रात को 11बजे के बाद अजमेर -रानीखेत गाडी प्लेटफार्म पर आई ...पूरी तरह खचाखच भरी थी ,यहाँ हमें कूपा नसीब नहीं हुआ ...3 महीने पहले कराई रिजर्वेशन पर पानी फिर गया और हम अपने C T I पतिदेव को शक की नजरो से देखने लगे...कोई एडजस्ट भी करने वाला नहीं था ,,भला कोई हमारे लिए क्यों कूपा खाली करता ..कोई हम रेल्वे मिनिस्टर के रिश्तेदार तो थे नहीं ? खेर ,रात का सफ़र हैं और सोना ही तो हैं यह सोचकर दिल को पतिदेव ने तसल्ली दी और अपनी साइड की अपर और लोअर सीट से ही काम चला लिया ..अब हरदीप के खाने की याद आई जो बड़ी -सी टोकरी में कुछ दे गया था ....चारो अलग -अलग सीट थी फिर भी दो पर हम और दो पर जेस और निक्की बैठ गए ..खाना बहुत बढ़िया था और बहुत ज्यादा था ,कम से -कम दो आदमी और खा सकते थे ..साथ में आम भी थे पर उन्हें खाने का टाईम नहीं था, सो रख लिए बाद में खाएगे ....रात को बेटे (सन्नी ) से बात की वो हमारे साथ नहीं आया था आखिर एक बन्दा घर की रखवाली के लिए भी तो होना चाहिए ....चोरो का क्या भरोसा इधर हम घुमने जाए उधर वो माल पर हाथ घुमा दे ..हा हा हा हा फिर हमारा डागी शेडो भी हैं ...उसका ख्याल रखना हमारा परम कर्तब्य हें ....
रात आराम से गुजर गई ..सुबह अचानक जहाँ गाडी खड़ी थी वो था हल्दानी स्टेशन ! काफी लोग उतर गए थे ..एक वेटर से पूछा की हम भी यही उतर जाए तो वो बोला की आपको नैनीताल जाना हैं तो काठगोदाम में ही उतरना ...10 मिनट बाद ही काठ गोदाम स्टेशन आ गया ..
सुबह काठगोदाम स्टेशन आते ही मधुमक्खी की तरह टेक्सी वाले चिपक गए .'नैनीताल का कितना लोगे ' मैनें एक से पूछा ! 650 रु, जवाब था पर मैं भी पक्की बम्बईया थी बगैर मोल -भाव के कोई काम नहीं करती हूँ ..तुरंत कमलेश ने जो नंबर दिया था अपने दोस्त 'शेलेंद्र' का उससे बात की उसने कहा की 400 रु. में ले जाएगा मैंनें टैक्सी वाले को 400 रु कहा .. थोड़ी न -नुकर के बाद वो तैयार हो गया -- नाम विक्की था .. चाप्टर लग रहा था ..सीधा तो वो बिलकुल भी नहीं था .. आजकल पहाड़ पर वो शांत और शर्माने वाले पहाड़ी कहाँ रह गए हैं ..वो भोली मुस्कान वो भोलापन अब यहाँ देखने को नहीं मिलता ? चारों और लूट -ख्सोट यहाँ भी अपने पैर जमा चुकी हैं .. बाद में उसने बताया की क्या करे मेडम, बस यही सीजन में ही हमारी कमाई होती हैं बाकी महीने तो हमें बैठकर ही खाना होता हैं ..मुझे भी लगा की बंदा सच कह रहा हैं .. हम शहर के लोग तो बारह महीने काम करते हैं ..खेर......
हम चल पड़े उसकी इंडिका कार में आरामदायिक सफ़र पर ...रास्ते की द्रस्यावाली मन मोह रही थी ..ठंडी -ठंडी हवाए दिल चुरा रही थी ...गुलाब के ढेरों पोधें चटक लाल रंग के बड़े -बड़े खिले हुए गुलाबों से भरे पड़े थे .कुछ बड़े पेड़ भी बेंगानी रंग के और आरेंज कलर के इस सुन्दरता में चार चाँद लगा रहे थे ....किस जात के थे पता नहीं ,पर लग बहुत सुंदर रहे थे .. कहीं -कहीं ऊँची -ऊँची पहाड़ियाँ थी तो कहीं गहरी खाइयाँ थी ...मन मयूर -सा नाच रहा था ...और दिल गाना गाने को बैचेन था ....
