मै चाहती हु ------
नशा बन कर तेरी आँखों मे ----
छलकती रंहू तेरी मुहब्बत मे
जाम बनकर तेरे होठो का ------
प्यास बुझाती रंहू तेरी महफ़िल मे ----
धड़कने बनकर तेरे सीने की -----
धडकती रंहू तेरे बाजुओ मे -----
बनकर शहजादी तेरे सपनों की -----
प्यार करती रंहू तुझे ख्वाबो मे -----
बनकर हमसाया तेरे कदमो का -----
गुनगुनाती रंहू तेरी राहो मे ------
बनकर फूल तेरे पहलू का ------
महकाती रंहू तेरी रातो को ------
मै चाहती हु ---- मेरे जाने -जिगर ---
साथ निभाती रंहू तेरा जीवन -भर ----|
3 टिप्पणियां:
Nice Poem Mom!
आदरणीय दर्शन कौर माँ
नमस्कार !
............सार्थक कविता के लिए आभार
एक टिप्पणी भेजें