में मै भी साथ होता हूँ
कभी सूरज को अंजुली में ले
कभी फूँक से ही उसे उडा देता हूँ
'दर्शन' जी आप यूँ ही दरस कराती रहें
और हमें सपनों की दुनिया की सैर कराती रहें

आपने जब दोस्त माना है तो दोस्ती का हक यूँ ही निभाती रहें.

मनोज कुमार ने कहा…

*** भई इस सैर सपाटा का हमने तो ख़ूब लुत्फ़ उठाया।

Sushil Bakliwal ने कहा…

वाह भई वाह ! हम जब सीमित समय के लिये यहाँ घूमने गये थे तब बादल ही बादल थे सूर्य देवता उस दिन पूरी तरह से नदारद थे सो इस मनोरम दृश्य से वंचित ही रह गये थे आज आपके अनुभवों के साथ देख लिया । धन्यवाद...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

अरे वाह!
बहुत सुन्दर चित्र-दृश्य प्रस्तुत किये हैं आपने तो!

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सन सेट के फोटो बहुत सुन्दर आये हैं ।

Dr Varsha Singh ने कहा…

एक ऊँगली पर सूर्यदेवता का भार और सूरज को फूंक मारते हुए दृश्यों का तो ज़वाब नहीं !
हार्दिक शुभकामनायें।

Sunny Dhanoe ने कहा…

Hi All,
Please visit my blog...thanks :D
http://wolfariann.blogspot.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

चित्र बहुत सुन्दर हैं ...यात्रा संस्मरण बढ़िया लगा

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुन्दर यात्रा संस्मरण....

SANDEEP PANWAR ने कहा…

दिन में सूरज के पीछे पडे रहे, पकड में नहीं आये सूर्य देवता,
आपने फोटो ठीक तरह से संभाल कर रखे है
जाट पुत्र पवित्र आपका इंतजार कर रहा है
अगर आपकी अंगुली पर सूर्य टिक जाते तो हनुमान जी के बाद आप का नाम लिया जाता?

Kunwar Kusumesh ने कहा…

आपकी यात्रा संस्मरण का लुत्फ़ हम भी घर बैठे आपके ज़रिये उठा रहे हैं. आभार.

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

वाह,
अद्भुत चित्रों ने मन मोह लिया।

hamarivani ने कहा…

अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" ने कहा…

achi photography!

उन्मुक्त ने कहा…

सुन्दर चित्र हैं।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
नमस्कार !
चित्र बहुत सुन्दर हैं ...यात्रा संस्मरण बढ़िया लगा

संजय भास्‍कर ने कहा…

चित्रों के साथ यात्रा संस्मरण......बहुत बढ़िया हैं

aarkay ने कहा…

आदरणीय दर्शन जी, माऊंट आबू का यात्रा संस्मरण बहुत रोचक रहा. साथ ही आकर्षक चित्रों के माध्यम से मनोहारी दृश्यों का भी अवलोकन हुआ. सूर्य देव को फूँक से उड़ाने अथवा अंगुली पर उठाने वाले चित्र तो आपकी कलात्मकता और कल्पनाशीलता का स्वत: ही प्रमाण हैं .
आभार !

मदन शर्मा ने कहा…

आदरणीय दर्शन कौर धनोए जी
नमस्कार !
चित्र बहुत सुन्दर हैं ...यात्रा संस्मरण बढ़िया लगा

Unknown ने कहा…

दर्शन कौर जी ने तो हमें भी सुन्दर प्रकृति के दर्शन करा दिए.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

कैमरे की नजर से माउंटआबू.. बेहद खूबसूरत

Santosh Pidhauli ने कहा…

नमस्कार चित्र बहुत सुन्दर हैं

बेनामी ने कहा…

thanks for sharing your experience and information too.

सदा ने कहा…

वाह ... बहुत ही सजीव चित्रण प्रस्‍तुत किया है आपने ।

आकाश सिंह ने कहा…

प्रिय दर्शन जी
मैं पिछले कुछ दिनों से माँ की तबियत को लेकर काफी परेशान हूँ अब देखिये न आपका दो पोस्ट आ गया और मुझे आज मालूम चल रहा है| अस्पताल का चक्कर कितना ख़राब होता है आपको पता ही होगा | मैं पिछले कुछ दिनों से ब्लोगिंग की दुनिया से दूर था आप सभी प्रियजनों से मेरी प्रार्थना है की आप मुझे माफ़ करेंगे |

आकाश सिंह ने कहा…

प्रिय दर्शन जी
मैंने आपका दोनों पोस्ट पढ़ा मन को बहुत भाया| आपकी लेखनी वाकई में काबिले तारीफ है | मेरी गलती को सुधारने की बात कहने हेतु आपको बहुत बहुत धन्यवाद |
---------------------------------------

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बेहतरीन यात्रा वर्णन

नीरज