ये हंसी वादियाँ ये खुला आसमा ..
आ गए हम कहाँ ऐ मेरे साजना ..
खुबसूरत बेंगनी फूलों का पेड
यह बर्फ नहीं हैं ..सफेद पहाड़ हैं
खुबसूरत पुल ..दो पहाड़ियों को जोड़ता हुआ ..कितना दिलकश नजारा हैं
हमारा कारवां बढता रहा
रास्ते में रूककर हमने चाय पी ..15 रु की ऐक चाय ...बड़ी महगी हैं
रास्ते में रुककर हमने चाय पी ...सुबह का माहौल खुशगवार था --एक चेरी वाला चेरी बेच रहा था 20 रु में एक दौना ..बच्चो ने भी ले लिया --पर यह क्या ? शुरू होते ही ख्त्म यानी हमें ही बेवकूफ बना दिया ..उपर से दौना भरा हुआ लग रहा था ,हम बहुत खुश हुए ,पर जब हाथ में गिनकर 6 चेरी भी नहीं आई तो हमारा बुरा हाल था यह तो मुम्बई से भी महंगी निकली ... हम तो ठग गए भाई हा हा हा हा हा.....
चाय ख़तम करके हम चल दिए अपने नियत स्थान पर ..अभी नैनीताल दूर था .. रास्ते में विक्की ने बताया की कल यहाँ एक बस खाई में गिर गई थी ...ड्राइवर मर गया पर सवारी नहीं थी ..इसलिए ज्यादा नुक्सान नहीं हुआ ..सुनकर रोंगटे खड़े हो गए ..यह पहाड़ दिखने में जितने सुंदर हैं उतने ही भयानक भी ..
इस खोफनाक मंजर के बाद ,सबकी बोलती बंद थी ,,सब चुपचाप चले जा रहे थे .. गुनगुनाना बंद हो गया था ..जब भी कोई मोड़ आता मेरी चींख निकल जाती ,मैं विक्की को आराम से चलने का बोल रही थी ,अभी सुबह का टाईम था रास्ते के एक बोर्ड पर उसका ध्यान दिलाया जिसपर लिखा था ----
सावधानी हटी,,,,,दुर्धटना घटी
रास्ते -भर विक्की अपनी लव -स्टोरी सुनाता रहा ..उसने लव -मेरिज की थी . ..लड़की भी नैनीताल की ही थी ..माँ तैयार नहीं थी तो दोनों भाग गए और कुछ समय दिल्ली में गुजारे ..कहने लगा बड़े बुरे दिन थे ..पर अब माँ -बाप मान गए हैं मेरी बीवी को सबने स्वीकार कर लिय हैं वो एक स्कूल में टीचर हैं ...विक्की की लव -स्टोरी -सुनते सुनते कब नैनीताल आ गया पता ही नहीं चला .....
हम आराम से नैनीताल पंहुच गए ...कमलेश भट्ट ने जो होटल बुक किया था होटल जगती ! उसके रूम बहुत ही अच्छे थे ..दो रूम चार बेड और किराया सिर्फ 1500 रु....सामने ही नैनीझील इठलाती हुई हमें देख रही थी ..सिंपल होटल था वैसे 2000 भाड़ा था पर हमें कंसेसन मिल गया था वैसे भी अभी यहाँ सीजन चालू नहीं हुआ था ..दिल्ली में छुटियाँ चालू नहीं हुई थी सो, अभी यहाँ सबकुछ सस्ता हैं ऐसा हमें उस होटल के मालिक ने कहा..कुछ भी हो जगह शानदार थी दिल - बाग़ -बाग़ हो गया था ..काफी देर तक मैं उस झील को देखती रही ...कितनी सुन्दरता प्रकृति ने यहाँ रचा रखी हैं ..ऐसा लगता हैं मानो स्वप्नलोक मैं आ गए हो ....आप भी देखें ...क्या शमा हैं ----पर हम कितना प्रकृति को कैद कर पाएगे ????
नैनीझील
नैनीझील की सुन्दरता में मन खो -सा गया ....कमरे में आकर हम सब तैयार होने लगे ..10 बजे विक्की को नैनीताल की साईट दिखने को कहा था ..आने के टाईम विक्की ने साईट -सीन देखाने का प्रस्ताव रखा जिसे हमने मान लिया .. पहले तो वो 1300रु. मांग रहा था पर बाद में 800 रु. में तैयार हो गया ..टोटल 9 पाइंट दिखाने की बात हुई ...बाद में पता चला की असल में 800 रु. ही होते हैं साईट सीन के ..खेर, और हम चल दिए नैनीताल व्यूह देखने .....आपको भी दिखाएगे पर अगले एपिसोड में ..तब तक के लिए अलविदा .....
9 व्यू पाइंट ऑफ़ नैनीताल :----
1. जल प्रपात !
2.खुरपा ताल !
3.लवर्स -पाइंट !
4.सुखा ताल !
5.हनुमानगढ़ी टेम्पल !
6.हिमालय दर्शन !
7.नैनीताल व्यू पाइंट !
8.केव गार्डन !
9. गवर्नर हाउस !
शेष जारी ----
21 टिप्पणियां:
दर्शन जी.....नमस्कार !
आपके आज के लेख में मैं कही खो सा गया....|
आपके साथ नैनीताल का सफ़र बड़ा ही सुहाना लग रहा हैं ....|
इस लेख में वर्णित जानकारी (जैसे→ खर्चे , जगह ) मेरे लिए बहुत ही काम की हैं ....जो मेरे सफ़र में बहुत काम आपने वाले हैं..|
आपने कमरा तो महंगा लिया था फिर भी हमें यह बताइए कि यह होटल जग्राती नैनीताल में कहाँ पड़ता हैं ?
आपके नैनीताल के सफ़र के साथ-साथ हम भी चल रहे हैं.....प्रतीक्षा रहेगी ----शेष जारी ---- की....
यात्रा का सुन्दर वर्णन और सुन्दर तस्वीरें । ये पहाड़ी ड्राइवर अक्सर ऐसी कहानियां सुनकर डरा देते हैं लेकिन सच्ची भी होती हैं । इस से यात्रा का अनुभव और भी रोमांचित कर देने वाला बन जाता है ।
अबकी बार विक्की आपको जान गया था कि आप मोल भाव जरूर करेंगी इसलिये पहले ही 1300 रू बोल दिये .........हा हा हा
ये टूरिस्ट जगहो पर ऐसे ही पागल बनाते है पर हां आपके फोटोज ने समां बांध दिया है नैनी झील की खूबसूरती को आपने इन फोटोज मे बढिया दिखाया है
इतनी गर्मी में नैनीताल की सैर सुकून दे रही है ... सुंदर प्रस्तुति ...
नैनीताल में ठग मिलते है जो सामान बेचने वाले होते है आप को भी ठग लिया बीते साल अपुन को भी जामुन के ६-७ दाने एक बड़ा सा गिलास ,ए भर कर पकड़ा दिया था, आज चलते है इंदौर आपके मायके वहाँ से आके नैनीताल फिर से देखंगे
फोटो में सफेद बोर्डर कैसे किया हमें भी बता देना
होटल जगती मालरोड पर ही हैं और होटल अलका के पास ही हैं hotal Jagati
आपके साथ नैनीताल का घूमना बहुत अच्छा लगा...सभी फोटो बहुत सुन्दर हैं और उतना ही खूबसूरत आपका अंदाज़े बयां... शुक्रिया आपका
ऐसी बात नहीं हैं मनु .मैनें वहां पर टूरिज्म वालो से भी बात की सब नैनीताल -भ्रमण का १३०० रु. ही बता रहे the..
Thanx di ...
thanx shastri ji ...
pata nhi sandeep yah sab sunny ka kamal hei ....
सही कह रहे हो संदीप ..मैनें तुम्हारे नैनीताल वाली पोस्ट में पढ़ा था ...फिर भी धोखा खा गई ही ही ही ही ही
धन्यवाद संध्या जी ..
अति सुन्दर छवि
good
बहुत ही सुंदर तस्वीरों के साथ बढ़िया यात्रा वृतांत...
काश हम भी ऐसे सैर से आते....:)
रास्ते -भर विक्की अपनी लव -स्टोरी सुनाता रहा ..
विक्की भी बड़ा लक्की रहा.
जो आप जैसी खुशनुमा सवारियां उसे मिली.
लगता है उसने आपका साथ यात्रा के अंतिम पड़ाव तक निभाया.
आपकी यात्रा बहुत ही अनूठी रही.
aapne prastutu bahut badiya di or me uttrakhand me nainital sahit pura uttrakhand ghum chuka hu uttra. is very very beutiful..
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