" तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे करीब हो !
आत्माओं के रिश्ते टूट नही सकते !!"
सालो के बिछड़े परिंदे
फिर आज एक बार मिले
उड़ चले
वहाँ
जहां
कभी निर्विकार उड़ान भरते थे
धवल आकाश
सुफल पुरव्इया के साथ
जहां
दोनों ने मरने -जीने की कसमे खाई थी
कभी जुदा न होने के लिए
गले मिलकर
चोंच से चोंच लड़ाई
शिकवा -शिकायत
फिर बेहद प्यार
प्यार का इजहार
आंखो मे आंसू लिए
दोनों उड़ चले
जहां कभी दोनों साथ -साथ रहते थे
लेकिन
तब
इस बेरहम समाज को
इनका प्यार मंजूर नही हुआ
न चाहते हुए भी
दोनों बिछड़ गए
हमेशा के लिए
आज...
किस्मत ने फिर पलटी खाई
दोनों सालो बाद मिले
एक दुसरे को प्यासी नजरो से देखा
आँखे मिली
फिर चोंच से चोंच मिलाई
बेहद प्यार किया
कितना सुखद मिलन था ?
दोनों देर तक
गले लिपट कर रोते रहे
प्यार करते रहे
सारी मर्यादाओ से परे
इस जमी से आस्मां तक
एक होने के लिए
उनकी आँखों में एक विश्वास था
मिलन की चाह थी
अब कभी जुदा न होने का
एक मोंन संकल्प था
हमेशा एक ही रहने का
जूनून था ....
दूर ~~~से आवाज आ रही थी --
''हमे मिलना ही था हमदम ,किसी राह भी निकलते "
38 टिप्पणियां:
अरे वाह दर्शन जी ...!!
बहुत सुंदर रचना ...सुंदर भाव ...सुंदर सोच ....और हल्का..... उड़ा उड़ा मन ....पंछ्ही की तरह ....
बहुत अच्छी रचना ..आपको बधाई ...
शुक्रिया मेरे ब्लॉग से जुडीं ..!!
आदरणीय दर्शन जी
नमस्कार !
त सुंदर रचना ...सुंदर भाव
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
एक सम्पूर्ण पोस्ट और रचना!
यही विशे्षता तो आपकी अलग से पहचान बनाती है!
दर्शी जी , आपकी कविता को पढ़ कर शशि कपूर और नंदा पर फिल्माया गया '" जब जब फूल खिले " का गीत - एक था गुल और एक थी बुलबुल .........याद आ गया. इस गीत में भी अंत में - गुल साजन को गीत सुनाने बुलबुल बाग़ में वापस आई -- शब्दों के माध्यम से पुनर्मिलन का सुंदर वर्णन किया गया है. पर क्या वास्तविक जीवन में ऐसा होता है ?
सुंदर, भाव पूर्ण रचना !
वाह ! शानदार जी,
आखिर जुदाई मिलन में बदल ही गई.
हमारी दर्शी जी की नजर भी लगता है उतर ही गई.
क्या बेहतरीन चित्र प्रस्तुत कियें हैं.
एक ने दिल को तोडा ,तो एक ने दिल को जोड़ा
जो भी हों आपके इस खूबसूरत अंदाज से दिल को सकूं
मिला थोडा थोडा.
वाह बहुत खूब ! क्या बात है !
बड़ी सुन्दर है परिंदों की दुनिया....
सुन्दर रचना.......
दो प्रेमी परिंदे ही तो होते हैं !
रचना का मार्मिक भाव और सुन्दर चित्रों का संयोजन ......अति सुन्दर
ग़लतफ़हमियों और दरारों को ह्रदय में लम्बे समय तक स्थान देना ही नहीं चाहिए। पुनर्मिलन का सुख अलौकिक ही होता है।
" तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे करीब हो !
आत्माओं के रिश्ते टूट नही सकते !!"
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और उतने ही सजीव चित्र!
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बस यही मुँह से निकलता है-
"वियोगी होगा पहला कवि
हृदय से उपजा होगा गान..."
bhut hi sunder bhaavo ko parstut karti apki rachna hai...
प्रेम का पावन स्वरूप लिए रचना..... बहुत सुंदर
वाह जी वाह ! हैप्पी एंडिंग ।
सुन्दर कविताई ।
उम्मीदों भरी कविता के लिए आभार,दर्शी जी.
आज तो बहुत अलग ही अंदाज़ में लिखा है आपने.
बहुत ही खूब.
परिंदों की ऊंची उड़ान की दुआ करता हूँ,
हाँ,मैं उन को पढ़ा करता हूँ.
behad khubsurat rachna...pyar karne balo ki bechaini ko or miljane ki rahat ko jis khubsurati se ubhara hai kabile tarif hai..humare blog pe aane ke lie sukriya...maine aapko fb pe frnd request veja hai...
ये किसी भी रह हो आते , मिलना इन्हें यही था
मिलने -बिछड़ने और फिर मिलने की रोचक कथा कविता में ...
बोहत ही वदिया!
मिलना बिछडना और फिर मिलना .... बहुत भावप्रवण रचना ...सुन्दर चित्रों से सजी सुन्दर रचना
utkrisht bhavmayi rachana ,sarthak soch ka pratindhitw karti huyi .../ shukriya ji .
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने लाजवाब रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! तस्वीरों ने तो मन मोह लिया! बधाई!
nice post, looks really good!
प्रेम जी का जंजाल है जब तक इससे बचा रहे कोई उतना ही अच्छा...
" तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे करीब हो !
आत्माओं के रिश्ते टूट नही सकते !!"
प्रेम वह अनुभूति है जो हर प्राणी में रहती है और प्राणी उसकी अभिव्यक्ति भी कर सकता है. इसके बिना तो जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. पक्षी के प्रेम को सजीव प्रस्तुत करके बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की.
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बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..बहुत सुन्दर चित्रों से,जो रचना के भाव को और भी उबारते हैं, सजाई है पोस्ट..
परिंदे के मध्याम से आपने प्रिय से मिलने प्रेम के अनुभव और फिर अलग होने का दुःख और फिर प्यार की जीत बताते हुए फिर से मिलन और प्रेम की विजय का बहुत शानदार काव्यात्मक चित्रण किया है. बधाई.
हम भी अगर पंछी होते तो खूब उडते घूमते और घर वापस आ जाते।
"सुखान्त" देखकर सुख का अनुभव हुआ । मार्मिक कविता ।
" तुम मुझसे दूर रहकर भी मेरे करीब हो !
आत्माओं के रिश्ते टूट नही सकते !!"
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और उतने ही सजीव चित्र!
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बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और उतने ही सजीव चित्र|धन्यवाद|
रचना एवम चित्र दोनों ही प्रभावशाली लगे।
मदर्स डे की शुभकामनायें
Bahut hi sundar Abhvyakti... plz visit my blog and give me ur valuable comments = http://yogeshamana.blogspot.com/
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और उतने ही सजीव चित्र|धन्यवाद|
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कविता और चित्र दोनो ही शानदार ……मन मोह लिया।
बेहतरीन।
सादर
पवित्र प्रेम की सुन्दर काव्य कथा
बहुत भाव-प्रवण कविता है .मनुष्यों का जीवन भी इतना सहज-सरल और निर्बंध होता तो कितना अच्छा होता !
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