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बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

मेरी वंडरफुल यात्रा भाग =3


मेरी वंडरफुल यात्रा
भाग= 3
(राजस्थान डायरी)
1 अक्टूम्बर 2019

बॉम्बे से इंदौर उज्जैन होते हुए  माता बगुलामुखी के दर्शन करके रात मंदसौर में गुजारकर हम सुबह चारभुजा जी और कांकरोली जी के दर्शन करते हुए आज श्रीनाथजी पहुंच गए ।अब आगे...

हमको श्रीनाथजी में रूम बढिया मिले ,सुबह मैं तो आराम से उठी जबकि सब लोग सुबह 6 बजे श्रीनाथजी के दर्शन कर आये जिसे मंगला -आरती बोलते है।

लेकिन मैं फ्रेश होकर साढ़े सात बजे के दर्शन को निकली...मुझे भी भव्य दर्शन हुए .. ऐसा लगा मानो खुद मुरलीमनोहर मुझे निहार रहे है... साक्षात प्रभु से साक्षात्कार हो रहा था और अनायास मेरी पलकें गीली हो गई 😢मुझे ऐसे अनुभव बहुत ही कम होते हैं क्योंकि मैं ज्यादा भक्ति में लीन होने वालों में से नही हूँ।☺️

श्रीनाथजी के दर्शन कर हम वही बाजार में कुछ खरीदारी करने लगे,न चाहते हुए भी मैंने एक छोटी सी मूर्ति श्रीनाथजी की खरीद ही ली ।

"श्रीनाथजी"
ये मन्दिर उदयपुर से 48 km दूर है
 पुष्टिमार्गीय वैष्‍णव सम्प्रदाय की ये प्रमुख पीठ हैं यहां सैकड़ो वैष्णवी श्रध्यालू रोज दर्शन करने आते हैं ये मन्दिर 337 साल पुराना हैं।
दर्शन के बाद हमने वही बैठकर एक होटल में सुबह का नाश्ता किया वही इंदौरी पोहे ओर अहमदाबादी फाफड़े ओर मीठी कड़ी.. भूख बहुत लग रही थी इसलिए फोटू नही ले सकी।
श्रीनाथजी की यात्रा समाप्त होते ही हम चल दिये गोवर्धन परिक्रमा करने ...पूरा गोवर्धन पर्वत का चक्कर लगाकर हम एक ऐसी जगह आये जहां पर विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा के दर्शन हुए ये प्रतिमा भोलेनाथ की थी 351 फिट ऊंची लार्ड शिवा की ये मूर्ति विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा  हैं..तपस्या में लीन शिव शम्भू की ये प्रतिमा देखने लायक थी। ये हमको हाइवे से ही नजर आ रही थी।

"एकलिंगजी महादेव"
यहां से निकलकर हम चल दिये एकलिंगजी के भव्य मंदिर में जो भगवान शिव को ही समर्पित हैं.. यह मंदिर उदयपुर से 18 km उत्तर में बसा हैं ये खूबसूरत मन्दिर 2पहाड़ियों के बीच स्थित हैं ।
मेवाड़ के राजाओं के शिव आराध्य देवता थे ओर वो अपने हर युध्य में जाने से पहले इस मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते थे।
जब हम यहां पहुंचे तो सुबह के 10 बज रहे थे और मन्दिर खुलने का टाईम साढ़े 10 था जो हमको यहां का एक बोर्ड बता रहा था..यहां सारा सामान हमको एक लॉकर में जमा करना पड़ा क्योंकि अंदर कुछ भी ले जाना मना था, पता नही इन मंदिरों में मोबाइल ले जाना और फोटू खींचना क्यो मना होता हैं।😢

अंदर मन्दिर बहुत ही खूबसूरत बना हुआ था उसकी नक्कासीदार डिजाइन मन को मोह गई ...अंदर कई छोटे छोटे मन्दिर थे ओर सभी एक से बढ़कर एक👍
एकलिंग जी के मंदिर की भव्यता देखकर फोटू न उतारने का अफसोस जरूर हुआ लेकिन इतने खूबसूरत मन्दिर देखने का जो सौभाग्य मिला उसने अफसोस के सारे रंज धो दिए।
ओर यहां के बाद हम चल दिये चित्तौड़गढ़....
शेष आगे----

                     दामोदर धाम
 

                    एकलिंगजी

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