तमिलनाडुडायरी #12
कन्याकुमारी,भाग 2
19 दिसम्बर 2022
आज के दिन की शुरुवात सूर्यमहाराज की कृपा से अच्छी रही, पूरा दिन मजेदार रहा।
हम सुबह सूर्योदय देखकर वापस अपने होटल में आ गए वही हमने चाय ओर पानी मंगवाया ओर थोड़ा आराम किया
फ़िर करीब 1 घण्टे बाद हम दोनों गुलेगुलजार बन घूमने निकल पड़े।होटल से बाहर निकलकर पास के रेस्टोरेंट में डोसे का नाश्ता किया।मैंने इडली मांगी तो मुझे इडली नही मिली हारकर डोसा ही खाया और चाय पीकर बाहर निकल गए।पता नही क्यो तमिलनाडु में जब से आई हूं मुझे इडली नही मिल रही हैं।रामेश्वरम में रोड पर खाई थी तो मजा नही आया एकदम बेकार थी। मुझे कर्नाटक की इडली की याद सताने लगी😪
खेर, नाश्ता कर के हमने एक ऑटो वाले से विवेकानन्द रॉक मैमोरियल तक जाने का पूछा,उसने 50 रु बोला हम उसमे बैठ गए।मुझे किराया बहुत सस्ता लगा, लेकिन बाद में देखा तो 50 ₹ ज्यादा लगे क्योकि वो 1 km भी नही था पैदल भी जाया जा सकता था।😜
खेर,ऑटो वाले ने ऑटो एक लाइन के पास खड़ा कर दिया। हमने उतरकर देखा एक लंबी सी लाइन आगे जाकर गुम हो गई थी।लाईन को देखकर मेरे हाथ पैर फुल गए ।अरे बाबा,इतनी भीड़!!"
विवेकानन्द रॉक मैमोरियल समुन्द्र में बना है और वहां तक जाने के लिए स्टीमर में सवार होना पड़ता हैं ।और ये लाईन उसी स्टीमर में जाने की थी।मरता क्या न करता !हम् भी लाईन में लग गए।
इतने में एक लेडिस पुलिस वाली आई और अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में बोली कि, सर आप स्पेशल टिकिट ले लो,इद्दर कीधर धक्के मुक्की में खड़े रहोगे। बात जंच गई।
वो हमको एक दूसरी छोटी लाइन में ले गई जिधर छांव भी थी वहाँ हमने 200-200 रु का स्पेशल टिकिट लिया ओर वही खड़े हो गए।हमारी लाईन जल्दी आगे बढ़ रही थी जबकि पिछली 50₹ वाली लाईन अभी तक एक इंच भी सरकी नही थी। धूप अपने पूरे शबाब पर थी। हमने उस पुलिस वाली का ओर भगवान का शुक्रिया अदा किया क्योकि सुबह जो ये शहर बर्फ की मानिंद ठण्डक दे रहा था वो अब आग उगल रहा था।
हमारी भी लाइन काफी बड़ी थी पर छाव में थी और बैठने को भी बेंच लगी थी इसलिए थोड़ी राहत थी।
हमारी लाईन को फटाफट छोड़ दिया और हम सब एक कतार में दूर तक आगे चल दिए।फिर मैंने पलटकर देखा तो 50₹ वाली लाईन भी थोड़ी थोड़ी छूट रही थी। फिर आगे जाकर लेडिस को अलग लाइन में खड़ा कर दिया और जेंट्स अलग हो गए।
इतने में शिप भी आ गया पहले वो खाली हुआ फिर हमको धीरे धीरे छोड़ा गया।लेकिन इधर आकर सब ऑफरा तफरी मच गई। लोग भाग भाग कर सेफ्टी जैकेट लेकर शिप में सीट लेने दौड़ पड़े।मैं भी भागकर अंदर गई पर तब तक सारी किनारों वाली सीट फुल हो चुकी थी । हमदोनो बीच वाली सीट पर बैठ गए।सेफ्टी जैकेट हमने पहन ली।शिप में उस समय 100 लोग दिख रहे थे,मुझे डर लगने लगा कहीं शिप पलट न जाये😂🤣😂
हिचकौले खाता हुआ शीप अपनी राह चल पड़ा ।मुश्किल से 10 मिनिट में हम विवेकानन्द रॉक पर मौजूद थे।
शेष फिर....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें